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Showing posts from March, 2022

यह भी नहीं रहने वाला

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 यह भी नहीं रहने वाला Image by Bundschatten from Pixabay एक साधु देश में यात्रा के लिए पैदल निकला हुआ था। एक बार रात हो जाने पर वह एक गाँव में आनंद नामक व्यक्ति के दरवाज़े पर रुका। आनंद ने साधु की खूब सेवा की। दूसरे दिन आनंद ने बहुत सारे उपहार देकर साधु को विदा किया। साधु ने आनंद के लिए प्रार्थना की - भगवान करे तू दिनों दिन बढ़ता ही रहे। साधु की बात सुनकर आनंद हँस पड़ा और बोला - “अरे, महात्मा जी! जो है यह भी नहीं रहने वाला।” साधु आनंद की ओर देखता रह गया और वहाँ से चला गया। दो वर्ष बाद साधु फिर आनंद के घर गया और देखा कि सारा वैभव समाप्त हो गया है। पता चला कि आनंद अब बगल के गाँव में एक ज़मींदार के यहाँ नौकरी करता है। साधु आनंद से मिलने गया। आनंद ने अभाव में भी साधु का स्वागत किया। झोंपड़ी में फटी चटाई पर बिठाया। खाने के लिए सूखी रोटी ही दे दी। दूसरे दिन जाते समय साधु की आँखों में आँसू थे। साधु कहने लगा - हे भगवान्! ये तूने क्या किया ? आनंद पुनः हँस पड़ा और बोला - महाराज! आप क्यों दुःखी हो रहे हैं ? महापुरुषों ने कहा है कि भगवान् इन्सान को जिस हाल में रखे, इन्सान को ...

वीर हकीकत राय

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 (बलिदान) वीर हकीकत राय विश्व की बलिदानी परम्परा पर दृष्टिपात करें तो दोनों ही प्रकार के बलिदानी हुए हैं। स्वदेश की रक्षा के लिए बलिदान देने वालों की लम्बी शृंखला है। धार्मिक एवं सांस्कृतिक अधिकारों की रक्षा के लिए भी बलिदान देने वालों की संख्या कम नहीं है। कई बार देश/शासन की गुलामी, परतन्त्रता तो व्यक्ति ने स्वीकार कर भी ली किन्तु वे धार्मिक परतन्त्रता से मुक्ति के लिए सहर्ष बलिदान हुए हैं। एक ग्यारह वर्षीय बालक ‘हकीकतराय’ स्यालकोट के मदरसे-विद्यालय में शिक्षा ग्रहण के लिए प्रविष्ट हुआ। वह अपने अध्यापक, जो एक मौलवी भी थे, उन की अनुपस्थिति में अपने सहपाठियों द्वारा अपने अभीष्ट देवी-देवताओं के लिए गालियाँ सुनकर उन्हें रोकने का प्रयत्न करता है। न मानने पर बीबी फातिमा के लिए उन्हीं शब्दों के प्रयोग की चेतावनी दे देता है। इतना घटनाक्रम किसी सभ्य समाज के लिए उपेक्ष्य अथवा चेतावनी देने से अधिक महत्व का नहीं माना जा सकता, किन्तु फातिमा का नाम लिए जाने के कारण उस बालक को इस्लाम की तौहीन का दोषी मानकर कत्ल किए जाने योग्य मान लिया जाता है। मौलवी की सिफारिश पर पहले काजी, फिर शहर...

सुखदेव की बेबे - रल्लीदेई (गंगादेवी)

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 वीर माताएँ (क्रान्तिवीरों की माताओं के उद्गार) लेखिका - श्रीमती संगीता अनिल पंवार सुखदेव की बेबे - रल्लीदेई (गंगादेवी) ‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’ अर्थात् माता और मातृभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ हैं। पर मित्रों, जिन माताओं ने अपने बच्चों को अपनी मातृभूमि को स्वतन्त्र कराने के लिए मातृभूमि पर न्यौछावर कर दिए और वे बच्चे भी अपनी माताओं के सामने ही फाँसी पर ख़ुशी-ख़ुशी झूल गए, उन माताओं को क्या कुछ झेलना पड़ा होगा, क्या कुछ वेदनाएँ हुई होंगी, उन वेदनाओं, उन भावनाओं को लेखिका ने अपनी कलम से काग़ज़ पर उकेरा है। लुधियाना जिले के नौधरा गाँव के रामलाल थापर और रल्लीदेई का बेटा सुखदेव। इसके जन्म से पहले ही इसके पिता की मृत्यु हो गई थी। इसलिए चाचाजी अचिंतराम थापर के घर पर ही इसकी परवरिश हुई। अचिंतराम स्वयं भी देशभक्त थे। उनका प्रभाव बालक पर न होता तो आश्चर्य ही होता! सुखदेव की माँ को गाँव वाले गंगादेवी ही कहते थे। वह भी ज़िन्दगी भर सब की सेवा करती रही। भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव की यह तिकड़ी युग-युगान्तर तक भारतीयों के मन में बसी रहेगी। वह दिन तो मुझे मरते दम तक याद रहेग...

रामप्रसाद बिस्मिल की माँ - मायावती

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 वीर माताएँ (क्रान्तिवीरों की माताओं के उद्गार) लेखिका - श्रीमती संगीता अनिल पंवार रामप्रसाद बिस्मिल की माँ - मायावती ‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’ अर्थात् माता और मातृभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ हैं। पर मित्रों, जिन माताओं ने अपने बच्चों को अपनी मातृभूमि को स्वतन्त्र कराने के लिए मातृभूमि पर न्यौछावर कर दिए और वे बच्चे भी अपनी माताओं के सामने ही फाँसी पर ख़ुशी-ख़ुशी झूल गए, उन माताओं को क्या कुछ झेलना पड़ा होगा, क्या कुछ वेदनाएँ हुई होंगी, उन वेदनाओं, उन भावनाओं को लेखिका ने अपनी कलम से काग़ज़ पर उकेरा है। ‘बिस्मिल’ का अर्थ है - घायल। जो अंग्रेज़ों के अत्याचारों से घायल हो गया था, उसका असली नाम था - रामप्रसाद। उसके पिता का नाम था - पंडित मुरलीधर प्रसाद और माँ का नाम था - मायावती। मूलतः कवि-मन ले कर जन्मे इस मोती के ‘हिन्दुस्तानी समाजचादी प्रजातन्त्र संघटन’ की माला में गूँथा जाने पर देशभक्ति के काव्य के रंग और भी खिलने लगे। उनकी लेखनी की प्रखरता में शहीदी रक्तिमा चमकने लगी। राजबंदियों के वेष में मेरा राम बहुत कमज़ोर दिख रहा था। उसकी आँखों के पास कालापन आ गया था। ...