साधना के सोपान
👼👼💧💧👼💧💧👼👼 साधना के सोपान Image by S. Hermann & F. Richter from Pixabay एक राजा था। वह अपने राज्य का संचालन बहुत कुशलता से कर रहा था। वह न्यायप्रिय था और धर्म पर अगाध श्रद्धा रखता था। प्रजा भी उनके राज्य में रह कर स्वयं को धन्य मानती थी। उसके राज्य में कोई भी संत-महात्मा आते तो राजा उनके स्वागत के लिए स्वयं राज्य की सीमा पर उन्हें लेने जाता और आदर सहित अपने राजमहल में उनके रहने का प्रबन्ध करता। एक बार एक पहुँचे हुए संत का अनके राज्य में आगमन हुआ। संत का प्रवचन इतना प्रभावकारी था कि जब संत वहाँ से अपने आश्रम की ओर जाने लगे तो राजा भी अपना सारा राजपाट छोड़कर उनके साथ जाने के लिए तैयार हो गए। संत ने समझाया कि अभी तुम्हें अपने राज्य के लिए राजमहल में ही रहना चाहिए, लेकिन राजा नहीं माना। संत ने कहा कि ठीक है, तुम अपने राज्य की व्यवस्था करके कुछ दिनों के बाद आश्रम में आ जाना। यद्यपि प्रजा नहीं चाहती थी कि राजा किसी अन्य के हाथ में राज्य का संचालन सौप कर जाए, पर राजा की तीव्र इच्छा के आगे वह भी विवश हो गई। एक दिन राजा ने आश्रम की ओर कदम बढ़ाए तो उसके पीछे-पीछे उसकी सेना, घर-परि...