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Showing posts from May, 2024

नदी का घमंड

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 नदी का घमंड Image by Ralph from Pixabay एक बार नदी ने समुद्र से बड़े ही गर्वीले शब्दों में कहा - बताओ, पानी के प्रचंड वेग से मैं तुम्हारे लिए क्या बहा कर लाऊं? तुम चाहो तो मैं पहाड़, मकान, पेड़, पशु, मानव आदि सभी को उखाड़ कर ला सकती हूँ। समुद्र समझ गया कि नदी को अहंकार आ गया है। उसने कहा - यदि मेरे लिए कुछ लाना ही चाहती हो, तो थोड़ी-सी घास उखाड़ कर ले आना। समुद्र की बात सुनकर नदी ने कहा - बस! इतनी सी बात। अभी आपकी सेवा में हाजिर कर देती हूँ। नदी ने अपने पानी का प्रचंड प्रवाह घास उखाड़ने के लिए लगाया, परंतु घास नहीं उखड़ी। नदी ने हार नहीं मानी और बार-बार प्रयास किया, पर घास बार-बार पानी के वेग के सामने झुक जाती और उखड़ने से बच जाती। नदी को सफलता नहीं मिली। थकी हारी निराश नदी समुद्र के पास पहुंची और अपना सिर झुका कर कहने लगी - मैं मकान, वृक्ष, पहाड़, पशु, मनुष्य आदि बहाकर ला सकती हूँ, परंतु घास उखाड़ कर नहीं ला सकी, क्योंकि जब भी मैंने प्रचंड वेग से घास पर प्रहार किया उसने झुककर अपने आप को बचा लिया और मैं ऊपर से खाली हाथ निकल आई। नदी की बात सुनकर समुद्र ने मुस्कुराते हुए कहा -...

तन्ख्वाह

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 तन्ख्वाह Image by Mariya from Pixabay एक व्यक्ति एक दिन बिना बताए काम पर नहीं गया। मालिक ने सोचा अगर इसकी तन्ख्वाह बढ़ा दी जाये तो यह और दिलचस्पी से काम करेगा और उसकी तन्ख्वाह बढ़ा दी गई। अगली बार जब उसको तन्ख्वाह से ज़्यादा पैसे दिये, तो वह कुछ नहीं बोला। चुपचाप पैसे रख लिये। कुछ महीनों बाद वह फिर ग़ैरहाज़िर हो गया। मालिक को बहुत ग़ुस्सा आया। उसने सोचा, इसकी तन्ख्वाह बढ़ाने का क्या फायदा हुआ? यह नहीं सुधरेगा और उसने बढ़ी हुई तन्ख्वाह कम कर दी और इस बार उसको पहले वाली ही तन्ख्वाह दी। वह इस बार भी चुपचाप ही रहा और ज़बान से कुछ नहीं बोला। तब मालिक को बहुत ताज्जुब हुआ। उसने उससे पूछा कि जब मैने तुम्हारे ग़ैरहाज़िर होने के बाद तुम्हारी तन्ख्वाह बढा कर दी, तुम कुछ नहीं बोले और आज तुम्हारी ग़ैर हाज़री पर तन्ख्वाह कम कर के दी फिर भी खामोश ही रहे। इसकी क्या वजह है?  उसने जवाब दिया - जब मै पहले ग़ैर हाज़िर हुआ था तो मेरे घर एक बच्चा पैदा हुआ था। आपने मेरी तन्ख्वाह बढ़ा कर दी तो मैं समझ गया परमात्मा ने उस बच्चे के पोषण का हिस्सा भेज दिया है। और जब दोबारा मैं ग़ैर हाजिर हुआ तो मेरी माता ...

श्री कृष्ण की परीक्षा

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 श्री कृष्ण की परीक्षा Image by Annette Meyer from Pixabay एक बार श्री कृष्ण के गुरु दुर्वासा ऋषि अपने शिष्यों के साथ कहीं जा रहे थे। रास्ते में किसी जंगल में रुककर उन्होंने आराम किया। समीप ही द्वारिका नगरी थी। दुर्वासा ऋषि ने अपने शिष्यों को भेजा कि श्री कृष्ण को बुला कर लाओ। उनके शिष्य द्वारिका गये और द्वारकाधीश को गुरुदेव का सन्देश दिया। सन्देश सुनते ही श्री कृष्ण दौड़े-दौड़े अपने गुरु के पास आए और उन्हें दण्डवत प्रणाम किया। आवभगत के पश्चात् श्री कृष्ण ने उनसे द्वारिका चलने के लिए विनती की लेकिन ऋषि दुर्वासा ने चलने से मना कर दिया और कहा कि हम फिर कभी आपके पास आयेंगे। श्री कृष्ण ने पुनः अपने गुरुदेव दुर्वासा ऋषि से विनती की, तब दुर्वासा ऋषि ने कहा कि ठीक है कृष्ण, हम तुम्हारे साथ चलेंगे, पर हम जिस रथ पर जायेंगे, उसे घोड़े नहीं खीचेंगे। एक ओर से तुम और दूसरी ओर से तुम्हारी पटरानी रुक्मणि ही रथ खीचेंगी। श्री कृष्ण उसी समय दौड़ते हुए रुक्मणि जी के पास गए और उन्हें बताया कि गुरुदेव को तुम्हारी सेवा की जरुरत है। रुक्मणि जी को उन्होंने सारी बात बताई और वे दोनों गुरुदेव के...

कर भला तो हो भला

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 कर भला तो हो भला Image by 钧 张 from Pixabay एक प्रसिद्ध राजा हुआ करते थे जिनका नाम रामधन था। अपने नाम की ही तरह प्रजा सेवा ही उनका धर्म था। उनकी प्रजा भी उन्हें राजा राम की तरह सम्मान देती थी। राजा रामधन सभी की निष्काम भाव से सहायता करते थे, फिर चाहे वह उनके राज्य की प्रजा हो या अन्य किसी और राज्य की। उनकी ख्याति सर्वत्र फैल गई थी। उनके दानी स्वभाव और व्यवहार के गुणगान उनके शत्रु राजा तक करते थे। उन राजाओं में एक राजा था भीम सिंह, जिसे राजा रामधन की इस ख्याति से ईर्ष्या हुआ करती थी। उस ईर्ष्या के कारण भीम सिंह ने राजा रामधन को हराने की एक रणनीति बनाई और कुछ समय बाद रामधन के राज्य पर आक्रमण कर दिया। भीम सिंह ने छल से युद्ध जीत लिया और रामधन को अपनी जान बचाने के लिए जंगल में जाकर छुपना पड़ा। इतना होने पर भी रामधन की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई। हर जगह प्रजा उन्हीं की चर्चा करती रहती थी। जिससे भीम सिंह परेशान हो गया और उसने राजा रामधन को मृत्युदंड देने का फैसला किया। उसने ऐलान किया कि जो राजा रामधन को पकड़कर लायेगा वे उसे दस हज़ार सोने के दीनार देगा। दूसरी ओर राजा राम...

कौन थे राजा वीर विक्रमादित्य?

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 कौन थे राजा वीर विक्रमादित्य? Image by NoName_13 from Pixabay बड़े ही दुर्भाग्य की बात है कि महाराज विक्रमादित्य के बारे में देश को लगभग शून्य बराबर ज्ञान है, जिन्होंने भारत को सोने की चिड़िया बनाया था और भारत में स्वर्णिम काल आया था। उज्जैन के राजा थे, जाट पंवार गोत्र के चक्रवर्ती राजा गन्धर्वसैन, जिनकी तीन संतानें थी। सबसे बड़ी लड़की थी मैनावती, उससे छोटा लड़का भर्तृहरि और सबसे छोटा वीर विक्रमादित्य। बहन मैनावती की शादी धारानगरी के राजा पदमसैन के साथ कर दी गई, जिनके एक लड़का हुआ गोपीचन्द। आगे चलकर गोपीचन्द ने श्री ज्वालेन्दर नाथ जी से योग दीक्षा ले ली और तपस्या करने जंगलों में चले गए। फिर मैनावती ने भी श्री गुरू गोरखनाथ जी से योग दीक्षा ले ली। आज यह देश और यहाँ की संस्कृति केवल विक्रमादित्य के कारण अस्तित्व में है। अशोक मौर्य ने बौद्ध धर्म अपना लिया था और बौद्ध बनकर 25 साल तक राज किया था। भारत में तब सनातन धर्म लगभग समाप्ति पर आ गया था। देश में बौद्ध और जैन हो गए थे। रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथ खो गए थे। महाराज विक्रम ने ही पुनः उनकी खोज करवा कर स्थापित किया। विष्णु ...

सत्य-अविश्वसनीय-रहस्यमयी कथा

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 सत्य-अविश्वसनीय-रहस्यमयी कथा Image by kopcan from Pixabay सेवाराम और मोतीलाल दो घनिष्ठ मित्र थे। दोनों ही गली-गली जाकर पीठ पर पोटली लादकर कपड़े बेचने का काम करते थे। सर्दियों के दिन थे। वे गांव-गांव जाकर कपड़े बेच रहे थे। तभी एक झोपड़ी के बाहर उन्हें एक बुढ़िया दिखी जो कि ठंड से कांप रही थी। सेवाराम ने अपनी पोटली से एक कंबल निकालकर उस माई को दिया और कहा - माई! तुम ठंड से कांप रही हो, यह कंबल ओढ़ लो। बूढ़ी माई कंबल लेकर बहुत खुश हुई और सेवाराम को खूब सारा आशीर्वाद दिया। तभी उसने सेवाराम से कहा - मेरे पास पैसे तो नहीं हैं, लेकिन रुको मैं तुम्हें कुछ देती हूँ। वह अपनी झोपड़ी के अंदर गई। तब उसके हाथ में जो एक बहुत ही सुंदर छोटी सी ठाकुर जी की प्रतिमा थी, वह सेवाराम को देते हुए बोली कि मेरे पास देने के लिए पैसे तो नहीं हैं, लेकिन यह ठाकुर जी हैं। इनको तुम अपनी दुकान पर लगा कर खूब सेवा करना। देखना, तुम्हारी कितनी तरक्की होती है। यह मेरा आशीर्वाद है। मोतीराम भगवान् को मानता नहीं था। वह बुढ़िया को बोला - अगर पैसे नहीं हैं तो कोई बात नहीं, लेकिन हमें झूठी तसल्ली मत दो। हमारे पास त...