माता रानी
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माता रानी
Image by PublicDomainPictures from Pixabay
एक लड़की थी जिसका माता रानी जी पर अटुट विश्वास था। वह सुबह तीन बजे उठ जाती, स्नान आदि से निवृत्त होकर प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करती, रोज माता रानी के मंदिर जाती, माता रानी का जागरण भी करती, सहज पाठ करती। उसको बहुत सारी माता रानी की कथाएं कंठस्थ थी। घर में काम करते समय भी माता रानी का कोई ना कोई भजन हमेशा गुनगुनाती रहती। वह सिर पर हमेशा चुन्नी पहने रखती।
फिर उसकी शादी हो गई। ससुराल जा कर भी उसने अपना नित्य नियम नहीं छोड़ा। रोज माता रानी के मंदिर जाना, सेवा करनी, जागरण पाठ करती थी। उसके ससुराल वाले किसी और बाबा को मानते थे। उनको बहू का इस तरह रोज माता रानी के मंदिर जाना बिल्कुल पसंद नहीं था। वो सब उसको दुनियावी बाबा को मानने को कहते पर उस लड़की ने साफ़ मना कर दिया और कहा, मेरी माता रानी पूर्ण समरथ है। मुझे किसी और के आगे सिर झुकाने की ज़रूरत नहीं। पर उसके ससुराल वाले कोई ना कोई बहाना ढूंढते कि किस तरह उसको नीचा दिखायें। एक दिन उसके ससुराल वालों ने कहा कि अगर तेरी माता रानी पर तेरा विश्वास पूर्ण समरथ है तो इस महीने की 31 तारीख तक वो स्वयं चल कर के हमारे घर आएं। अगर वो आ गई तो तुझे कभी भी माता रानी के मंदिर जाने से नहीं रोकेंगे और अगर नहीं आई तो तुम कभी भी मंदिर नहीं जाओगी, पर उस लड़की को तो पूर्ण विश्वास था। उसने कहा मुझे मंजूर है।
उसने रोज सुबह माता रानी के मंदिर जाकर अरदास करनी शुरू कर दी और कभी-कभी रो भी पड़ती और एक ही बात कहती कि माता रानी जी, मुझे आप पर पूरा विश्वास है। दिन निकलते गए। आखिर 30 तारीख आ गयी। उस रात लड़की बहुत रोई की अगर सुबह माता रानी जी घर न आयी तो मेरा विश्वास टूट जाएगा। उस रात 3 बजे के बाद बहुत बरसात हुई। उस सुबह लड़की माता रानी जी के मंदिर नही जा सकी। जब सुबह हुई तो उसी गाँव के माता रानी के मंदिर के पुजारी ने देखा कि माता रानी के मंदिर की कच्ची छत से पानी लीक हो रहा है। उन्होंने सोचा कि कहीं कुछ गलत न हो जाए तो गाँव के कुछ समझदार लोगों को बुला कर हालात बताए। सबने यह सलाह की कि जब तक बरसात नहीं रुकती और छत ठीक नहीं होती, तब तक माता रानी जी के पावन स्थान को किसी के घर में स्थापित कर देना चाहिए ताकि बेअदबी न हो। तब पुजारी जी ने कहा, रोज यहाँ एक लड़की आती है, जो माता रानी का पाठ और जागरण भी करती है और सेवा भी बहुत करती है।
हम लोग माता रानी जी का पाठ और स्थान उसके घर ले जाते हैं। सब लोग इस बात पर सहमत हो गए। एक बुजुर्ग कहने लगा कि एक व्यक्ति को उसके घर भेज कर इजाजत ले लो। पुजारी जी ने कहा, इजाज़त क्या लेनी? वो मना थोड़े न करेगी। तब पुजारी जी और गाँव के कुछ लोग माता रानी जी के पावन पाठ और मूर्ति को बेहद आदर सत्कार से लेकर उस लड़की के घर की तरफ चल पड़े। लड़की के ससुराल वाले सब इस बात पर खुश हो रहे थे कि आज 31 तारीख़ है, अगर माता रानी जी न आए तो कल से इसका माता रानी जी के मंदिर जाना बंद। तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। जब ससुर ने दरवाजा खोला तो सामने “मां जगत जननी का पाठ और मूर्ति”, वो तो दंग रह गए। पुजारी जी ने कहा, जल्दी से कोई भी एक कमरा खाली करके उसकी अच्छी तरह से साफ-सफाई करो। माता रानी जी का पाठ और मूर्ति स्थापित करनी है। उस लड़की ने बहुत चाव से कमरा साफ किया। उसकी श्रद्धा और विश्वास देख सारे परिवार ने उस लड़की से माफ़ी मांगी। लड़की का विश्वास रंग लाया।
बात सारी विश्वास की है। भगत धन्ना जाट ने भी विश्वास के साथ पत्थर में से परमात्मा पा लिया था। मां जगत जननी भगवती जी आज भी पूर्ण रूप से समरथ हैं। कमी माता रानी जी में नहीं हम में है।
हमे मां भगवती में विश्वास नहीं है। हम कोई भी काम अपनी बुद्धि को आगे रखकर करते हैं और माताजी के प्रति विश्वास और आस्था को पीछे, तभी तो बाद में दुखी होते हैं।
भक्ति सारी विश्वास पर खड़ी है। इसलिए माता रानी पर विश्वास बनाओ, कुछ भी असंभव नहीं है, बस कभी भी शक न करो कि मेरी मां जगत जननी यह कर सकती है? नीयत साफ रखो, विश्वास रखो कि हाँ मेरी मां जगदंबा सब कुछ कर सकती है। विश्वास मतलब के लिए मत रखना, दिल से प्रेम करना।
!! जय माता दी !!
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सरिता जैन
सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका
हिसार
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