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Showing posts from May, 2025

निवाला

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निवाला पिछली रात बड़ी बेचैनी से कटी....बमुश्किल सुबह एक रोटी खाकर घर से अपनी दुकान के लिए निकला..... आज किसी के पेट पर पहली बार लात मारने जा रहा हूं, यह बात अंदर ही अंदर कचोट रही है.... जिंदगी में यही फ़लसफ़ा रहा मेरा .... अपने आस-पास किसी को रोटी के लिए तरसना न पड़े..... पर इस विकट काल में अपने पेट पर ही आन पड़ी है... दो साल पहले ही अपनी सारी जमा पूंजी लगाकर कपड़े का शोरूम खोला था, मगर दुकान के सामान की बिक्री, अब आधी हो गई है। अपनी कपड़े की दुकान में दो लड़कों और दो लड़कियों को रखा है मैंने ग्राहकों को कपड़े दिखाने के लिए... लेडीज डिपार्टमेंट की दोनों लड़कियों को निकाल नहीं सकता...  एक तो कपड़ो की बिक्री उन्हीं की ज्यादा है, दूसरे वे दोनों बहुत ग़रीब हैं। दो लड़कों में से एक पुराना है और वह घर में इकलौता कमाने वाला है।  जो नया वाला लड़का है दीपक....मैंने विचार उसी पर किया है। शायद उसका एक भाई भी है, जो अच्छी जगह नौकरी करता है और वह खुद, तेजतर्रार और हँसमुख भी है। उसे कहीं और भी काम मिल सकता है...  पिछले सात महीनों में....मैं बिलकुल टूट चुका हूं। स्थिति को देखते हुए एक वर्कर कम करना मे...

जीवन रथ

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  जीवन रथ एक संत एक छोटे से आश्रम का संचालन करते थे। एक दिन पास के रास्ते से एक राहगीर को पकड़कर अंदर ले आए और शिष्यों के सामने उससे प्रश्न किया कि यदि तुम्हें सोने की अशर्फियों की थैली रास्ते में पड़ी मिल जाए, तो तुम क्या करोगे?  वह आदमी बोला - “तत्क्षण उसके मालिक का पता लगाकर उसे वापस कर दूंगा, अन्यथा राजकोष में जमा करा दूंगा।“  संत हंसे और राहगीर को विदा कर शिष्यों से बोले - “यह आदमी मूर्ख है।“  शिष्य बड़े हैरान हुए कि गुरुजी क्या कह रहे हैं? इस आदमी ने ठीक ही तो कहा है तथा सभी को ही यह सिखाया गया है कि ऐसे किसी परायी वस्तु को ग्रहण नहीं करना चाहिए।    थोड़ी देर बाद फिर संत किसी दूसरे को अंदर ले आए और उससे भी वही प्रश्न दोहरा दिया।  उस दूसरे राहगीर ने उत्तर दिया कि क्या मुझे निरा मूर्ख समझ रखा है, जो स्वर्ण मुद्राएं पड़ी मिलें और मैं लौटाने के लिए मालिक को खोजता फिरूं? तुमने मुझे समझा क्या है?          वह राहगीर जब चला गया तो संत ने कहा - “यह व्यक्ति शैतान है।“ शिष्य बड़े हैरान हुए कि पहला मूर्ख और दूसरा शैतान, फिर गुरुजी चाहते क्...

आ अब लौट चलें

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आ अब लौट चलें “यदि हमने जीवन के 50 वर्ष पार कर लिए हैं, तो अब लौटने की तैयारी प्रारंभ करें... इससे पहले  कि देर हो जाये...इससे पहले कि सब किया धरा निरर्थक हो जाये..“ लौटना क्यों है? लौटना कहाँ है? लौटना कैसे है? इसे जानने, समझने एवं लौटने का निर्णय लेने के लिए आइये! टॉलस्टाय की मशहूर कहानी एक बार फिर से पढ़ते हैं।... आज पुनः एक बार फिर आपके साथ हम इस कहानी को साझा कर रहे हैं :- “लौटना कभी आसान नहीं होता“ एक आदमी राजा के पास गया और कहा कि वह बहुत ग़रीब है, उसके पास कुछ भी नहीं है, उसे मदद चाहिए...राजा दयालु था।...उसने पूछा कि “क्या मदद चाहिए...?“ आदमी ने कहा.. “थोड़ा-सा भूखंड...“ राजा ने कहा, “कल सुबह सूर्योदय के समय तुम यहां आना...खाली ज़मीन पर तुम दौड़ लगाना। जितनी दूर तक दौड़ पाओगे, वह पूरा भूखंड तुम्हारा। परंतु ध्यान रहे,....जहां से तुम दौड़ना शुरू करोगे, सूर्यास्त तक तुम्हें वहीं लौट आना होगा, जितना भूखंड नापा, सब तुम्हारा।... अन्यथा तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा...!“ ”यह भी याद रहे कि भूखंड की भूख जीवन से कभी मूल्यवान नहीं होती। जीवन है, तो भूखण्ड की कीमत है, जीवन नहीं, तो वह भूख...