मधुर सम्बन्धः आनन्द का आधार
👼👼👼👼👼👼👼👼👼👼 दुःख को सुख में बदलने की कला मधुर सम्बन्धः आनन्द का आधार Image by Susanne Jutzeler, suju-foto from Pixabay मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। जब तक समाज के साथ प्रेम और आत्मीयता के सम्बन्ध नहीं होंगे, तब तक हम अपने जीवन को आनन्दपूर्वक व्यतीत नहीं कर सकते। समाज बनता है परिवार से और परिवार बनता है एक ही छत के नीचे रहने वाले परिवार के सदस्यों से। इसलिए मधुर सम्बन्धों का आरम्भ अपने परिवार से करो। इकट्ठा तो पशुओं का झुंड भी रहता है, पर उनमें परस्पर संवेदनशीलता का अभाव होता है। वे केवल भषण करना जानते हैं। भषण का अर्थ है - भौंकना। उनकी संवेदना केवल स्वयं तक ही रहती है कि मुझे भक्षण अर्थात् खाने के लिए मिलता रहना चाहिए, चाहे दूसरे से छीन कर खाना पड़े। मनुष्य का समाज के सभी लोगों से वास्ता पड़ता है। यदि दूसरे के लिए कुछ त्याग भी करना पड़े तो उसमें भी आनन्द का अनुभव करता है। हर समय स्वार्थ की भावना उसके मन में द्वन्द्व पैदा करती है और Relations में मिठास के स्थान पर खटास आने लगती है। आप स्वयं निरीक्षण करें कि आपके आपसी सम्बन्धों में कितनी तिक्तता है और कितनी मधुरता ? Relation...