अनोखी दवाई

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अनोखी दवाई

Image by Pexels from Pixabay

काफी समय से दादी की तबियत खराब थी घर पर ही नर्स उनकी देखभाल करती थी। डॉक्टरों ने भी अपने हाथ उठा दिए थे और कहा था कि जो भी सेवा करनी है कर लीजिये, दवाइयाँ अपना काम नहीं कर रही हैं

घर में बच्चों को होस्टल से बुला लिया गया नौकरी पर होने के कारण दोनों मियां-बीवी काम पर चले जाते थे दोनों बच्चे बार-बार अपनी दादी को देखने जाते दादी ने आँखें खोली तो बच्चे दादी से लिपट गए

‘दादी! पापा कहते हैं कि आप बहुत अच्छा खाना बनाती हैं हमें हॉस्टल का खाना अच्छा नहीं लगता क्या आप हमारे लिए खाना बनाओगी?

नर्स ने बच्चों को डांटा और बाहर जाने को कहा अचानक से दादी उठी और नर्स पर बरस पड़ी

‘आप जाओ यहाँ से मेरे बच्चों को डांटने का हक़ तुम्हें किसने दिया? खबरदार अगर बच्चों को डांटने की कोशिश की!’

‘कमाल करती हो आप! आपके लिए ही तो मैंने बच्चों को मना किया है बार-बार आपको देखने के लिए आते हैं और डिस्टर्ब करते हैं आराम भी नहीं करने देते

‘अरे! इनको देखकर मेरी आँखों और दिल को कितना आराम मिलता है, तू क्या जाने? ऐसा कर, मुझे जरा नहाना है मुझे बाथरूम तक ले चल

नर्स हैरान थी

कल तक तो दवाई काम नहीं कर रही थी और आज ये चेंज!

सब समझ के बाहर था नहाने के बाद दादी ने नर्स को खाना बनाने में मदद करने को कहा पहले तो उसने मना किया फिर कुछ सोचकर वह मदद करने लगी

खाना बनने पर बच्चों को बुलाया और रसोई में ही खाने को कहा

‘दादी! हम जमीन पर बैठकर खायेंगे आपके हाथ से मम्मी तो टेबल पर खाना देती है और खिलाती भी नहीं कभी।’

दादी के चेहरे पर ख़ुशी थी वह बच्चों के पास बैठकर उन्हें खिलाने लगी

बच्चों ने भी दादी को खाना खिलाया दादी की आँखों से आंसू बहने लगे

‘दादी! तुम रो क्यों रही हो? दर्द हो रहा है क्या? मैं आपके पैर दबा दूं?

‘अरे नहीं! ये तो बस तुम्हारे पापा को याद कर आंसू आ गए, वो भी ऐसे ही खाता था मेरे हाथ सेपर अब कामयाबी का भूत ऐसा चढ़ा है कि खाना खाने का भी वक्त नहीं है उसके पास और न ही माँ से मिलने का समय

‘दादी! तुम ठीक हो जाओ हम दोनों आपके ही हाथ से खाना खायेंगे

‘और पढ़ने कौन जाएगा? तेरी माँ रहने देगी क्या तुमको?’

‘दादी! अब हम नहीं जायेंगे, यहीं रहकर पढ़ेंगे

दादी ने बच्चों को सीने से लगा लिया

नर्स ने इस इलाज को कभी पढ़ा ही नहीं था जीवन में

अनोखी दवाई थी अपनों के साथ हिल-मिल कर रहने की

दादी ने नर्स को कहा - आज के डॉक्टर और नर्स क्या जानें कि भारत के लोग 100 साल तक निरोगी कैसे रहते थे?

छोटा सा गांव,

सुविधा कोई नहीं, 

हर घर में गाय,

खेत के काम,

कुंए से पानी लाना,

मसाले कूटना, अनाज दलना,

दही बिलोना, मक्खन निकालना

एक घर में कम से कम 20 से 25 लोगों का खाना बनाना, कपड़े धोना, कोई मिक्सी नहीं, न ही वॉशिंग मशीन या कुकर, फिर भी जीवन में कोई रोग नहींमरते दिन तक चश्मे नहीं और दांत भी सलामत।

ये सभी केवल परिवार का प्यार मिलने से होता था।

नर्स तो यह सुनकर हैरान रह गई और दादी दूसरे दिन ठीक हो गई।

आईये हम भी बने ऐसे ही किसी रोगी की दवा

--

सरिता जैन

सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका

हिसार

🙏🙏🙏


विनम्र निवेदन

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धन्यवाद।

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