आहार का प्रभाव
👼👼💧💧👼💧💧👼👼 आहार का प्रभाव Image by 신희 이 from Pixabay गलत आहार का गलत प्रभाव पड़ता है। किसी नगर में एक भिखारिन एक गृहस्थी के यहाँ नित्य भीख मांगने जाती थी। गृहिणी नित्य ही उसे एक मुठ्ठी भात दे दिया करती थी। यह बुढ़िया का दैनिक कार्य था और महीनों से नहीं, कई वर्षों से यह कार्य बिना रुकावट के चल रहा था। एक दिन भिखारिन चावलों की भीख खाकर ज्यों ही द्वार से मुड़ी, गली में गृहिणी का ढाई वर्ष का बालक खेलता हुआ दिखाई दिया। बालक के गले में एक सोने की जंजीर थी। बुढ़िया की नीयत बदलते देर न लगी। इधर-उधर दृष्टि दौड़ाई, गली में कोई और दिखाई नहीं पड़ा। बुढ़िया ने बालक के गले से जंजीर ले ली और चलती बनी। घर पहुँची, अपनी बाकी भीख यथास्थान रखी और बैठ गई। सोचने लगी, “जंजीर को सुनार के पास ले जाऊंगी और इसे बेचकर पैसे खरे करूँगी।” यह सोचकर जंजीर एक कोने में एक ईंट के नीचे रख दी। भोजन बनाकर और खा पीकर सो गई। प्रातःकाल उठी, शौचादि से निवृत्त हुई तो जंजीर के सम्बन्ध में जो विचार सुनार के पास ले जाकर धन राशि बटोरने का आया था, उसमें तुरंत परिवर्तन आ गया। बुढ़िया के मन में बड़ा क्षोभ पैदा हो गया। सोचने लगी - “यह...