जरूरतमंद की सेवा
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जरूरतमंद की सेवा
Image by Claudia Peters from Pixabay
जरूरतमंद की सेवा सबसे बड़ी सेवा है।
एक वैद्य गुरु गोविंद सिंह जी के दर्शन हेतु आनन्दपुर गया। वहाँ गुरुजी से मिलने पर उन्होंने कहा कि जाओ और जरूरतमंदों की सेवा करो।
वापस आकर वह रोगियों की सेवा में जुट गया। शीघ्र ही वह पूरे शहर में प्रसिद्ध हो गया।
एक बार गुरु गोविंद सिंह स्वयं उसके घर पर आए। वह बहुत प्रसन्न हुआ, लेकिन गुरुजी ने कहा कि वे कुछ देर ही ठहरेंगे। तभी एक व्यक्ति भागता हुआ आया और बोला, “वैद्य जी, मेरी पत्नी की तबियत बहुत खराब है। जल्दी चलिए अन्यथा बहुत देर हो जायेगी।”
वैद्य जी असमंजस में पड़ गए। एक ओर गुरु थे, जो पहली बार उनके घर आये थे। दूसरी ओर एक जरूरतमंद रोगी था। अंततः वैद्य जी ने कर्म को प्रधानता दी और इलाज के लिए चले गए।
लगभग दो घंटे के इलाज और देखभाल के बाद रोगी की हालत में सुधार हुआ। तब वे वहाँ से चले।
उदास मन से उन्होंने सोचा कि गुरुजी के पास समय नहीं था, अब तक तो वे चले गए होंगे। फिर भी वैद्य जी भागते हुए वापस घर पहुंचे।
घर पहुंचकर उन्हें घोर आश्चर्य हुआ। गुरुजी बैठे उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे। वैद्य जी उनके चरणों पर गिर पड़े। गुरु गोविंद सिंह जी ने उन्हें गले से लगा लिया और कहा, “तुम मेरे सच्चे शिष्य हो। सबसे बड़ी सेवा जरूरतमंदों की मदद करना है।”
शिक्षा -
दीन-दुखियों और जरूरतमंदों की सेवा सबसे पहले की जानी चाहिए।
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सरिता जैन
सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका
हिसार
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