नदी का घमंड
👼👼💧💧👼💧💧👼👼 नदी का घमंड Image by Ralph from Pixabay एक बार नदी ने समुद्र से बड़े ही गर्वीले शब्दों में कहा - बताओ, पानी के प्रचंड वेग से मैं तुम्हारे लिए क्या बहा कर लाऊं? तुम चाहो तो मैं पहाड़, मकान, पेड़, पशु, मानव आदि सभी को उखाड़ कर ला सकती हूँ। समुद्र समझ गया कि नदी को अहंकार आ गया है। उसने कहा - यदि मेरे लिए कुछ लाना ही चाहती हो, तो थोड़ी-सी घास उखाड़ कर ले आना। समुद्र की बात सुनकर नदी ने कहा - बस! इतनी सी बात। अभी आपकी सेवा में हाजिर कर देती हूँ। नदी ने अपने पानी का प्रचंड प्रवाह घास उखाड़ने के लिए लगाया, परंतु घास नहीं उखड़ी। नदी ने हार नहीं मानी और बार-बार प्रयास किया, पर घास बार-बार पानी के वेग के सामने झुक जाती और उखड़ने से बच जाती। नदी को सफलता नहीं मिली। थकी हारी निराश नदी समुद्र के पास पहुंची और अपना सिर झुका कर कहने लगी - मैं मकान, वृक्ष, पहाड़, पशु, मनुष्य आदि बहाकर ला सकती हूँ, परंतु घास उखाड़ कर नहीं ला सकी, क्योंकि जब भी मैंने प्रचंड वेग से घास पर प्रहार किया उसने झुककर अपने आप को बचा लिया और मैं ऊपर से खाली हाथ निकल आई। नदी की बात सुनकर समुद्र ने मुस्कुराते हुए कहा -...