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Showing posts from April, 2022

जीवन की सीख

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 जीवन की सीख Image by Ilona Ilyés from Pixabay एक बौद्ध भिक्षुक भोजन बनाने के लिए जंगल से लकड़ियाँ चुन रहा था कि तभी उसने बिना पैरों की लोमड़ी को देखते हुए मन ही मन सोचा - “आखिर इस हालत में ये जिंदा कैसे है ? और ऊपर से ये बिल्कुल स्वस्थ कैसे है ? ” वह अपने ख़्यालों में खोया हुआ था कि अचानक चारों तरफ अफरा-तफरी मचने लगी; जंगल का राजा शेर उस तरफ आ रहा था। भिक्षुक भी तेजी दिखाते हुए एक ऊँचे पेड़ पर चढ़ गया और वहीं से सब कुछ देखने लगा। शेर ने एक हिरण का शिकार किया था और उसे अपने जबड़े में दबा कर लोमड़ी की तरफ बढ़ रहा था। पर उसने लोमड़ी पर हमला नहीं किया बल्कि उसे भी खाने के लिए मांस के कुछ टुकड़े डाल दिए। “ये तो घोर आश्चर्य है, शेर लोमड़ी को मारने की बजाय उसे भोजन दे रहा है।” भिक्षुक बुदबुदाया, उसे अपनी आँखों पर भरोसा नहीं हो रहा था। इसलिए वह अगले दिन फिर वहीं आया और छिपकर शेर का इंतज़ार करने लगा। आज भी वैसा ही हुआ, शेर ने अपने शिकार का कुछ हिस्सा लोमड़ी के सामने डाल दिया। “यह भगवान् के होने का प्रमाण है !” भिक्षुक ने अपने आप से कहा। “वह जिसे पैदा करता है उसकी रोटी का ...

निष्काम भक्ति

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 निष्काम भक्ति Image by fernando zhiminaicela from Pixabay एक भक्त था। वह रोज़ बिहारी जी के मंदिर जाता था, पर मंदिर में बिहारी जी की जगह उसे एक ज्योति दिखाई देती थी। मंदिर में बाकी के सभी भक्त कहते - वाह! आज बिहारी जी का श्रृंगार कितना अच्छा है, बिहारी जी का मुकुट ऐसा, उनकी पोशाक ऐसी, तो वह भक्त सोचता कि बिहारी जी सबको दर्शन देते हैं, पर मुझे क्यों केवल एक ज्योति दिखायी देती है। हर दिन ऐसा होता। एक दिन वह बिहारी जी से बोला - ऐसी क्या बात है कि आप सबको तो दर्शन देते है पर मुझे दिखायी नहीं देते। कल आपको मुझे दर्शन देना ही पड़ेगा। अगले दिन मंदिर गया तो फिर बिहारी जी उसे जोत के रूप में दिखे। वह बोला बिहारी जी अगर कल मुझे आपने दर्शन नहीं दिये तो मैं यमुना जी में डूबकर मर जाँऊगा। उसी रात में बिहारी जी एक कोढ़ी के सपने में आये जो कि मंदिर के रास्ते में बैठा रहता था और बोले - तुम्हें अपना कोढ़ ठीक करना है ? वह कोढ़ी बोला - हाँ भगवान! भगवान बोले - तो सुबह मंदिर के रास्ते से एक भक्त निकलेगा। तुम उसके चरण पकड़ लेना और तब तक मत छोड़ना जब तक वह यह न कह दे कि बिहारी जी तुम्हारा...

शक्ति का बिखराव

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 शक्ति का बिखराव Image by Pezibear from Pixabay हम जानते हैं कि एकता में ही बल है। एक बार कबूतरों का झुण्ड, बहेलिये के बनाये जाल में फंस गया। सारे कबूतरों ने मिलकर फैसला किया और जाल सहित उड़ गये। “एकता में बल है” की यह कहानी आपने बचपन में पढ़ी है, पर यहाँ तक ही पढ़ी है। इसके आगे क्या हुआ, वह आज प्रस्तुत है - वह बहेलिया इतनी मेहनत से पकड़े गए कबूतरों को ऐसे ही नहीं जाने दे सकता था। वह कबूतरों सहित उड़ रहे जाल के पीछे-पीछे भाग रहा था। एक सज्जन मिले और उसने पूछा - क्यों बहेलिये भाई! तुझे पता नहीं कि “एकता में बल होता है”, तो फिर क्यों अब उनका पीछा कर रहा है ? बहेलिया बोला, “आप को शायद पता नही कि एकता में शक्ति अवश्य होती है, पर शक्ति का दंभ बहुत ख़तरनाक होता है। जहां जितनी ज्यादा शक्ति होती है, उसके बिखरने के अवसर भी उतने ज्यादा होते हैं।” वे सज्जन कुछ समझे नहीं। बहेलिया बोला - आप मेरे साथ आइये। सज्जन भी उसके साथ हो लिए। उड़ते-उड़ते कबूतर थक चुके थे। अब उन्होंने नीचे उतरने के बारे में सोचा। एक नौजवान कबूतर जिसकी कोई राजनीतिक विचारधारा नहीं थी, उस ने कहा कि किसी खेत मे...

नसीब

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 नसीब Image by Lee_seonghak from Pixabay जितना नसीब में है, वह अवश्य ही मिलेगा। एक सेठ जी भगवान “कृष्ण” जी के परमभक्त थे। निरंतर उनका जाप करते और सदैव उनको अपने दिल में बसाए रखते थे। वह रोज स्वादिष्ट पकवान बना कर कृष्ण जी के मंदिर में ले जाते थे, अपने कान्हा जी को भोग लगाने। घर से तो सेठ जी निकलते पर रास्ते में ही उन्हें नींद आ जाती और उनके द्वारा बनाए हुए पकवान चोरी हो जाते। सेठ जी बहुत दुखी होते और कान्हा जी से शिकायत करते हुए कहते - हे राधे! हे मेरे कृष्ण! ऐसा क्यों होता है ? मैं आपको भोग क्यों नहीं लगा पाता हूँ ? कान्हा जी सेठ जी को कहते - हे वत्स! दाने-दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम। वह भोग मेरे नसीब में नही है। इसलिए मुझ तक नही पहुंचता। सेठ थोड़ा गुस्से से कहते - ऐसा नहीं है, प्रभु! कल मैं आपको भोग लगाकर ही रहूँगा। आप देख लेना। और यह कह कर सेठ चला जाता है। कान्हा जी मुस्कुराते हैं और कहते हैं - ठीक है। दूसरे दिन सेठ सुबह-सुबह जल्दी नहा-धोकर तैयार हो जाता है और अपनी पत्नी से चार डिब्बे भर कर बढ़िया-बढ़िया स्वादिष्ट पकवान बनवाते हैं और उसे लेकर मंदिर के लिए ...

दो परिवार

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 दो परिवार Image by Manuel de la Fuente from Pixabay किसी परिवार के सुख का आधार क्या है ? दो परिवार एक दूसरे के पड़ोस में ही रहते थे। एक परिवार के लोग हर वक्त लड़ते रहते थे जबकि दूसरा परिवार शांति से और मैत्रीपूर्ण व्यवहार से रहता था। एक दिन, झगड़ालू परिवार की पत्नी ने शांत पडोसी परिवार से ईर्ष्या महसूस करते हुए अपने पति से कहा, “अपने पडोसी के घर जाओ और देखो कि इतने अच्छे तरीके से रहने के लिए वे क्या करते हैं।” पति वहाँ गया और छिप कर चुपचाप देखने लगा। उसने देखा कि एक औरत फर्श पर पोंछा लगा रही है। अचानक किचन से कुछ आवाज आने पर वह किचन में चली गई। तभी उसका पति एक कमरे की तरफ बच्चे की आवाज़ सुन कर भागा। उसका ध्यान नहीं रहने के कारण फर्श पर रखी बाल्टी से ठोकर लग गई और बाल्टी का सारा पानी फर्श पर फैल गया। उसकी पत्नी किचन से वापिस आयी और अपने पति से बोली, “आई एम सॉरी, डार्लिंग। यह मेरी गलती थी कि मैंने रास्ते से बाल्टी को नहीं हटाया।” पति ने जवाब दिया, “नहीं डार्लिंग, आई एम सॉरी। क्योंकि मैंने जल्दी में इस पर ध्यान नहीं दिया।” झगड़ालू परिवार का पति जो छिपा हुआ था, वापस घ...

कटु सत्य

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 कटु सत्य Image by Pezibear from Pixabay एक अंधेरी रात में एक काफिला एक रेगिस्तानी सराय में जाकर ठहरा। उस काफिले में सौ ऊंट थे। उन्होंने खूंटियां गाड़कर अपने ऊंट बांधे, किंतु अंत में पाया कि एक ऊंट अनबंधा रह गया है। उनकी एक खूंटी और रस्सी कहीं खो गई थी। अब आधी रात वे कहां खूंटी-रस्सी लेने जाएं ? काफिले के सरदार ने सराय मालिक को उठाया - “बहुत कृपा होगी यदि एक खूंटी और रस्सी हमें मिल जाती। हमारे 99 ऊंट बंध गए, एक रह गया - अंधेरी रात है, वह कहीं भटक सकता है।” वृद्ध बोले - मेरे पास न तो रस्सी है, और न खूंटी, किंतु एक युक्ति है। जाओ, और खूंटी गाड़ने का नाटक करो, और ऊंट से कह दो - सो जाए। सरदार बोले - अरे, यह कैसा पागलपन है ? वृद्ध बोले - बहुत नासमझ हो, ऐसी खूंटियां भी गाड़ी जा सकती हैं जो न हों, और ऐसी रस्सियां भी बांधी जा सकती हैं जिनका कोई अस्तित्व न हो। अंधेरी रात है, आदमी भी धोखा खा जाता है, ये तो एक ऊंट है। विश्वास तो नहीं था किंतु विवशता थी। उन्होंने गड्ढा खोदा, खूंटी ठोकी - जो नहीं थी। केवल आवाज़ हुई ठोकने की, ऊंट बैठ गया। खूंटी ठोकी जा रही थी। रोज-रोज रात को उस...