मेरे पति मेरे देवता (भाग - 80)
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मेरे पति मेरे देवता (भाग - 80)
श्री लाल बहादुर शास्त्री के जीवन की कुछ महत्त्वपूर्ण घटनाएं
श्रीमती ललिता शास्त्री की ज़ुबानी
प्रस्तुतकर्ता - श्री उमाशंकर (जून, 1967)
टीटो के देश में
इसी तरह हमें शास्त्री जी के संग युगोस्लाविया भी जाना पड़ा। वहाँ ऐसा सत्कार हुआ, जो देखते ही बनता था। वहाँ के लोग भारतवासियों के प्रति कितना प्रेमभाव रखते हैं, यह वहाँ देखने से ही मालूम पड़ रहा था। राष्ट्रपति टीटो और उनकी पत्नी के स्नेह के सम्बन्ध में जितना कहा जाए, उतना ही थोड़ा है। उनकी पत्नी इतनी भली महिला हैं कि हम बता नहीं सकती। सब जगहों पर हमारे साथ-साथ गई और हमें सब कुछ दिखाया-सुनाया। फिर भी लौटते समय यही कहती रही कि हमारा वे बहुत स्वागत-सत्कार नहीं कर सकी। वे इतनी सज्जन हैं।
बाद में जब वे भारत आई थी, तो हमसे मिलने हमारे यहाँ भी आई थी। राष्ट्रपति टीटो का देश दर्शनीय है। वहाँ बड़ी प्रगति हुई है। वहाँ लोगों के अन्दर अपने देश को मजबूत और सुखी-सम्पन्न बनाने का विशेष चाव व लगन है।
क्रमशः
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सरिता जैन
सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका
हिसार
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