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Showing posts from June, 2021

भगवान के नाम की अलौकिक शक्ति

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 भगवान के नाम की अलौकिक शक्ति Image by Ralf Kunze from Pixabay एक बार की बात है, बैकुंठ लोक में भगवान विष्णु के पास देवर्षि नारद गए और भगवान से जिज्ञासा प्रकट की कि भगवन्! मैं नाम की महिमा जानना चाहता हूँ। भगवान ने कहा कि मेरे नाम की महिमा जानना चाहते हो तो मृत्युलोक में जाओ और किसी कीड़े के सम्मुख जाकर मेरे दिव्य नाम का उच्चारण करो। नारद जी मृत्युलोक में गए और देखा कि एक कीड़ा अपनी स्वाभाविक गति से रेंग रहा है। नारद जी ने उसके सम्मुख भगवान के दिव्य नाम का उच्चारण किया। कीड़ा उसी क्षण मर गया। नारद जी भगवान के पास आए और शिकायत करने लगे कि भगवान आपका दिव्य नाम सुनते ही कीड़ा तो मर गया। भगवान मुस्कुराए और कहा - मृत्यु लोक में पुनः जाओ। वहां पर फूल पर तितली बैठी होगी। उसे मेरा नाम सुनाओ। नारद जी मृत्युलोक में गए और देखा कि एक फूल पर मस्ती से तितली बैठी है। उसे भगवान का नाम सुनाया। तितली नाम सुनते ही मर गई। नारद जी फिर भगवान के पास गए और कहा कि भगवान आपके नाम को सुनते ही तितली तो मर गई। भगवान ने कहा कि कोई बात नहीं। इस बार किसी हिरनी के शावक को मेरा नाम सुनाओ। नारद जी मृत्य...

हँसने का बहाना

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 हँसने का बहाना Image by Ilona Ilyés from Pixabay एक सासु माँ और बहू थी। सासु माँ हर रोज ठाकुर जी की पूरे नियम और श्रद्धा के साथ सेवा करती थी। एक दिन शरद ऋतु में सासु माँ को किसी कारणवश शहर से बाहर जाना पड़ा। सासु माँ ने विचार किया कि ठाकुर जी को साथ ले जाने से रास्ते में उनकी सेवा-पूजा नियम से नहीं हो सकेगी। अतः ठाकुर जी की सेवा का कार्य अब बहु को देना पड़ेगा लेकिन बहु को तो कोई अक्ल है ही नहीं कि ठाकुर जी की सेवा कैसे करनी है ? सासु माँ ने बहु को बुलाया और समझाया कि ठाकुर जी की सेवा कैसे करनी है। कैसे ठाकुर जी को लाड़ लड़ाना है। सासु माँ ने बहु को समझाया कि बहु! मैं यात्रा पर जा रही हूँ और अब ठाकुर जी की सेवा पूजा का सारा कार्य तुमको करना है। देख! ऐसे तीन बार घंटी बजाकर सुबह ठाकुर जी को जगाना। फिर ठाकुर जी को मंगल भोग कराना। फिर ठाकुर जी को स्नान करवाना। ठाकुर जी को कपड़े पहनाना। फिर ठाकुर जी का शृंगार करना और फिर ठाकुर जी को दर्पण दिखाना। दर्पण में ठाकुर जी का हंसता हुआ मुख देखना। बाद में ठाकुर जी को राजभोग लगाना। इस तरह सासु माँ बहु को सारे सेवा नियम समझा कर यात्रा...

स्वर्ग का सेब

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 स्वर्ग का सेब Image by PublicDomainPictures from Pixabay एक बार स्वर्ग से घोषणा हुई कि भगवान सेब बाँटने आ रहे हैं। सभी लोग भगवान के प्रसाद के लिए तैयार हो कर लाइन लगाकर खड़े हो गए। एक छोटी बच्ची बहुत उत्सुक थी क्योंकि वह पहली बार भगवान को देखने जा रही थी। एक बड़े और सुंदर सेब के साथ-साथ भगवान के दर्शन की कल्पना से ही खुश थी। अंत में प्रतीक्षा समाप्त हुई। बहुत लंबी कतार में जब उसका नम्बर आया तो भगवान ने उसे एक बड़ा और लाल सेब दिया। लेकिन जैसे ही वह सेब पकड़कर लाइन से बाहर निकली उसका सेब हाथ से छूटकर कीचड़ में गिर गया। बच्ची उदास हो गई। अब उसे दोबारा से लाइन में लगना पड़ेगा। दूसरी लाइन पहली से भी लंबी थी, लेकिन कोई और रास्ता नहीं था। सब लोग ईमानदारी से अपनी बारी-बारी से सेब लेकर जा रहे थे। अन्ततः वह बच्ची फिर से लाइन में लगी और अपनी बारी की प्रतीक्षा करने लगी। आधी कतार को सेब मिलने के बाद सेब ख़त्म होने लगे। अब तो बच्ची बहुत उदास हो गई। उसने सोचा कि उसकी बारी आने तक तो सब सेब खत्म हो जाएंगे। लेकिन वह ये नहीं जानती थी कि भगवान के भंडार कभी ख़ाली नही होते। जब तक उसकी बारी आ...

फूटा घड़ा

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 फूटा घड़ा Image by Veronika Andrews from Pixabay बहुत समय पहले की बात है। किसी गांव में एक किसान रहता था।               वह रोज़ सुबह दूर झरनों से साफ पानी लेने जाया करता था। इस काम के लिए वह अपने साथ दो घड़े ले जाता था, जिन्हें वह डंडे में बांधकर अपने कंधे पर दोनों ओर लटका लेता था। उनमें से एक घड़ा कहीं से फूटा हुआ था और दूसरा एकदम सही था। इस वजह से रोज़ घर पहुंचते-पहुंचते किसान के पास डेढ़ घड़ा पानी ही बच पाता था। सही घड़े को इस बात का घमंड था कि वह पूरा का पूरा पानी घर पहुंचाता है और उसके अन्दर कोई कमी नहीं है। दूसरी तरफ फूटा घड़ा इस बात से शर्मिंदा रहता था कि वह आधा पानी ही घर तक पहुंचा पाता है और किसान की मेहनत बेकार जाती है। फूटा घड़ा ये सब सोचकर बहुत परेशान रहने लगा और एक दिन उससे रहा नहीं गया। उसने किसान से कहा - मैं खुद पर शर्मिंदा हूँ और आपसे माफी मांगना चाहता हूँ। किसान ने पूछा - क्यों ? तुम किस बात से शर्मिंदा हो ? फूटा घड़ा बोला - शायद आप नहीं जानते पर मैं एक जगह से फूटा हुआ हूँ और पिछले दो साल...

ऐसे होते हैं दीनबंधु भगवान

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 ऐसे होते हैं दीनबंधु भगवान Image by gamagapix from Pixabay उड़ीसा जिले के याजपुर गाँव में बन्धु महान्ति रहते थे। उनके परिवार में पति-परायण पत्नी, एक बालक और दो बालिकाएँ थी। बन्धु बहुत ही गरीब था। भीख ही उसकी आजीविका थी। पर भीख माँग कर धन जोड़ना उसकी आदत नहीं थी। जो मिलता था, उससे एक दिन के खाने योग्य अन्न ले आता। उसी अन्न से अतिथि सेवा होती। यदि कुछ नहीं मिलता तो सारा परिवार ‘‘हरि का नाम” लेकर उपवास रख लेता। बाहर से देखने पर बन्धु-परिवार की स्थिति बहुत कष्टप्रद प्रतीत होती थी। परन्तु उनके हृदय में लेशमात्र क्लेश नहीं था। भगवान में अटल प्रेम और विश्वास ने उनके अन्तःस्थल को बहुत ही मधुरमयी बना रखा था। उनको किसी भी वस्तु की चाह नहीं थी। वे विषयी मनुष्यों की दृष्टि में दरिद्र भिखारी होने पर भी महान् धनी थे। ‘बादशाहों’ के बादशाह थे। एक बार उड़ीसा राज्य में भयंकर अकाल पड़ा। चारों ओर हाहाकार मच गया। तीन दिन हो गये। बन्धु परिवार उपवास कर रहा था। बच्चों की बिलबिलाहट से माता का हृदय द्रवित हो रहा था। स्त्री ने पति से कहा - स्वामी ! मेरे पिता के घर में तो कोई भी नहीं है जिससे सह...

दान की महिमा

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 दान की महिमा Image by Miroslav Kaclík from Pixabay बहुत समय पहले एक राजा था। वह अपनी न्यायप्रियता के कारण प्रजा में बहुत लोकप्रिय था। एक बार वह अपने दरबार में बैठा ही था कि अचानक उसके दिमाग में एक सवाल उभरा। सवाल था कि मनुष्य का मरने के बाद क्या होता होगा ? इस अज्ञात सवाल के उत्तर को पाने के लिए उस राजा ने अपने दरबार में सभी मंत्रियों आदि से मशविरा किया। सभी लोग राजा की इस जिज्ञासा भरी समस्या से चिंतित हो उठे। काफी देर सोचने-विचारने के बाद राजा ने यह निर्णय लिया कि मेरे सारे राज्य में यह ढिंढोरा पिटवा दिया जाए कि जो आदमी कब्र में मुरदे के समान लेटकर रात भर मरने के बाद कब्र में होने वाली सभी क्रियाओं का हवाला देगा, उसे पांच सौ सोने की मोहरें भेंट दी जाएंगी। राजा के आदेशानुसार सारे राज्य में उक्त ढिंढोरा पिटवा दिया गया। अब समस्या आई कि अच्छा-भला जीवित कौन व्यक्ति मरने को तैयार हो ? आखिरकार सारे राज्य में एक ऐसा व्यक्ति इस काम को करने के लिए तैयार हो गया, जो इतना कंजूस था कि वह सुख से खाता, पीता, सोता नहीं था। उसको राजा के पास पेश किया गया।  राजा के आदेशानुसार उ...