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Showing posts from May, 2022

ईश्वर तू ही अन्नदाता है

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 ईश्वर तू ही अन्नदाता है Image by Pexels from Pixabay किसी राज्य में एक प्रतापी राजा हुआ करता था। वह राजा रोज सुबह उठकर पूजा पाठ करता और ग़रीबों को दान देता। अपने इस उदार व्यवहार और दया की भावना की वजह से राजा पूरी जनता में बहुत लोकप्रिय हो गया था। रोज़ सुबह दरबार खुलते ही राजा के यहाँ ग़रीबों और भिखारियों की लंबी लाइन लग जाती थी। राजा हर इंसान को संतुष्ट करके भेजते थे। किशन और गोपाल नाम के दो ग़रीब भिखारी रोज़ राजा के यहाँ दान लेने आते। राजा जब किशन को दान देता तो किशन राजा की बहुत वाह-वाही करता और राजा को दुआएं देता। वहीं जब राजा गोपाल को दान देता तो वह हर बार एक ही बात बोलता - “हे ईश्वर तू बड़ा दयालु है। तूने मुझे इतना सब कुछ दिया।” राजा को उसकी बात थोड़ी बुरी लगती। राजा सोचता कि दान मैं देता हूँ और ये गुणगान उस ईश्वर का करता है। एक दिन राजकुमारी का जन्मदिन था। उस दिन राजा ने दिल खोल कर दान दिया। जब किशन और गोपाल का नंबर आया तो राजा ने पहले किशन को दान दिया और किशन राजा के गुणगान करने लगा। लेकिन राजा ने जैसे ही गोपाल को दान दिया वह हाथ ऊपर उठा कर बोला - “हे ईश्व...

बेटा-बेटी

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 बेटा-बेटी (प्रेरणात्मक कहानी) Image by S. Hermann & F. Richter from Pixabay पायल बहुत उत्सुकता से अपनी सासु माँ के पास आयी और कहा “मम्मी! ये लीजिये पौधे का बीज, मैं आपके लिये लायी हूँ। आपको बागवानी का बहुत शौक है न!” सासू माँ ने बीज लेते हुए कहा कि “तुझे कब से बागवानी का शौक चढ़ गया ? ” पायल ने हँसते हुए कहा - अपने लिये नहीं, आपकी खुशी के लिये लायी हूँ। आपको देखा है मैंने। आप कितनी लगन से बागवानी करती हैं। अपने पौधो का कितना ख्याल रखती हैं। सासू माँ ने बहुत प्यार से उस बीज को एक गमले में लगा दिया और मन से उसका ख्याल रखने लगी। समय पर पानी देना, खाद डालना, धूप बारिश से बचाना, सब बहुत प्यार और लगन से सासू माँ करती थी। सासु माँ के साथ पायल भी उस पौधे का विशेष ख्याल रखती। सासू माँ को थोड़ा आश्चर्य भी होता। एक दिन सासू माँ ने पायल को आवाज़ देकर कहा “देख पायल तेरे पौधे में कली निकल आयी है।” पायल खुशी-खुशी दौड़ कर उस कली को देखने गयी लेकिन कली को देखते ही रोने लगी और रोते-रोते कहा - ये तो गेंदा की कली है। मुझे तो गुलाब चाहिए था। सासू माँ ने कहा कि बीज गेंदा के होंगे त...

परोपकार का फल

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 परोपकार का फल Image by jggrz from Pixabay एक बार एक गाँव में कुछ ग्रामीण मिलकर एक सांप को मार रहे थे, तभी उसी रास्ते से संत एकनाथ का निकलना हुआ। भीड़ को देख संत एकनाथ भी वहां आ पहुंचे, बोले - भाइयों! इस प्राणी को क्यों मार रहे हो, कर्मवश सांप होने से क्या हुआ ? यह भी तो एक आत्मा है। तभी भीड़ में खड़े एक युवक ने कहा - “आत्मा है तो फिर हमें काटता क्यों है ? ” व्यक्ति की बात सुनकर संत एकनाथ ने कहा - तुम लोग सांप को बेवजह मारोगे तो वह भी तुम्हें काटेगा ही। अगर तुम सांप को नहीं मारोगे तो वह भी तुम्हें क्यों काटेगा ? ग्रामीण संत एकनाथ का काफी आदर सम्मान करते थे, इसलिए संत की बात सुनकर लोगों ने सांप को छोड़ दिया। कुछ दिनों बाद एकनाथ शाम के वक़्त घाट पर स्नान करने जा रहे थे। तभी उन्हें रास्ते में सामने फण फैलाए एक सांप दिखाई दिया। संत एकनाथ ने सांप को रास्ते से हटाने की काफी कोशिश की लेकिन वह टस से मस न हुआ। आखिर में एकनाथ मुड़कर दूसरे घाट पर स्नान करने चले गए। उजाला होने पर लौटे तो देखा, पहले घाट के रास्ते पर बरसात के कारण एक गड्ढा हो गया था। अगर सांप ने न बचाया होता त...

नेकी का फरिश्ता

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 नेकी का फरिश्ता Image by Gábor Adonyi from Pixabay मैं कई दिनों से बेरोज़गार था। एक-एक रूपये की कीमत जैसे करोड़ों की लग रही थी। इस उठापटक में था कि कहीं नौकरी लग जाए। आज एक इंटरव्यू था। पर दूसरे शहर जाने के लिए जेब में सिर्फ दस रूपये थे। मुझे कम से कम दो सौ रुपयों की जरूरत थी। इंटरव्यू वाले अपने इकलौते कपड़े रात में धोकर, पड़ोसी की प्रेस माँग कर तैयार करके पहनकर, अपने योग्यताओं की मोटी फाइल बगल में दबाकर, दो बिस्कुट खा कर निकला। कहीं लिफ्ट लेकर, कहीं पैदल चल कर जैसे-तैसे चिलचिलाती धूप में पसीने से तरबतर, बस! इस उम्मीद में स्टैण्ड पर पहुँचा कि शायद कोई पहचान वाला मिल जाए, जिससे सहायता लेकर इंटरव्यू के स्थान तक पहुँच सकूँ। काफी देर खडे रहने के बाद भी कोई नहीं दिखा। मन में घबराहट और मायूसी थी। क्या करूँगा ? अब कैसे पहुँचूंगा ? पास के मंदिर पर जा पहुंचा। दर्शन करके सीढ़ियों पर उदास बैठा था। मेरे पास में ही एक फ़कीर बैठा था। उसके कटोरे में मेरी जेब और बैंक एकाउंट से भी ज्यादा पैसे पड़े थे!!! मेरी नज़रें और हालात समझ कर वह बोला - “कुछ मदद चाहिए क्या ? ” मैं बनावटी मुस्...

ज्ञानी का ज्ञान भंडार

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 ज्ञानी का ज्ञान भंडार Image by Johnnys_pic from Pixabay एक बहुत ज्ञानी व्यक्ति था। वह अपनी पीठ पर ज्ञान का भंडार लाद कर चला करता था। सारी दुनिया उसकी जय-जयकार करती थी। ज्ञानी अपने ज्ञान पर दंभ करता इतराता फिरता था। एक बार वह किसी पहाड़ी से गुज़र रहा था। रास्ते में उसे भूख लग आई। उसने इधर-उधर देखा। कुछ दूरी पर एक बुढ़िया पत्थरों के पीछे अपने लिए रोटी पका रही थी। ज्ञानी व्यक्ति उसके पास पहुंचा और उसने उससे अनुरोध किया कि क्या वह उसे भी एक रोटी खिला सकती है ? बुढ़िया ने कहा, “ज़रूर।” आदमी ने कहा कि लेकिन उसके पास देने को कुछ नहीं है। हां! ज्ञान है और वह चाहे तो उसे थोड़ा ज्ञान वह दे सकता है। बुढ़िया ने कहा कि ठीक है। तुम रोटी खा लो और मुझे मेरे एक सवाल का जवाब दे दो। आदमी ने रोटी खाने के बाद बुढ़िया से कहा कि पूछो अपना सवाल। बुढ़िया ने पूछा, “तुमने अभी-अभी जो रोटी खाई है, उसे तुमने अतीत के मन से खाई है; वर्तमान के मन से खाई है या फिर भविष्य के मन से खाई है ? ” आदमी अटक गया। उसने अपनी पीठ से ज्ञान की बोरी उतारी और उसमें बुढ़िया के सवाल का जवाब तलाशने लगा। हज़ारों पन्न...

सेवा धर्म ही असली भक्ति

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 सेवा धर्म ही असली भक्ति Image by S. Hermann & F. Richter from Pixabay एक शहर में अमीर सेठ रहता था। वह बहुत फैक्ट्रियों का मालिक था। एक शाम अचानक उसे बहुत बेचैनी होने लगी। डॉक्टर को बुलाया गया, सारी जाँचें करवा ली। परन्तु कुछ भी नहीं निकला। उसकी बेचैनी बढ़ती गयी। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि ये क्या हो रहा है। रात हुई। नींद की गोलियां भी खा ली, पर न नींद आने को तैयार और न ही बैचेनी कम होने का नाम ले। वह रात को उठकर तीन बजे घर के बगीचे में घूमने लगा। घूमते-घूमते उसे लगा कि बाहर थोडा-सा सुकून है, तो वह बाहर सड़क पर पैदल निकल पड़ा। चलते-चलते हज़ारों विचार मन में चल रहे थे। अब वह घर से बहुत दूर निकल आया था और थकान की वजह से एक चबूतरे पर बैठ गया। उसे थोड़ी शान्ति मिली तो वह आराम से बैठ गया। इतने में एक कुत्ता आया और उसकी चप्पल उठाकर ले गया। सेठ ने देखा तो वह दूसरी चप्पल उठाकर कुत्ते के पीछे भागा। कुत्ता पास ही बनी झुग्गी-झोपड़ियों में घुस गया। सेठ भी उसके पीछे था। सेठ को करीब आता देखकर कुत्ते ने चप्पल वहीं छोड दी और चला गया। सेठ ने राहत की सांस ली और अपनी चप्पल...