अनासक्ति का सिद्धान्त (भाग - 13)
👼👼💧💧👼💧💧👼👼 अनासक्ति का सिद्धान्त (भाग - 13 ) द्वारा - श्री शुद्धात्म प्रकाश भारिल्ल Law of Detachment by Sh. S. P. Bharill Image by HeungSoon from Pixabay पिछले प्रकरण में हमने जाना कि जिस वस्तु का संयोग होता है, उसका एक न एक दिन वियोग अवश्य होता है। क्या आप बता सकते हैं कि पिछले 6 महीने में ऐसी कौन-कौन सी घटनाएं हुई जिनके कारण आप दुःखी हुए हो। यदि आप ध्यान से सोचेंगे तो आपको पता चलेगा कि यह सारा दुःख हमारी Attachment के कारण ही था। वास्तव में दुःख के दो ही कारण होते हैं - या तो इष्ट वस्तु का वियोग हुआ या अनिष्ट वस्तु का संयोग हुआ। जिसे हम चाहते थे, वह हमसे बिछड़ गई या जिसे हम नहीं चाहते थे, उसके साथ हमें रहना पड़ा। दोनों ही कारण आपकी Attachment यानी आसक्ति का परिणाम था। क्या उनका वियोग या संयोग कोई अनहोनी घटना थी ? या ऐसा होना ही था। यदि जड़ पदार्थ से Attachment हुई तो उसका वियोग निश्चित था क्योंकि वह अनादि से अनंत काल तक साथ रहने वाले थे ही नहीं। यह तो त्रिकाल में भी संभव नहीं था। मेरे ज्ञान में तो यह होना चाहिए कि मैं Attachment केवल उनके साथ ही रखूँगा जो अनादि काल से ...