हिमालय की चोटी

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हिमालय की चोटी

Image by Anastasia Kuleshova from Pixabay

एक बार एक यात्री होता है जिसका सपना था हिमालय की चोटी तक चढ़ना और एक दिन वह अपने सपने को पूरा करने में लग जाता है। पर कुछ देर बाद उसकी हिम्मत टूटने लगती है। उसे लगता है कि वह अपना सपना पूरा नहीं कर पायेगा। तभी वह एक बूढ़े ज्ञानी आदमी को वहाँ से गुजरते हुए देखता है।

वह यात्री उनके पास जाता है और बोलता है - मैं हिमालय की चोटी तक पहुंचना चाहता हूँ, पर मैं अभी से थक गया हूँ। शायद मुझमें वह हिम्मत और ताकत नहीं, जिससे मैं अपना सपना पूरा कर सकूँ।

तभी वह बूढ़े ज्ञानी मुस्कुराते हुए कहते हैं - तुम अभी से हार इसलिए मान रहे हो, क्योंकि तुम गलती कर रहे हो। तुम इसलिए थक गए और निराश हो रहे हो, क्योंकि तुम अभी से सिर्फ हिमालय की चोटी पर कब पहुँचोगे, वही सोच रहे हो। वह कितना ज्यादा दूर है अभी भी और तुम्हें न जाने कितनी ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी, इन्हीं चीजों पर तुम्हारा ध्यान है।

उन्होंने समझाया कि यदि तुम्हें हिमालय की चोटी तक पहुंचना है, तो अभी अपना ध्यान सिर्फ अपने अगले कदम पर लगाओ। उस एक-एक कदम के बारे में सोचो जो तुम आगे बढ़ाओगे और अभी बढ़ाओगे।

इस बात पर यात्री ने कुछ देर सोचा और इसके पीछे छुपा मतलब उसे समझ आ गया और वह अपना पूरा ध्यान अपने एक-एक कदम पर लगाने लगा, जिससे फिर अंत में परिणाम यह हुआ कि वह हिमालय की चोटी तक पहुंच गया, वह भी बिना हार माने।

अब एक सवाल?

क्या आप भी उस यात्री की तरह अपने लक्ष्य के रास्ते में ही हार मान गए हो? क्या आपकी हिम्मत जवाब दे रही है, फिकर हो रही है कि आपको और कितनी मेहनत करनी पड़ेगी?

तो जवाब सरल है। दूर खड़े उस लक्ष्य के बारे में इतना मत सोचिये। अभी आपका पूरा ध्यान आपके अगले कदम पर लगाईये। आज अभी आप क्या बेहतर कदम ले सकते हो, अपने लक्ष्य की तरफ। बस! वहीं अपना ध्यान लगाइये और यही हर एक कदम आपको नयी हिम्मत देगा और प्रेरणा देगा अपने सपने की ओर ले जाने के लिए।

हर बड़ी मंजिल हासिल है, बस तू डर मत, जुट जा।

देख भरे हैं तुझमें हौसले, चल कदम उठा।

इस कहानी में और कई मुख्य बातें हैं, जिन्हें आप सीख कर अपने सपने को पूरा करने की ओर लग सकते हैं।

कहानी का मुख्य संदेश

हर इंसान में ये काबिलियत होती है कि वह अपना हर सपना पूरा कर सके, पर हर कोई सफल क्यों नहीं हो पाता, क्योंकि वे तुरंत सफल होना चाहते हैं या फिर आधे में ही हार मान जाते हैं। इसीलिए अगर आपको सफल होना है तो धैर्य रखें और अपना पूरा ध्यान हर उस छोटे-छोटे कदम पर दें, जो आपको आपके लक्ष्य की ओर ले जाए।

बड़े लक्ष्य ज्यादातर हमें डरा देते हैं। हम सोचते हैं कि कैसे होगा, कितनी मेहनत लगेगी। अभी भी मैं कितना पीछे हूँ। तो अपने उस बड़े गोल को छोटे-छोटे लक्ष्य में बाँट दें और अभी इस पल आप कितना काम कर सकते हैं, उस लक्ष्य पर ध्यान दें और उसे पूरा करें।

जीवन में ऐसा कई बार होगा, जब आपको कुछ बदलता हुआ नहीं दिखेगा। आप मेहनत तो कर रहे हो, पर उसका परिणाम न के बराबर आ रहा होगा। इसलिए आपकी हिम्मत जवाब देने लगेगी और आपको काम करने का मन नहीं करेगा। तब आपको रुक कर अपनी प्रक्रिया पर ध्यान देने की जरूरत है। यह जानने की जरूरत है कि कहीं कुछ चूक तो नहीं हो रही है। जब आप अपनी प्रक्रिया को शांति से समझोगे और उसे सुधारोगे, तो अच्छे परिणाम दिखने लगेंगे।

सफलता रातों रात नहीं मिलती। हर सफलता कुछ कीमत मांगती है और कीमत है - सही समय पर सही काम करना और अपनी पूरी लगन उसमें झोंक देना। हमें लोगों का सफल होना तो दिखता है, पर उसके पीछे छिपी कड़ी मेहनत नज़र नहीं आती। तो उनकी मेहनत को देखें और उससे अच्छी तरह सबक लें।

इंसान को तुरंत परिणाम के पीछे भागने की आदत होती है, पर धैर्य रखना जरूरी होता है। वास्तव में कोई भी बड़ी सफलता समय लेती है पूरी होने में।

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सरिता जैन

सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका

हिसार

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विनम्र निवेदन

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