अंगूठी की कीमत

👼👼💧💧👼💧💧👼👼

अंगूठी की कीमत

Image by Mary Basket from Pixabay

एक नौजवान शिष्य अपने गुरु के पास पहुँचा और बोला, “गुरु जी! एक बात समझ नहीं आती, आप इतने साधारण वस्त्र क्यों पहनते हैं? इन्हें देख कर लगता ही नहीं कि आप एक ज्ञानी व्यक्ति हैं, जो सैकड़ों शिष्यों को शिक्षित करने का महान कार्य करता है।”

गुरु जी मुस्कुराये। फिर उन्होंने अपनी ऊँगली से एक अंगूठी निकाली और शिष्य को देते हुए बोले, “मैं तुम्हारी जिज्ञासा अवश्य शांत करूँगा, लेकिन पहले तुम मेरा एक छोटा सा काम कर दो। इस अंगूठी को लेकर बाजार जाओ और किसी सब्जी वाले या ऐसे ही किसी दुकानदार को इसे बेच दो। बस इतना ध्यान रहे कि इसके बदले कम से कम सोने की एक अशर्फी जरूर लाना।

शिष्य फौरन उस अंगूठी को लेकर बाजार गया पर थोड़ी देर में अंगूठी वापस लेकर लौट आया।

“क्या हुआ, तुम इसे लेकर क्यों लौट आये?”, गुरु जी ने पूछा।

“गुरु जी! दरअसल मैंने इसे सब्जी वाले, किराना वाले और अन्य दुकानदारों को बेचने का प्रयास किया पर कोई भी इसके बदले सोने की एक अशर्फी देने को तैयार नहीं हुआ।”

गुरु जी बोले, “अच्छा! कोई बात नहीं। अब तुम इसे लेकर किसी जौहरी के पास जाओ और इसे बेचने की कोशिश करो।”

शिष्य एक बार फिर अंगूठी लेकर निकल पड़ा, पर इस बार भी कुछ ही देर में वापस आ गया।

“क्या हुआ? इस बार भी कोई इसके बदले 1 अशर्फी भी देने को तैयार नहीं हुआ?”, गुरुजी ने पूछा।

शिष्य के हाव-भाव कुछ अजीब लग रहे थे। वह घबराते हुए बोला, “अरररे...., नहीं, गुरु जी! इस बार मैं जिस किसी जौहरी के पास गया, सभी ने यह कहते हुए मुझे लौटा दिया कि यहाँ के सारे जौहरी मिलकर भी इस अनमोल हीरे को नहीं खरीद सकते। इसके लिए तो लाखों अशर्फियाँ भी कम हैं।”

“यही तुम्हारे प्रश्न का उत्तर है।” गुरु जी बोले, “जिस प्रकार ऊपर से देखने पर इस अनमोल अंगूठी की कीमत का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता, उसी प्रकार किसी व्यक्ति के वस्त्रों को देखकर उसे आँका नहीं जा सकता। व्यक्ति की वेशभूषा कैसी भी हो, लेकिन उसका अंतर्ज्ञान ही उसकी असली वेशभूषा है।”

शिष्य की जिज्ञासा शांत हो चुकी थी।

--

सरिता जैन

सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका

हिसार

🙏🙏🙏


विनम्र निवेदन

यदि आपको यह लेख प्रेरणादायक और प्रसन्नता देने वाला लगा हो तो कृपया comment के द्वारा अपने विचारों से अवगत करवाएं और दूसरे लोग भी प्रेरणा ले सकें इसलिए अधिक-से-अधिक share करें।

धन्यवाद।

Comments

Popular posts from this blog

अगली यात्रा - प्रेरक प्रसंग

Y for Yourself

आज की मंथरा

आज का जीवन -मंत्र

बुजुर्गों की सेवा की जीते जी

स्त्री के अपमान का दंड

आपस की फूट, जगत की लूट

वाणी हमारे व्यक्तित्व का दर्पण है

मीठी वाणी - सुखी जीवन का आधार

वाणी बने न बाण