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Showing posts from February, 2021

सच्चा सौन्दर्य

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 सच्चा सौन्दर्य Image by Diverse Pixel from Pixabay बहुत समय पहले की बात है। कुछ महिलाएं एक नदी के तट पर बैठी थी। वे सभी धनवान होने के साथ-साथ अत्यंत सुंदर भी थी। वे नदी के शीतल एवं स्वच्छ जल में अपने हाथ-पैर धो रही थी तथा पानी में अपनी परछाई देख-देखकर अपने सौंदर्य पर स्वयं ही मुग्ध हो रही थी। तभी उनमें से एक ने अपने हाथों की प्रशंसा करते हुए कहा - देखो! मेरे हाथ कितने सुंदर हैं। लेकिन दूसरी महिला ने दावा किया कि उसके हाथ ज्यादा खूबसूरत हैं। तीसरी महिला ने भी यही दावा दोहराया। उनमें इस पर बहस छिड़ गई। तभी एक बुजुर्ग महिला लाठी टेकती हुई वहाँ से निकली। उसके कपड़े मैले-कुचैले थे। वह देखने से ही अत्यंत निर्धन लग रही थी। उन महिलाओं ने उसे देखते ही कहा, “व्यर्थ की तकरार छोड़ो। इस बुढ़िया से पूछते हैं कि हममें से किसके हाथ सबसे अधिक सुँदर हैं।” उन्होंने बुजुर्ग महिला को पुकारा, “ए बुढ़िया! जरा इधर आकर यह तो बता कि हममें से किसके हाथ सबसे अधिक सुँदर हैं।” बुजुर्ग महिला किसी तरह लाठी टेकती हुई उनके पास पहुंची और बोली - मैं बहुत भूखी-प्यासी हूँ। पहले मुझे कुछ खाने को दे दो।...

माँ और बेटी

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 माँ और बेटी Image by 🎄Merry Christmas 🎄 from Pixabay एक सौदागर राजा के महल में दो गायों को लेकर आया। दोनों ही स्वस्थ, सुंदर व दिखने में लगभग एक जैसी थी। सौदागर ने राजा से कहा, “महाराज! ये गायें माँ-बेटी हैं परन्तु मुझे यह नहीं पता कि माँ कौन है व बेटी कौन ? क्योंकि दोनों में खास अंतर नहीं है। मैंने अनेक जगह पर लोगों से यह पूछा किंतु कोई भी इन दोनों में माँ-बेटी की पहचान नहीं कर पाया। अंत में मुझे किसी ने यह कहा कि आपका बुजुर्ग मंत्री बेहद कुशाग्र बुद्धि का है और यहाँ मुझे अवश्य मेरे प्रश्न का उत्तर मिल जाएगा। इसलिए मैं यहाँ पर चला आया। कृपया मेरी समस्या का समाधान किया जाए।” यह सुनकर सभी दरबारी मंत्री की ओर देखने लगे। मंत्री अपने स्थान से उठकर गायों की तरफ गया। उसने दोनों का बारीकी से निरीक्षण किया किंतु वह भी नहीं पहचान पाया कि वास्तव में कौन मां है और कौन बेटी ? अब मंत्री बड़ी दुविधा में फंस गया। उसने सौदागर से एक दिन की मोहलत मांगी। घर आने पर वह बेहद परेशान रहा। उसकी पत्नी इस बात को समझ गई। उसने जब मंत्री से परेशानी का कारण पूछा तो उसने सौदागर की बात बता दी। ...

बादशाह अकबर और कोरोना वायरस

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 बादशाह अकबर और कोरोना वायरस Image by Free-Photos from Pixabay एक बार बादशाह अकबर और उनका अति प्रिय मंत्री बीरबल शतरंज खेलने बैठे। दोनों के बीच यह शर्त लगी कि उन में से जो भी व्यक्ति शतरंज की यह बाजी हारेगा, उसे जीतने वाले की इच्छा के अनुसार जुर्माना चुकाना होगा। इसी क्रम में पहले बीरबल बोला - जहांपनाह! यदि आप जीत गए और मैं हार गया तो हुकुम फरमाएं कि मैं आपको क्या जुर्माना चुकाऊंगा ? बादशाह ने जवाब दिया - बीरबल! यदि यह बाजी मैं जीता और तुम हारे तो तुम्हें जुर्माना स्वरूप मुझे सौ स्वर्ण मुद्राएं सौंपनी होगी। इस पर बीरबल ने ‘हां’ में गर्दन हिलाई। अब बारी बीरबल की थी। वह बोला - जहांपनाह! यदि इस बाजी में आप हारे और मैं जीता तो आप मुझे जुर्माने के रूप में शतरंज के 64 खानों में गेहूं के दाने रखकर चुकाएंगे। लेकिन इसमें मेरी एक छोटी सी शर्त यह रहेगी कि आपको शतरंज के पहले खाने में गेहूं का एक दाना रखना होगा, दूसरे खाने में पहले के दुगने दो दाने, तीसरे खाने में दो के दुगने चार दाने, चौथे खाने में चार के दुगने आठ दाने, पांचवें खाने में आठ के दुगने सोलह दाने और ऐसे करते हुए ...

जुहो

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 जुहो Image by Peter Dargatz from Pixabay हिमालय की घाटियों में एक चिड़िया निरंतर रट लगाती है - जुहो! जुहो! जुहो! अगर तुम हिमालय गए हो तो तुमने इस चिड़िया को सुना होगा। इस दर्द भरी पुकार से हिमालय के सारे यात्री परिचित हैं। घने जंगलों में, पहाड़ी झरनों के पास, गहरी घाटियों में निरंतर सुनायी पड़ता है - जुहो! जुहो! जुहो! और एक रिसता दर्द पीछे छूट जाता है। इस पक्षी के संबंध में एक मार्मिक लोककथा प्रचलित है। किसी जमाने में एक अत्यंत रूपवती पहाड़ी कन्या थी। जो वर्ड्सवर्थ की लूसी की भांति झरनों के संगीत, वृक्षों की मर्मर ध्वनि और घाटियों की प्रतिध्वनियों पर पली थी। लेकिन उसका पिता गरीब था और लाचारी में उसने अपनी कन्या को मैदानों में ब्याह दिया। वे मैदान, जहां सूरज आग की तरह तपता है और झरनों और जंगलों का जहां नामोनिशान भी नहीं। प्रीतम के स्नेह की छाया में वर्षा और सर्दी के दिन तो किसी तरह बीत गए या कट गए। पर फिर आए सूरज के तपते हुए दिन। वह युवती अकुला उठी पहाड़ों के लिए। उसने नैहर जाने की प्रार्थना की। आग बरसती थी वहाँ। न सो सकती थी। न उठ सकती थी। न बैठ सकती थी। ऐसी आग उस...

निःस्वार्थ सेवा

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 निःस्वार्थ सेवा Image by InspiredImages from Pixabay वासु भाई और वीणा बेन। दोनों यात्रा की तैयारी कर रहे थे। 3 दिन का अवकाश था। वे पेशे से चिकित्सक थे। लंबा अवकाश नहीं ले सकते थे। परंतु जब भी दो-तीन दिन का अवकाश मिलता, वे छोटी यात्रा पर कहीं चले जाते थे। आज उनका इंदौर व उज्जैन जाने का विचार था। दोनों साथ-साथ मैडिकल कॉलेज में पढ़ते थे। वहीं पर उनके मध्य प्रेम अंकुरित हुआ और बढ़ते-बढ़ते वृक्ष बना। दोनों ने परिवार की स्वीकृति से विवाह किया। 2 साल हो गए थे पर संतान कोई नहीं थी। इसलिए यात्रा का आनंद लेते रहते थे। विवाह के बाद दोनों ने अपना निजी अस्पताल खोलने का फैसला किया। बैंक से लोन लिया। वीणा बेन स्त्री रोग विशेषज्ञ और वासु भाई डाक्टर ऑफ मैडिसिन थे। इसलिए दोनों की कुशलता के कारण अस्पताल अच्छा चल निकला था। आज उन्होंने इंदौर जाने का कार्यक्रम बनाया था। जब मैडिकल कॉलेज में पढ़ते थे, तब वासु भाई ने इंदौर के बारे में बहुत सुना था। नई-नई वस्तुओं को खाने के शौकीन थे। इंदौर के सर्राफा बाजार और 56 दुकानों पर मिलने वाली मिठाईयों व नमकीन के बारे में भी सुना था। साथ ही महाका...

संन्यासी की जड़ी - बूटी

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 संन्यासी की जड़ी - बूटी Image by Thanks for your Like • donations welcome from Pixabay बहुत समय पहले की बात है। एक वृद्ध संन्यासी हिमालय की पहाड़ियों में कहीं रहता था। वह बहुत ज्ञानी था और उसकी बुद्धिमत्ता की ख्याति दूर-दूर तक फैली थी। एक दिन एक औरत उसके पास पहुंची और अपना दुखड़ा रोने लगी। “बाबा। मेरा पति मुझसे बहुत प्रेम करता था लेकिन वह जबसे युद्ध से लौटा है ठीक से बात तक नहीं करता।” “युद्ध लोगों के मन से प्रेम समाप्त कर देता है”, संन्यासी बोला। “लोग कहते हैं कि आपकी दी हुई जड़ी-बूटी इंसान में फिर से प्रेम उत्पन्न कर सकती है। कृपया आप मुझे वह जड़ी-बूटी दे दें”, महिला ने विनती की। संन्यासी ने कुछ सोचा और फिर बोला, “देवी मैं तुम्हें वह जड़ी-बूटी ज़रूर दे देता लेकिन उसे बनाने के लिए एक ऐसी चीज चाहिए जो मेरे पास नहीं है।” “आपको क्या चाहिए ? मुझे बताइए। मैं लेकर आउंगी”, महिला बोली। “मुझे बाघ की मूंछ का एक बाल चाहिए।” संन्यासी बोला। अगले ही दिन महिला बाघ की तलाश में जंगल में निकल पड़ी। बहुत खोजने के बाद उसे नदी के किनारे एक बाघ दिखा। बाघ उसे देखते ही दहाड़ा। महिला सह...