दान की महिमा
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दान की महिमा
Image by Miroslav Kaclík from Pixabay
बहुत समय पहले एक राजा था। वह अपनी न्यायप्रियता के कारण प्रजा में बहुत लोकप्रिय था। एक बार वह अपने दरबार में बैठा ही था कि अचानक उसके दिमाग में एक सवाल उभरा। सवाल था कि मनुष्य का मरने के बाद क्या होता होगा?
इस अज्ञात सवाल के उत्तर को पाने के लिए उस राजा ने अपने दरबार में सभी मंत्रियों आदि से मशविरा किया। सभी लोग राजा की इस जिज्ञासा भरी समस्या से चिंतित हो उठे। काफी देर सोचने-विचारने के बाद राजा ने यह निर्णय लिया कि मेरे सारे राज्य में यह ढिंढोरा पिटवा दिया जाए कि जो आदमी कब्र में मुरदे के समान लेटकर रात भर मरने के बाद कब्र में होने वाली सभी क्रियाओं का हवाला देगा, उसे पांच सौ सोने की मोहरें भेंट दी जाएंगी।
राजा के आदेशानुसार सारे राज्य में उक्त ढिंढोरा पिटवा दिया गया। अब समस्या आई कि अच्छा-भला जीवित कौन व्यक्ति मरने को तैयार हो? आखिरकार सारे राज्य में एक ऐसा व्यक्ति इस काम को करने के लिए तैयार हो गया, जो इतना कंजूस था कि वह सुख से खाता, पीता, सोता नहीं था। उसको राजा के पास पेश किया गया।
राजा के आदेशानुसार उसके लिए बढ़िया फूलों से सुसज्जित अर्थी बनाई गई। उसको उस पर लिटाकर बाकायदा श्वेत कफन से ढक दिया गया और उसे कब्रिस्तान ले जाया गया। घर से जाने पर रास्ते में एक फकीर ने उसका पीछा किया और उससे कहा कि अब तो तुम मरने जा रहे हो, घर में तुम अकेले हो। इतना धन तुम्हारे घर में ही कैद पड़ा रहेगा, मुझे कुछ दे दो। कंजूस के बार-बार मना करने पर भी फकीर ने कंजूस का पीछा नहीं छोड़ा और बार-बार कुछ मांगने की रट लगाए रहा।
कंजूस जब एकदम परेशान हो गया तो उसने कब्रिस्तान में पड़े बादाम के छिलकों के एक ढेर में से मुट्ठी भर छिलके उठाए और उस फकीर को दे दिए। बाद में कंजूस को एक कब्र में लिटा दिया गया और ऊपर से पूरी कब्र बंद कर दी गई। बस एक छोटा सा छेद सिर की तरफ इस आशा के साथ कर दिया गया कि वह इससे सांस लेता रहे और अगली सुबह राजा को मरने के बाद का पूरा हाल सुनाए। सभी लोग कंजूस को उस कब्र में लिटाकर चले गए।
रात होने पर एक सांप कब्र पर आया और छेद देखकर उसमें घुसने का प्रयत्न करने लगा। यह देखकर कब्र में लेटे कंजूस की घबराहट का ठिकाना न रहा। सांप ने जैसे ही घुसने का प्रयत्न किया तो उस छेद में पानी के साथ बह कर आए बादाम के छिलके आड़ बनकर आ गए।
सुबह होते ही राजा के सभी नौकर बड़ी जिज्ञासा के साथ कब्रिस्तान आए और जल्दी ही कब्र को खोदकर कंजूस को निकाला। मरने के बाद क्या होता है, यह हाल सुनाने के लिए कंजूस को राजा के पास चलने को कहा। कंजूस ने राजा के नौकरों की बात को थोड़ा भी नहीं सुना। वह पहले अपने घर गया और अपनी तमाम धन संपत्ति को गरीबों में बांट दिया। सब लोग कंजूस की अचानक दान करने की इस दयालुता को देखकर हैरान में पड़ गए। उनके मन में कई सवाल उठने लगे।
अंत में कंजूस को राज दरबार में पूरा हाल सुनाने के लिए राजा के सामने पेश किया गया। कंजूस ने बीती रात, सांप व बादाम के छिलकों के संघर्ष की पूरी कहानी कह सुनाई और कहा - महाराज, मरने के बाद सबसे ज्यादा दान ही काम आता है, जिसका फल मरने के बाद भी हमारी रक्षा करता है। दान करना ही सब धर्मों से श्रेष्ठ है।
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सरिता जैन
सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका
हिसार
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