बीता हुआ कल
👼👼💧💧👼💧💧👼👼
बीता हुआ कल
Image by Teuvo Uusitalo from Pixabay
एक संत एक गाँव में उपदेश दे रहे थे। उन्होंने कहा कि “हर किसी को धरती माता की तरह सहनशील तथा क्षमाशील होना चाहिए। क्रोध ऐसी आग है जिसमें क्रोध करने वाला दूसरों को भी जलाएगा तथा खुद भी जल जाएगा।”
सभा में सभी शान्ति से संत की वाणी सुन रहे थे, लेकिन वहाँ स्वभाव से ही अतिक्रोधी एक ऐसा व्यक्ति भी बैठा हुआ था, जिसे ये सारी बातें बेतुकी लग रही थी। वह कुछ देर ये सब सुनता रहा, फिर अचानक ही आग-बबूला होकर बोलने लगा, “तुम पाखंडी हो। बड़ी-बड़ी बातें करना यही तुम्हारा काम है। तुम लोगों को भ्रमित कर रहे हो। तुम्हारी ये बातें आज के समय में कोई मायने नहीं रखती।”
ऐसे कई कटु वचनों को सुनकर भी संत शांत रहे। उसकी बातों से न तो वे दुःखी हुए, न ही कोई प्रतिक्रिया की। यह देखकर वह व्यक्ति और भी क्रोधित हो गया और संत के मुंह पर थूक कर वहाँ से चला गया।
अगले दिन जब उस व्यक्ति का क्रोध शांत हुआ, तो वह अपने बुरे व्यवहार के कारण पछतावे की आग में जलने लगा और वह उन्हें ढूंढते हुए उसी स्थान पर पहुँचा, पर संत कहाँ मिलते? वे तो अपने शिष्यों के साथ पास वाले एक अन्य गाँव निकल चुके थे।
व्यक्ति ने संत के बारे में लोगों से पूछा और ढूंढते-ढूंढते जहाँ संत प्रवचन दे रहे थे, वहाँ पहुँच गया। उन्हें देखते ही वह उनके चरणो में गिर पड़ा और बोला, “मुझे क्षमा कीजिए, प्रभु!”
संत ने पूछा - “कौन हो, भाई? तुम्हें क्या हुआ है? क्यों क्षमा मांग रहे हो?”
उसने कहा - “क्या आप भूल गए? मैं वही हूँ, जिसने कल आपके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया था। मै शर्मिंदा हूँ। मैं अपने दुष्ट आचरण की क्षमायाचना करने आया हूँ।”
संत ने प्रेमपूर्वक कहा - “बीता हुआ कल तो मैं वहीं छोड़कर आ गया और तुम अभी भी वहीं अटके हुए हो। तुम्हें अपनी गलती का आभास हो गया, तुमने पश्चाताप कर लिया; तुम निर्मल हो चुके हो। अब तुम आज में प्रवेश करो। बुरी बातें तथा बुरी घटनाएँ याद करते रहने से वर्तमान और भविष्य दोनों बिगड़ते जाते हैं। बीते हुए कल के कारण आज को मत बिगाड़ो।”
उस व्यक्ति के मन का सारा बोझ उतर गया। उसने संत के चरणों में पड़कर क्रोध त्याग का तथा क्षमाशीलता का संकल्प लिया; संत ने उसके मस्तिष्क पर आशीष का हाथ रखा। उस दिन से उसमें परिवर्तन आ गया और उसके जीवन में सत्य, प्रेम व करुणा की धारा बहने लगी।
शिक्षा -
मित्रों! बहुत बार हम भूत में की गयी किसी गलती के बारे में सोच कर बार-बार दुःखी होते हैं और खुद को कोसते हैं। हमें ऐसा कभी नहीं करना चाहिए, गलती का बोध हो जाने पर हमें उसे कभी न दोहराने का संकल्प लेना चाहिए और एक नयी ऊर्जा के साथ वर्तमान को सुदृढ़ बनाना चाहिए।
--
सरिता जैन
सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका
हिसार
🙏🙏🙏
विनम्र निवेदन
यदि आपको यह लेख प्रेरणादायक और प्रसन्नता देने वाला लगा हो तो कृपया comment के द्वारा अपने विचारों से अवगत करवाएं और दूसरे लोग भी प्रेरणा ले सकें इसलिए अधिक-से-अधिक share करें।
धन्यवाद।
Comments
Post a Comment