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Showing posts from January, 2023

दिव्य दर्पण

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 दिव्य दर्पण Image by Roland Steinmann from Pixabay एक गुरुकुल के आचार्य अपने शिष्य की सेवा से बहुत प्रभावित हुए। विद्या पूरी होने के बाद जब शिष्य विदा होने लगा तो गुरु ने उसे आशीर्वाद के रूप में एक “दर्पण” दिया। वह साधारण दर्पण नहीं था। उस दिव्य दर्पण में किसी भी व्यक्ति के मन के भाव को दर्शाने की क्षमता थी। शिष्य, गुरु जी के इस आशीर्वाद से बहुत प्रसन्न था। उसने सोचा कि चलने से पहले क्यों न दर्पण की क्षमता की जांच कर ली जाए। परीक्षा लेने की जल्दबाजी में उसने दर्पण का मुंह सबसे पहले गुरुजी के सामने कर दिया। शिष्य को तो सदमा लग गया। दर्पण यह दर्शा रहा था कि गुरुजी के हृदय में मोह, अहंकार, क्रोध आदि दुर्गुण स्पष्ट नजर आ रहे हैं। मेरे आदर्श, मेरे गुरु जी इतने अवगुणों से भरे हैं, यह सोचकर वह बहुत दुःखी हुआ। दुःखी मन से वह दर्पण लेकर गुरुकुल से रवाना तो हो गया लेकिन रास्ते भर मन में एक ही बात चलती रही कि मैं तो गुरुजी को समस्त दुर्गुणों से रहित एक आदर्श पुरुष समझता था लेकिन दर्पण ने तो कुछ और ही बता दिया। उसके हाथ में दूसरों को परखने का यंत्र आ गया था, इसलिए उसे जो मिलत...

चरित्र

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 चरित्र Image by Gianluca from Pixabay एक राजपुरोहित थे। वे अनेक विधाओं के ज्ञाता होने के कारण राज्य में अत्यधिक प्रतिष्ठित थे। बड़े-बड़े विद्वान उनके प्रति आदरभाव रखते थे पर उन्हें अपने ज्ञान का लेशमात्र भी अहंकार नहीं था। उनका विश्वास था कि ज्ञान और चरित्र का योग ही लौकिक एवं परमार्थिक उन्नति का सच्चा पथ है। प्रजा की तो बात ही क्या, स्वयं राजा भी उनका सम्मान करते थे और उनके आने पर उठकर आसन प्रदान करते थे। एक बार राजपुरोहित के मन में जिज्ञासा हुई कि राजदरबार में उन्हें आदर और सम्मान उनके ज्ञान के कारण मिलता है अथवा चरित्र के कारण ? इसी जिज्ञासा के समाधान हेतु उन्होंने एक योजना बनाई। योजना को क्रियान्वित करने के लिए राजपुरोहित राजा का खजाना देखने गए। खजाना देखकर लौटते समय उन्होंने खजाने में से पाँच बहुमूल्य मोती उठाए और उन्हें अपने पास रख लिया। खजांची देखता ही रह गया। राजपुरोहित के मन में धन का लोभ हो सकता है, खजांची ने स्वप्न में भी नहीं सोचा था। उसका वह दिन उसी उधेड़बुन में बीत गया। दूसरे दिन राजदरबार से लौटते समय राजपुरोहित पुनः खजाने की ओर मुड़े तथा उन्होंने फिर प...

बड़ा ओहदा

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 बड़ा ओहदा Image by Birgit from Pixabay पिता अपने बेटे के साथ पांच सितारा होटल में प्रोग्राम अटेंड करके कार से वापस जा रहा था। रास्ते में ट्रैफिक पुलिस हवलदार ने सीट बैल्ट नहीं लगाने पर रोका और चालान बनाने लगा। पिता ने सचिवालय में अधिकारी होने का परिचय देते हुए रौब झाड़ना चाहा तो हवलदार ने कड़े शब्दों में आगे से सीट बैल्ट लगाने की नसीहत देते हुए छोड़ दिया। बेटा चुपचाप सब देख रहा था। रास्ते में पिता ने कहा, “अरे! मैं आइ.ए.एस. लेवल के पद वाला अधिकारी हूँ और कहां वो मामूली हवलदार मुझे सिखा रहा था। मैं क्या जानता नहीं कि क्या जरुरी है, क्या नहीं ? बड़े अधिकारियों से बात करना तक नहीं आता, आखिर हम भी जिम्मेदारी वाले बड़े पद पर हैं भई!!” बेटे ने खिड़की से बगल में लहर जैसे चलती गाडियों का काफिला देखा, तभी अचानक तेज ब्रेक लगने और धमाके की आवाज आई। पिता ने कार रोकी तो देखा, सामने सड़क पर आगे चलती मोटरसाइकिल वाले प्रौढ़ को कोई तेज रफ्तार कार वाला टक्कर मारकर भाग गया था। मौके पर एक अकेला पुलिस का हवलदार उसे संभालकर साइड में बैठा रहा था। खून ज्यादा बह रहा था। हवलदार ने पिता को कहा, “खू...

दृष्टिकोण

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 दृष्टिकोण Image by Ralph from Pixabay एक भिक्षुणी संन्यासिनी स्त्री एक रात एक गाँव में भटकती हुई पहुँची। वह रास्ता भटक गयी थी और जिस गाँव में पहुँचना चाहती थी वहां न पहुँचकर दूसरे गाँव पहुँच गयी। उसने जाकर एक घर का दरवाज़ा खटखटाया। आधी रात थी। दरवाज़ा खुला, लेकिन उस गाँव के लोग दूसरे धर्म को मानते थे और वह भिक्षुणी दूसरे धर्म की थी। उस दरवाज़े के मालिक ने दरवाज़ा बंद कर लिया और कहा - देवी! यह द्वार तुम्हारे लिये नहीं है। हम इस धर्म को नहीं मानते। तुम कहीं और खोज कर लो और उसने चलते वक्त यह भी कहा कि इस गाँव में शायद ही कोई दरवाज़ा तुम्हारे लिए खुले, क्योंकि इस गाँव के सभी लोग दूसरे धर्म को मानते हैं और हम तुम्हारे धर्म के दुश्मन हैं। आप तो जानते ही हैं कि विभिन्न धर्म आपस में शत्रु नहीं हैं, लेकिन उन्हें मानने वाले आपस में शत्रु जैसा व्यवहार करने लगते हैं। एक गाँव का अलग धर्म है, दूसरे गाँव का अलग धर्म है। एक धर्म वाले को दूसरे धर्म वाले के यहां कोई जगह नहीं। कोई आशा नहीं, कोई प्रेम नहीं। उनके दिल के द्वार दूसरे के लिए बंद हो जाते हैं। उस भिक्षुणी के लिए भी सभी द्वार बं...

चतुर चिड़िया

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 चतुर चिड़िया Image by congerdesign from Pixabay एक दिन की बात है, एक चिड़िया आकाश में अपनी उड़ान भर रही थी। रास्ते में उसे गरुड़ मिला। गरुड़ उस चिड़िया को खाने को दौड़ा। चिड़िया ने उससे अपनी जान की भीख़ मांगी, लेकिन गरुड़ उस पर रहम करने को तैयार नहीं था। तब चिड़िया ने उसे बताया कि मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं और उनके लालन-पालन के लिए मेरा जीवित रहना ज़रूरी है। तब गरुड़ ने इस बात पर चिड़िया के सामने एक शर्त रखी कि मेरे साथ दौड़ लगाओ और अगर तुमने मुझे हरा दिया तो मैं तुम्हारी जान बख़्श दूंगा और तुम्हें यहां से जाने दूंगा। गरुड़ इस बात को जानता था कि चिड़िया का उसे दौड़ में हराना असंभव है। इसलिए उसके सामने इतनी कठिन शर्त रखी। चिड़िया के पास इस दौड़ के लिए ‘हाँ’ करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा। लेकिन चिड़िया को इस बात का अंदाज़ा था कि गरुड़ को दौड़ में हराना नामुमकिन है लेकिन फिर भी उसने इस दौड़ के लिए ‘हाँ’ कर दी। पर उसने गरुड़ से कहा कि जब तक यह दौड़ ख़त्म नहीं होती, वह उसे नहीं मारेगा। गरुड़ इस बात पर राजी हो गया। दौड़ शुरू हुई। चिड़िया झट से जाकर गरुड़ के सिर पर बैठ गई। गरुड़ को कुछ पता नहीं चला...

ऋषि और एक चूहा

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 ऋषि और एक चूहा Image by Melanie from Pixabay एक वन में एक ऋषि रहते थे। उनके डेरे पर बहुत दिनों से एक चूहा भी रहता आ रहा था। यह चूहा ऋषि से बहुत प्यार करता था। जब वे तपस्या में मग्न होते तो वह बहुत आनंद से उनके पास बैठा भजन सुनता रहता। यहाँ तक कि वह स्वयं भी ईश्वर की उपासना करने लगा था, लेकिन कुत्ते-बिल्ली और चील-कौवे आदि से वह सदा डरा-डरा और सहमा हुआ सा रहता। एक बार ऋषि के मन में उस चूहे के प्रति बहुत दया आ गयी। वे सोचने लगे कि यह बेचारा चूहा हर समय डरा-सा रहता है, क्यों न इसे शेर बना दिया जाए, ताकि इस बेचारे का डर समाप्त हो जाए और यह बेधड़क होकर हर स्थान पर घूम सके। ऋषि बहुत बड़ी दैवीय शक्ति के स्वामी थे। उन्होंने अपनी शक्ति के बल पर उस चूहे को शेर बना दिया और सोचने लगे कि अब यह चूहा किसी भी जानवर से नहीं डरेगा और निर्भय होकर पूरे जंगल में घूम सकेगा। धीरे-धीरे चूहे से बिल्ली और बिल्ली से कुत्ता बनाने के बजाय उसे सीधे शेर ही बना दिया, लेकिन चूहे से शेर बनते ही चूहे की सारी सोच बदल गई। वह सारे वन में बेधड़क घूमता। उससे अब सारे जानवर डरने लगे और प्रणाम करने लगे। उसकी ज...

भलाई

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 भलाई Image by robert102 from Pixabay एक घर में दो भाई रहते थे। छोटी उम्र में ही उनके माता और पिता की मृत्यु हो गई थी। इस भारी विपत्ति को सहते हुए वे अपने खेतों में बहुत मेहनत से काम करते थे। कुछ वर्षों के बाद बड़े भाई की शादी हो गई और फिर दो बच्चों के साथ उसका चार लोगों का परिवार हो गया। चूँकि दूसरे भाई की अभी शादी नहीं हुई थी, फिर भी उपज को दो हिस्सों में बांट दिया जाता था। एक दिन जब छोटा वाला भाई खेत में काम कर रहा था तो उसे विचार आया कि यह सही नहीं है कि हम बराबर बँटवारा करें। मैं अकेला हूँ और मेरी ज़रूरत भी बहुत अधिक नहीं है। मेरे भाई का परिवार बड़ा है एवं उसकी ज़रूरतें भी अधिक हैं। अपने दिमाग में इसी विचार के साथ वह रात को अपने यहाँ से अनाज का एक बोरा ले जाकर भाई के खेत में चुपचाप रखने लगा। इसी दौरान बड़े भाई ने भी सोचा कि यह सही नहीं है कि हम हर चीज का बराबर बँटवारा करें। मेरे पास मेरा ध्यान रखने के लिए पत्नी और बच्चे हैं, लेकिन मेरे भाई का तो कोई परिवार नहीं है। अतः भविष्य में उसकी कौन देखभाल करेगा ? इसलिए मुझे उसके भविष्य के लिए उसे अधिक देना चाहिए। इस विचार क...