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Showing posts from June, 2022

सबसे बड़ा गुण

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 सबसे बड़ा गुण Image by Moshe Harosh from Pixabay एक राजा को अपने लिए सेवक की आवश्यकता थी। उसके मंत्री ने दो दिनों के बाद एक योग्य व्यक्ति को राजा के सामने पेश किया। राजा ने उसे अपना सेवक बना तो लिया पर बाद में मंत्री से कहा, ‘‘वैसे तो यह आदमी ठीक है पर इसका रंग-रूप अच्छा नहीं है।’’ मंत्री को यह बात अजीब लगी, पर वह चुप रहा। सेवक बहुत आज्ञाकारी था। एक बार गर्मी के मौसम में राजा ने उस सेवक को पानी लाने के लिए कहा। सेवक सोने के पात्र में पानी लेकर आया। राजा ने जब पानी पिया तो पानी पीने में थोड़ा गर्म लगा। राजा ने कुल्ला करके फेंक दिया। वह बोला, ‘‘इतना गर्म पानी! वह भी गर्मी के इस मौसम में। तुम्हें इतनी भी समझ नहीं।’’ मंत्री यह सब देख रहा था। मंत्री ने उस सेवक को मिट्टी के पात्र में पानी लाने को कहा। राजा ने यह पानी पीकर तृप्ति का अनुभव किया। इस पर मंत्री ने कहा, ‘‘महाराज! बाहर से नहीं, भीतर से देखें। सोने का पात्र सुंदर, मूल्यवान और आकर्षक है, लेकिन शीतलता प्रदान करने का गुण इसमें नहीं है। मिट्टी का पात्र अत्यंत साधारण है लेकिन इसमें पानी को ठंडा बना देने की क्षमता है...

परमात्मा से शिकायत

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 परमात्मा से शिकायत Image by ChiemSeherin from Pixabay परमात्मा से शिकायत मत किया करो। हम अभी इतने समझदार नहीं हुए कि उसके इरादे समझ सकें। अगर उस ईश्वर ने आपकी झोली खाली की है तो चिंता मत करना क्योंकि शायद वह पहले से कुछ बेहतर उसमें डालना चाहता हो। एक बार गुरु जी ने पूछा कि सबसे ज्यादा बोझ कौन-सा जीव उठा कर घूमता है ? किसी ने कहा - गधा, तो किसी ने बैल, तो किसी ने ऊंट। सबने अलग-अलग प्राणियों के नाम बताए। लेकिन गुरु जी किसी के भी जवाब से संतुष्ट नहीं हुए। गुरु जी ने हंसकर कहा - गधे, बैल और ऊँट के ऊपर से हम मंजिल आने पर रखा हुआ बोझ उतार देते हैं, लेकिन इंसान अपने मन के ऊपर मरते दम तक विचारों का बोझ लेकर घूमता है। किसी ने कुछ बुरा किया है तो उसे न भूलने का बोझ, आने वाले कल का बोझ, अपने किये पापों का बोझ। इस तरह कई प्रकार के बोझ लेकर इंसान जीता है। जिस दिन इस बोझ को इंसान उतार देगा तब सही मायने में जीवन जीना सीख जाएगा। क्यों सोचे तू कल की, कल के कौन ठिकाने हैं। ऊपर बैठा वह बाजीगर, जाने क्या मन में ठाने है। इस दुनिया को अच्छा या बुरा बनाना, सब कुछ तुम्हारे हाथ में है। ए...

निर्दोष को सजा

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 निर्दोष को सजा Image by Gabriele M. Reinhardt from Pixabay बहुत समय पहले हरिशंकर नाम का एक राजा था। उसके तीन पुत्र थे और अपने उन तीनों पुत्रों में से वह किसी एक पुत्र को राजगद्दी सौंपना चाहता था। पर किसे ? राजा ने एक तरकीब निकाली और उसने तीनों पुत्रों को बुलाकर कहा - अगर तुम्हारे सामने कोई अपराधी खड़ा हो तो तुम उसे क्या सजा दोगे ? पहले राजकुमार ने कहा कि अपराधी को मौत की सजा दी जाए तो दूसरे ने कहा कि अपराधी को काल कोठरी में बंद कर दिया जाये। अब तीसरे राजकुमार की बारी थी। उसने कहा कि पिताजी सबसे पहले यह देख लिया जाये कि उसने गलती की भी है या नहीं। इसके बाद उस राजकुमार ने एक कहानी सुनाई - किसी राज्य में राजा हुआ करता था। उसके पास एक सुन्दर-सा तोता था। वह तोता बड़ा बुद्धिमान था। उसकी मीठी वाणी और बुद्धिमत्ता की वजह से राजा उससे बहुत खुश रहता था। एक दिन की बात है कि तोते ने राजा से कहा कि मैं अपने माता-पिता के पास जाना चाहता हूँ। वह जाने के लिए राजा से विनती करने लगा। तब राजा ने उससे कहा कि ठीक है पर तुम्हें पांच दिनों में वापस आना होगा। वह तोता जंगल की ओर उड़ चला। अ...

युद्ध का परिणाम

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 युद्ध का परिणाम Image by 1195798 from Pixabay 18 दिन के युद्ध ने द्रोपदी की उम्र को 80 वर्ष जैसा कर दिया था। शारीरिक रूप से भी और मानसिक रूप से भी। शहर में चारों तरफ़ विधवाओं का बाहुल्य था। पुरुष इक्का-दुक्का ही दिखाई पड़ता था। अनाथ बच्चे घूमते दिखाई पड़ते थे और उन सबकी वह महारानी द्रौपदी हस्तिनापुर के महल में निश्चेष्ट बैठी हुई शून्य को निहार रही थी। तभी श्रीकृष्ण कक्ष में दाखिल होते हैं। द्रौपदी कृष्ण को देखते ही दौड़कर उनसे लिपट जाती है। कृष्ण उसके सिर को सहलाते रहते हैं और रोने देते हैं। थोड़ी देर में उसे खुद से अलग करके समीप के पलंग पर बैठा देते हैं। द्रोपदी - यह क्या हो गया सखा ? ऐसा तो मैंने नहीं सोचा था। कृष्ण - नियति बहुत क्रूर होती है पांचाली। वह हमारे सोचने के अनुरूप नहीं चलती। वह हमारे कर्मों को परिणामों में बदल देती है। तुम प्रतिशोध लेना चाहती थी और तुम सफल हुई, द्रौपदी! तुम्हारा प्रतिशोध पूरा हुआ। सिर्फ दुर्योधन और दुःशासन ही नहीं, सारे कौरव समाप्त हो गए। तुम्हें तो प्रसन्न होना चाहिए! द्रोपदी - सखा! तुम मेरे घावों को सहलाने आए हो या उन पर नमक छिड...

सोने की चिड़िया

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 सोने की चिड़िया Image by Bruno /Germany from Pixabay भारत को सोने की चिड़िया बनाने वाला असली राजा कौन था ? कौन था वह राजा जिसके राजगद्दी पर बैठने के बाद उनके श्रीमुख से देववाणी ही निकलती थी और देववाणी से ही न्याय होता था ? कौन था वह राजा जिसके राज्य में अधर्म का संपूर्ण नाश हो गया था ? उनका नाम था - महाराज-विक्रमादित्य!! बड़े ही दुख की बात है कि महाराज विक्रमादित्य के बारे में देश को लगभग शून्य बराबर ज्ञान है। जिन्होंने भारत को सोने की चिड़िया बनाया था और देश में स्वर्णिम काल लाया था। उज्जैन के राजा थे गन्धर्वसैन, जिनकी तीन संतानें थी। सबसे बड़ी लड़की थी मैनावती। उससे छोटा लड़का भर्तृहरि और सबसे छोटा वीर विक्रमादित्य। बहन मैनावती की शादी धारानगरी के राजा पदमसैन के साथ कर दी, जिनके एक लड़का हुआ गोपीचन्द। आगे चलकर गोपीचन्द ने श्री ज्वालेन्द्र नाथ जी से योग दीक्षा ले ली और तपस्या करने जंगलों में चले गए। फिर मैनावती ने भी श्री गुरु गोरक्ष नाथ जी से योग दीक्षा ले ली। आज ये देश और यहाँ की संस्कृति केवल विक्रमादित्य के कारण अस्तित्व में है। अशोक मौर्य ने बौद्ध धर्म अपना ...

रिश्ते

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 रिश्ते Image by Phu Nguyen from Pixabay एक बार मैं अपने एक मित्र का तत्काल कैटेगरी में पासपोर्ट बनवाने पासपोर्ट ऑफिस गया। लेकिन जैसे ही हमारा नंबर आया, तो बाबू ने खिड़की बंद कर दी और कहा कि अब ऑफिस का समय खत्म हो चुका है। अब कल आइएगा। मैंने उससे मिन्नतें की। उससे कहा कि आज पूरा दिन हमने खर्च किया है और बस अब केवल फीस जमा कराने की बात रह गई है। कृपया फीस ले लीजिए। बाबू बिगड़ गया। कहने लगा - “आपने पूरा दिन खर्च कर दिया तो उसके लिए वह जिम्मेदार है क्या ? अरे! सरकार इस काम के लिए ज्यादा लोगों को बहाल करे। मैं तो सुबह से अपना काम ही कर रहा हूँ।” खैर!! मेरा मित्र बहुत मायूस हुआ और उसने कहा कि चलो, अब कल आएंगे। मैंने उसे रोका। कहा कि रुको, एक और कोशिश करता हूँ। बाबू अपना थैला लेकर उठ चुका था। मैंने कुछ कहा नहीं। चुपचाप उसके पीछे हो लिया। वह एक कैंटीन में गया। वहां उसने अपने थैले से लंच बॉक्स निकाला और धीरे-धीरे अकेला ही खाने लगा। मैं उसके सामने की बेंच पर जाकर बैठ गया। मैंने कहा कि तुम्हारे पास तो बहुत काम है। रोज़ बहुत से नए-नए लोगों से मिलते होंगे ? वह कहने लगा कि हा...