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Showing posts from July, 2021

सब कुछ प्रभु पर छोड़ना

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 सब कुछ प्रभु पर छोड़ना Image by Capri23auto from Pixabay एक महात्मा थे। जीवन भर उन्होंने भजन ही किया था। उनकी कुटिया के सामने एक तालाब था। जब उनका शरीर छूटने का समय आया तो देखा कि एक बगुला मछली मार रहा है। उन्होंने बगुले को उड़ा दिया। इधर उनका शरीर छूटा तो नरक पहुँच गये। उनके चेले को स्वप्न में दिखायी पड़ा कि वे कह रहे थे - “बेटा! हमने जीवन भर कोई पाप नहीं किया, केवल बगुला उड़ा देने मात्र से नरक जाना पड़ा। तुम सावधान रहना।” जब शिष्य का भी शरीर छूटने का समय आया तो वही दृश्य पुनः आया। बगुला मछली पकड़ रहा था। गुरु का निर्देश मानकर उसने बगुले को नहीं उड़ाया। मरने पर वह भी नरक जाने लगा तो गुरुभाई को आकाशवाणी मिली कि गुरुजी ने बगुला उड़ाया था इसलिए नरक गये। हमने नहीं उड़ाया इसलिए हम नरक में जा रहे हैं। तुम बचना। गुरुभाई का शरीर छूटने का समय आया तो संयोग से पुनः बगुला मछली मारता दिखाई पड़ा। गुरुभाई ने भगवान् को प्रणाम किया कि भगवन्! आप ही मछली में हो और आप ही बगुले में भी। हमें नहीं मालूम कि क्या झूठ है ? क्या सच है ? कौन पाप है, कौन पुण्य ? आप अपनी व्यवस्था देखें। मुझे तो आपके...

क्षमा कीजिये पिता श्री

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 क्षमा कीजिये पिता श्री Image by Jill Wellington from Pixabay पौराणिक कथाओं में कभी-कभी ऐसे प्रसङ्ग सामने आते हैं, जिसे पढ़ते हुए ह्रदय गदगद हो जाता है और आपको शेयर करने से हम स्वयं को रोक नहीं पाते। एक बार गणेश जी ने भगवान शिव जी से कहा, “पिता जी! आप यह चिता की भस्म लगा कर, मुण्डमाला धारण कर अच्छे नहीं लगते, मेरी माता गौरी अपूर्व सुन्दरी और आप उनके साथ इस भयंकर रूप में! पिता जी! आप एक बार कृपा कर के अपने सुन्दर रूप में माता के सम्मुख आयें, जिससे हम आपका असली स्वरूप देख सकें!” भगवान शिव जी मुस्कुराये और गणेश की बात मान ली। कुछ समय बाद जब शिव जी स्नान कर के लौटे तो उनके शरीर पर भस्म नहीं थी, बिखरी जटाएँ सँवरी हुई, मुण्ड माला उतरी हुई थी! सभी देवी-देवता, यक्ष, गन्धर्व, शिवगण उन्हें अपलक देखते रह गये, वो ऐसा रूप था कि मोहिनी अवतार रूप भी फीका पड़ जाए! भगवान शिव ने अपना यह रूप कभी प्रकट नहीं किया था! शिव जी का ऐसा अतुलनीय रूप कि करोड़ों कामदेव को भी मलिन कर रहा था! गणेश अपने पिता की इस मनमोहक छवि को देख कर स्तब्ध रह गये और मस्तक झुका कर बोले, “मुझे क्षमा करें, पिता जी! पर...

लालच का फल

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 लालच का फल Image by Couleur from Pixabay किसी गांव में एक गड़रिया रहता था। वह लालची स्वभाव का था। हमेशा यही सोचा करता था कि किस प्रकार वह गांव में सबसे अमीर हो जाये। उसके पास कुछ बकरियां और उनके बच्चे थे। जो उसकी जीविका के साधन थे। एक बार वह गांव से दूर जंगल के पास पहाड़ी पर अपनी बकरियों को चराने ले गया। अच्छी घास ढूँढने के चक्कर में आज वो एक नए रास्ते पर निकल पड़ा। अभी वह कुछ ही दूर आगे बढ़ा था कि तभी अचानक तेज बारिश होने लगी और तूफानी हवाएं चलने लगी। तूफान से बचने के लिए गड़रिया कोई सुरक्षित स्थान ढूँढने लगा। उसे कुछ ऊँचाई पर एक गुफा दिखाई दी। गड़रिया बकरियों को वहीं बाँध उस जगह का जायजा लेने पहुंचा तो उसकी आँखें फटी की फटी रह गयी। वहां बहुत सारी जंगली भेड़ें मौजूद थी। मोटी-तगड़ी भेड़ों को देखकर गड़रिये को लालच आ गया। उसने सोचा कि अगर ये भेड़ें मेरी हो जाएं तो मैं गांव में सबसे अमीर हो जाऊंगा। इतनी अच्छी और इतनी ज्यादा भेड़ें तो आस-पास के कई गाँवों में किसी के पास नहीं हैं। उसने मन ही मन सोचा कि मौका अच्छा है। मैं कुछ ही देर में इन्हें बहला-फुसलाकर अपना बना लूंगा। फिर इन्हे...

श्रद्धा और विश्वास

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 श्रद्धा और विश्वास Image by Gabriele M. Reinhardt from Pixabay एक सेठ बड़ा धार्मिक था, संपन्न भी था। एक बार उसने अपने घर पर पूजा-पाठ रखी और पूरे शहर को न्यौता दिया। पूजा-पाठ के लिए बनारस से एक विद्वान शास्त्री जी को बुलाया गया और खान-पान के लिए शुद्ध घी के भोजन की व्यवस्था की गई। जिसके बनाने के लिए एक महिला जो पास के गांव में रहती थी को सुपुर्द कर दिया गया। शास्त्री जी कथा आरंभ करते हैं, गायत्री मंत्र का जाप करते हैं और उसकी महिमा बताते हैं, उसके बाद हवन पाठ इत्यादि होता है, लोग बाग आने लगे और अंत में सब भोजन का आनंद लेते घर वापस हो जाते हैं। ये सिलसिला रोज़ चलता है। भोज्य प्रसाद बनाने वाली महिला बड़ी कुशल थी। वो अपना काम करके बीच-बीच में कथा आदि सुन लिया करती थी। रोज की तरह एक दिन शास्त्री जी ने गायत्री मंत्र का जाप किया और उसकी महिमा का बखान करते हुए बोले कि इस महामंत्र को पूरे मन से एकाग्रचित होकर किया जाए तो इस भवसागर से पार जाया जा सकता है। इंसान जन्म-मरण के झंझटों से मुक्त हो सकता है। खैर, करते-करते कथा का अंतिम दिन आ गया। वह महिला उस दिन समय से पहले आ गई और...

दीपक

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 दीपक Image by anncapictures from Pixabay एक अमीर आदमी विभिन्न मंदिरों में जन कल्याणकारी कार्यों के लिए धन देता था। विभिन्न उत्सवों व त्योहारों पर भी वह दिल खोलकर खर्च करता। शहर के लगभग सभी मंदिर उसके दिए दान से उपकृत थे। इसीलिए लोग उसे काफी इज्जत देते थे। उस संपन्न व्यक्ति ने एक नियम बना रखा था कि वह प्रतिदिन मंदिर में शुद्ध घी का दीपक जलाता था। दूसरी ओर एक निर्धन व्यक्ति था जो नित्य तेल का दीपक जलाकर एक अंधेरी गली में रख देता था। जिससे लोगों को आने-जाने में असुविधा न हो। संयोग से दोनों की मृत्यु एक ही दिन हुई। दोनों यमराज के पास साथ-साथ पहुंचे। यमराज ने दोनों से उनके द्वारा किए गए कार्यों का लेखा-जोखा पूछा। सारी बात सुनकर यमराज ने धनिक को निम्न श्रेणी और निर्धन को उच्च श्रेणी की सुख-सुविधाएं दी। धनिक ने क्रोधित होकर पूछा - “यह भेदभाव क्यों ? जबकि मैंने आजीवन भगवान के मंदिर में शुद्ध घी का दीपक जलाया और इसने तेल का दीपक रखा। वह भी अंधेरी गली में, न कि भगवान के समक्ष ? ” तब यमराज ने समझाया - “पुण्य की महत्ता मूल्य के आधार पर नहीं कर्म की उपयोगिता के आधार पर होती ह...

जब अमेरिकी राष्ट्रपति ने खाया एक गरीब भारतीय लड़की का जूठा चावल

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 सत्य घटना (प्रेरणास्पद) जब अमेरिकी राष्ट्रपति ने खाया एक गरीब भारतीय लड़की का जूठा चावल Image by Bessi from Pixabay मीराबाई चानू की कहानी है यह। उस समय उसकी उम्र 10 साल थी। इम्फाल से 200 कि.मी. दूर नोंगपोक काकचिंग गांव में गरीब परिवार में जन्मी और छह भाई बहनों में सबसे छोटी मीराबाई चानू अपने से चार साल बड़े भाई सैखोम सांतोम्बा मीतेई के साथ पास की पहाड़ी पर लकड़ी बीनने जाती थी। एक दिन उसका भाई लकड़ी का गठ्ठर नहीं उठा पाया, लेकिन मीरा ने उसे आसानी से उठा लिया और वह उसे लगभग 2 कि.मी. दूर अपने घर तक ले आई। शाम को पड़ोस के घर मीराबाई चानू टीवी देखने गई, तो वहाँ जंगल से उसके गठ्ठर लाने की चर्चा चल पड़ी। उसकी मां बोली, “बेटी आज यदि हमारे पास बैलगाड़ी होती तो तूझे गठ्ठर उठाकर न लाना पड़ता।” “बैलगाड़ी कितने रूपए की आती है माँ ? ’’ मीराबाई ने पूछा। “इतने पैसों की जितने हम कभी जिंदगी भर देख न पाएंगे।’’ “मगर क्यों नहीं देख पाएंगे, क्या पैसा कमाया नहीं जा सकता ? कोई तो तरीका होगा बैलगाड़ी खरीदने के लिए पैसा कमाने का ? ’’ चानू ने पूछा तो तब गांव के एक व्यक्ति ने कहा, “तू तो लड़कों से भ...