यह भी नहीं रहने वाला
👼👼💧💧👼💧💧👼👼 यह भी नहीं रहने वाला Image by Bundschatten from Pixabay एक साधु देश में यात्रा के लिए पैदल निकला हुआ था। एक बार रात हो जाने पर वह एक गाँव में आनंद नामक व्यक्ति के दरवाज़े पर रुका। आनंद ने साधु की खूब सेवा की। दूसरे दिन आनंद ने बहुत सारे उपहार देकर साधु को विदा किया। साधु ने आनंद के लिए प्रार्थना की - भगवान करे तू दिनों दिन बढ़ता ही रहे। साधु की बात सुनकर आनंद हँस पड़ा और बोला - “अरे, महात्मा जी! जो है यह भी नहीं रहने वाला।” साधु आनंद की ओर देखता रह गया और वहाँ से चला गया। दो वर्ष बाद साधु फिर आनंद के घर गया और देखा कि सारा वैभव समाप्त हो गया है। पता चला कि आनंद अब बगल के गाँव में एक ज़मींदार के यहाँ नौकरी करता है। साधु आनंद से मिलने गया। आनंद ने अभाव में भी साधु का स्वागत किया। झोंपड़ी में फटी चटाई पर बिठाया। खाने के लिए सूखी रोटी ही दे दी। दूसरे दिन जाते समय साधु की आँखों में आँसू थे। साधु कहने लगा - हे भगवान्! ये तूने क्या किया ? आनंद पुनः हँस पड़ा और बोला - महाराज! आप क्यों दुःखी हो रहे हैं ? महापुरुषों ने कहा है कि भगवान् इन्सान को जिस हाल में रखे, इन्सान को ...