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Showing posts from August, 2022

माता रानी

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  👼👼💧💧👼💧💧👼👼 माता रानी Image by PublicDomainPictures from Pixabay एक लड़की थी जिसका माता रानी जी पर अटुट विश्वास था । वह सुबह तीन बजे उठ जाती, स्नान आदि से निवृत्त होकर प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करती, रोज माता रानी के मंदिर जाती, माता रानी का जागरण भी करती, सहज पाठ करती । उसको बहुत सारी माता रानी की कथाएं कंठस्थ थी । घर में काम करते समय भी माता रानी का कोई ना कोई भजन हमेशा गुनगुनाती रहती । वह सिर पर हमेशा चुन्नी पहने रखती । फिर उसकी शादी हो गई । ससुराल जा कर भी उसने अपना नित्य नियम नहीं छोड़ा । रोज माता रानी के मंदिर जाना, सेवा करनी, जागरण पाठ करती थी । उसके ससुराल वाले किसी और बाबा को मानते थे । उनको बहू का इस तरह रोज माता रानी के मंदिर जाना बिल्कुल पसंद नहीं था । वो सब उसको दुनियावी बाबा को मानने को कहते पर उस लड़की ने साफ़ मना कर दिया और कहा, मेरी माता रानी पूर्ण समरथ है । मुझे किसी और के आगे सिर झुकाने की ज़रूरत नहीं । पर उसके ससुराल वाले कोई ना कोई बहाना ढूंढते कि किस तरह उसको नीचा दिखायें । एक दिन उसके ससुराल वालों ने कहा कि अगर तेरी माता रानी पर तेरा...

अनोखी दवाई

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  👼👼💧💧👼💧💧👼👼 अनोखी दवाई Image by Pexels from Pixabay काफी समय से दादी की तबियत खराब थी । घर पर ही नर्स उनकी देखभाल करती थी । डॉक्टरों ने भी अपने हाथ उठा दिए थे और कहा था कि जो भी सेवा करनी है कर लीजिये, दवाइयाँ अपना काम नहीं कर रही हैं । घर में बच्चों को होस्टल से बुला लिया गया । नौकरी पर होने के कारण दोनों मियां-बीवी काम पर चले जाते थे । दोनों बच्चे बार-बार अपनी दादी को देखने जाते । दादी ने आँखें खोली तो बच्चे दादी से लिपट गए । ‘दादी! पापा कहते हैं कि आप बहुत अच्छा खाना बनाती हैं । हमें हॉस्टल का खाना अच्छा नहीं लगता । क्या आप हमारे लिए खाना बनाओगी ? ’ नर्स ने बच्चों को डांटा और बाहर जाने को कहा । अचानक से दादी उठी और नर्स पर बरस पड़ी । ‘आप जाओ यहाँ से । मेरे बच्चों को डांटने का हक़ तुम्हें किसने दिया ? खबरदार अगर बच्चों को डांटने की कोशिश की!’ ‘कमाल करती हो आप ! आपके लिए ही तो मैंने बच्चों को मना किया है । बार-बार आपको देखने के लिए आते हैं और डिस्टर्ब करते हैं । आराम भी नहीं करने देते । ’ ‘अरे! इनको देखकर मेरी आँखों और दिल को कितना आराम मिलता है, तू क्या जा...

मैं न होता तो क्या होता

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  👼👼💧💧👼💧💧👼👼 मैं न होता तो क्या होता Image by Mike Darger from Pixabay अशोक वाटिका में जिस समय रावण क्रोध में भरकर तलवार लेकर सीता माँ को मारने के लिए दौड़ पड़ा, तब हनुमान जी को लगा कि इसकी तलवार छीन कर इसका सिर काट लेना चाहिये, किन्तु अगले ही क्षण उन्होंने देखा, मंदोदरी ने रावण का हाथ पकड़ लिया, यह देखकर वे गदगद हो गये। वे सोचने लगे, यदि मैं आगे बढ़ता तो मुझे भ्रम हो जाता कि यदि मैं न होता तो सीता जी को कौन बचाता ? बहुधा हमको ऐसा ही भ्रम हो जाता है, मैं न होता तो क्या होता ? परन्तु ये क्या हुआ ? सीताजी को बचाने का कार्य प्रभु ने रावण की पत्नी को ही सौंप दिया। तब हनुमान जी समझ गये कि प्रभु जिससे जो कार्य लेना चाहते हैं, वह उसी से लेते हैं। आगे चलकर जब त्रिजटा ने कहा कि लंका में बंदर आया हुआ है और वह लंका जलायेगा तो हनुमान जी बड़ी चिंता मे पड़ गये कि प्रभु ने तो लंका जलाने के लिए कहा ही नहीं है और त्रिजटा कह रही है कि उन्होंने स्वप्न में देखा है, एक वानर ने लंका जलाई है। अब उन्हें क्या करना चाहिए ? जो प्रभु इच्छा। जब रावण के सैनिक तलवार लेकर हनुमान जी को मारने के लिये दौड...

मेरे विट्ठल

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  👼👼💧💧👼💧💧👼👼 मेरे विट्ठल Image by Kiều Trường from Pixabay कन्धे पर कपड़े का थान लादे और हाट-बाजार जाने की तैयारी करते हुए नामदेव जी से पत्नी ने कहा - भगत जी! आज घर में खाने को कुछ भी नहीं है। आटा, नमक, दाल, चावल, गुड़ और शक्कर सब खत्म हो गए हैं। शाम को बाजार से आते हुए घर के लिए राशन का सामान लेते आइएगा। भक्त नामदेव जी ने उत्तर दिया - देखता हूँ! जैसी विट्ठल जी की इच्छा। अगर कोई अच्छा मूल्य मिला, तो निश्चय ही घर में आज धन-धान्य आ जायेगा। पत्नी बोली - संत जी! अगर अच्छी कीमत ना भी मिले, तब भी इस बुने हुए थान को बेचकर कुछ राशन तो ले आना। घर के बड़े-बूढ़े तो भूख बर्दाश्त कर लेंगे पर बच्चे अभी छोटे हैं, उनके लिए तो कुछ ले ही आना। जैसी मेरे विट्ठल की इच्छा। ऐसा कहकर भक्त नामदेव जी हाट-बाजार को चले गए। बाजार में उन्हें किसी ने पुकारा - वाह सांई! कपड़ा तो बड़ा अच्छा बुना है और ठोक भी अच्छी लगाई है। तेरा परिवार बसता रहे। ये फकीर ठंड में कांप-कांप कर मर जाएगा। दया कर के रब के नाम पर दो चादरों का कपड़ा इस फकीर के ऊपर ओढा़ दे। भक्त नामदेव जी - दो चादरों में कितना कपड़ा लगेगा फकीर जी ? फकीर ...