मधुर सम्बन्धः आनन्द का आधार
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दुःख को सुख में बदलने की कला
मधुर सम्बन्धः आनन्द का आधार
Image by Susanne Jutzeler, suju-foto from Pixabay
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। जब तक समाज के साथ प्रेम और आत्मीयता के सम्बन्ध नहीं होंगे, तब तक हम अपने जीवन को आनन्दपूर्वक व्यतीत नहीं कर सकते। समाज बनता है परिवार से और परिवार बनता है एक ही छत के नीचे रहने वाले परिवार के सदस्यों से। इसलिए मधुर सम्बन्धों का आरम्भ अपने परिवार से करो।
इकट्ठा तो पशुओं का झुंड भी रहता है, पर उनमें परस्पर संवेदनशीलता का अभाव होता है। वे केवल भषण करना जानते हैं। भषण का अर्थ है - भौंकना। उनकी संवेदना केवल स्वयं तक ही रहती है कि मुझे भक्षण अर्थात् खाने के लिए मिलता रहना चाहिए, चाहे दूसरे से छीन कर खाना पड़े।
मनुष्य का समाज के सभी लोगों से वास्ता पड़ता है। यदि दूसरे के लिए कुछ त्याग भी करना पड़े तो उसमें भी आनन्द का अनुभव करता है। हर समय स्वार्थ की भावना उसके मन में द्वन्द्व पैदा करती है और Relations में मिठास के स्थान पर खटास आने लगती है।
आप स्वयं निरीक्षण करें कि आपके आपसी सम्बन्धों में कितनी तिक्तता है और कितनी मधुरता? Relation होना या बनाना अलग बात है और Relation को Maintain रखना अलग बात है।
एक व्यक्ति ने पूरे मन से भगवान की पूजा की। देवता प्रगट हुआ और बोला कि मैं तुम्हारी पूजा से प्रसन्न हुआ। मांगो, क्या वर मांगते हो? जो तुम मांगोगे, वह तुम्हारे जैसे 10 आदमियों को स्वयं ही मिल जाएगा। वह उदार-वृत्ति वाला और सबके साथ मधुर सम्बन्ध रखने वाला होता तो इसी भावना से प्रसन्न हो जाता कि अच्छा है, सबको वरदान मिलेगा। लेकिन उसने अपने 10 कट्टर दुश्मनों की List बनाई कि जो मैं मांगू, वह इन को छोड़कर बाकी चाहे सबको मिल जाए।
हमारे मन में उभरना चाहिए प्रेम और पनपता है विद्वेष। आज रिश्तों में रस क्यों नहीं है? हम रिश्ते निभा रहे हैं या ढो रहे हैं?
वास्तव में हमारे पास 4 प्रकार की कमियां हैं - समझ, समादर, समय और स्नेह।
1. समझ की कमी - परिवार या समाज में एक दूसरे के प्रति भावनाओं की सही समझ होगी तो वह Relation अधिक समय तक चलेगा। एक परिवार में सब की योग्यता अलग-अलग होती है लेकिन सबका महत्त्व एक समान होता है। हम एक का दूसरे से Comparision न करें अपितु उनको योग्यता के अनुसार महत्त्व देंगे तो हम अपने Relation को Maintain कर सकते हैं। हम एक के गुणों की दूसरे के साथ तुलना करते रहते हैं। यह कोई नाप-तौल विभाग है क्या? अपना परिवार है। सबकी Importance समझो। विवेक से काम लो और अपने संबंधों में मिठास घोलो।
2. समादर की कमी - परिवार में छोटे बड़ों को समुचित आदर दें और बड़े छोटों की भावनाओं की कद्र करें। उन्हें पर्याप्त स्नेह और आशीर्वाद दें। वरना सगे को पराया होते देर नहीं लगती। अपने कर्मचारियों व नौकरों को भी योग्य समादर दें तो वे बिना कहे आपकी आज्ञा का पालन करेंगे।
एक व्यक्ति के यहाँ उसके पिताजी के समय से पिता की ही उम्र का एक व्यक्ति ड्राइवर का काम करता था। पिता के बाद वह बेटे की कार चलाने लगा। एक दिन ड्राइवर का बेटा बीमार हो गया और उसे आने में देर हो गई। व्यक्ति ने सोचा कि आज मैं खुद ही कार चलाकर Office चला जाता हूँ। तभी वह ड्राइवर भी आ गया, लेकिन उस व्यक्ति ने कहा कि चलो काका! आप पीछे बैठो। मैं आपको घर छोड़कर आता हूँ। पहले आप अपने बेटे को संभालो। जब वह ठीक हो जाए, तब काम पर आ जाना।
ऐसा करने से उनके संबंध पहले से भी मधुर हो गए।
मुम्बई में एक व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ Taxi में अपने घर जा रहा था। घर पहुँचने पर उसने Taxi का भाड़ा दिया और Taxi Driver को धन्यवाद दिया। Taxi Driver हैरान था। उसने पूछ ही लिया कि मैंने तो अपना काम किया और किराया लिया, फिर यह धन्यवाद क्यों?
क्योंकि तुमने हमें सही सलामत घर तक पहुँचाया है। मेरे और मेरी पत्नी से ही हमारा घर चलता है। अब उस Taxi Driver को Realise हुआ कि कई बार मैं शराब पीकर भी Taxi चलाता हूँ जो बिल्कुल ग़लत है। मैं किसी के परिवार की जान जोखिम में नहीं डाल सकता। उस दिन से एक धन्यवाद के कारण उसने शराब पीना छोड़ दिया।
3. समय की कमी - पारिवारिक व सामाजिक Relation को Maintain करने के लिए समय देना बहुत ज़रूरी है। एक बच्चे का जन्म दिन था और वह सुबह से अपने पिता की प्रतीक्षा कर रहा था, क्योंकि पिता ने उसे जन्म दिन पर Gift देने का वायदा किया था। उसके सोने का समय हो गया और पिता अपनी कमाई में ही व्यस्त थे।
रात को भी बिना Gift लिए आए। क्या करते याद ही नहीं रहा। आते ही बेटे ने पूछा कि पापा! मेरा Gift लाए हो?
‘नहीं। क्या करूँ? याद ही नहीं रहा।’
‘पापा! आप एक घंटे में कितना कमाते हैं?’
‘बेटा! यही कोई 5000 रुपए।’
बेटा तुरन्त अन्दर गया और अपनी गुल्लक ले आया। अपने पिता को देते हुए बोला कि इसमें मैं ने 5000 रुपए जमा कर रखे हैं। आप Please यह ले लो और अपना एक घंटा मुझे दे दो।
अब पिता को समझ आई कि संबंध बनाए रखने के लिए बच्चे को Money नहीं, Time चाहिए।
समय पर घर आ भी जाएं, तो पत्नी व बच्चों को देने की बजाय सारा समय मोबाइल और Facebook खा जाता है।
एक पत्नी ने अपने पति के सामने खाने की थाली रखी और पति अपने मोबाइल में व्यस्त होकर खाना खाने लगा। कुछ समय बाद उसने पत्नी को आवाज़ दी कि तुम ने कैसा खाना बनाया है? दाल में न नमक है, न मिर्च है।
पत्नी ने कहा कि हाँ! मैं भी बहुत देर से देख रही हूँ। दाल तो यों की यों रखी है और पानी में रोटी डुबो-डुबो कर खाए जा रहे हो। फीका तो लगेगा ही।
4. स्नेह की कमी - संबंधों में मधुरता आएगी कहाँ से? हर समय एक दूसरे की गलतियों पर दृष्टि रहती है। दूसरे की गलतियों को नज़रअन्दाज़ करके और अपनी गलतियों को स्वीकार करके ही संबंधों में मिठास आती है। एक की पत्नी को जब गुस्सा आता था तो वह कहती - G.S.T.-G.S.T. एक दिन पति ने पूछ ही लिया कि यह कोई नया Tax है क्या? बोली कि इसका मतलब है - G for गलती, S for सिर्फ, T for तुम्हारी। गलती सिर्फ तुम्हारी। मैं तो कभी ग़लती करती ही नहीं।
सभी के व्यवहार में कुछ कमियां होती हैं, तभी संबंधों में कटुता आती है।
उसे सुधारने के लिए हमें एक-दूसरे के प्रति असहिष्णुता, पक्षपात, शंका और उपेक्षा से बचना चाहिए। स्नेहपूर्ण व्यवहार ही हमारे संबंधों को प्रगाढ़ बनाता है।
अतः Relation को Maintain करो और जीवन में समरसता लाओ।
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सरिता जैन
सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका
हिसार
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