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Showing posts from February, 2023

दो पत्थर

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 दो पत्थर Image by Ina Richartz from Pixabay नदी, पहाड़ों की कठिन व लम्बी यात्रा के बाद तराई में पहुंची। उसके दोनों ही किनारों पर गोलाकार, अण्डाकार व बिना किसी निश्चित आकार के असंख्य पत्थरों का ढेर सा लगा हुआ था। इनमें से दो पत्थरों के बीच आपस में परिचय बढ़ने लगा। दोनों एक-दूसरे से अपने मन की बातें कहने-सुनने लगे। इनमें से एक पत्थर एकदम गोल-मटोल, चिकना व अत्यंत आकर्षक था जबकि दूसरा पत्थर बिना किसी निश्चित आकार के खुरदरा व अनाकर्षक था। एक दिन इनमें से बेडौल, खुरदरे पत्थर ने चिकने पत्थर से पूछा, ‘‘हम दोनों ही दूर ऊंचे पर्वतों से बहकर आए हैं फिर तुम इतने गोल-मटोल, चिकने व आकर्षक क्यों हो जबकि मैं नहीं ? ’’ यह सुनकर चिकना पत्थर बोला, “पता है शुरुआत में मैं भी बिलकुल तुम्हारी तरह ही था लेकिन उसके बाद मैं निरंतर कई सालों तक बहता और लगातार टूटता व घिसता रहा हूं। न जाने मैंने कितने तूफानों का सामना किया है। कितनी ही बार नदी के तेज थपेड़ों ने मुझे चट्टानों पर पटका है तो कभी अपनी धार से मेरे शरीर को काटा है, तब कहीं जाकर मैंने ये रूप पाया है। जानते हो, मेरे पास हमेशा ये विकल्प ...

सफलता

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 सफलता Image by Nile from Pixabay एक बार की बात है। एक निःसंतान राजा था। वह बूढ़ा हो चुका था और उसे राज्य के लिए एक योग्य उत्तराधिकारी की चिंता सताने लगी थी। योग्य उत्तराधिकारी की खोज के लिए राजा ने पूरे राज्य में ढिंढोरा पिटवाया कि अमुक दिन शाम को जो मुझसे मिलने आएगा, उसे मैं अपने राज्य का एक हिस्सा दूंगा। राजा के इस निर्णय से राज्य के प्रधानमंत्री ने रोष जताते हुए राजा से कहा - “महाराज! आपसे मिलने तो बहुत से लोग आएंगे और यदि सभी को उनका भाग देंगे तो राज्य के टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे। ऐसा अव्यावहारिक काम न करें।” राजा ने प्रधानमंत्री को आश्वस्त करते हुए कहा - “प्रधानमंत्री जी! आप चिंता न करें। देखते रहें क्या होता है ? ” निश्चित दिन जब सबको मिलना था, राजमहल के बगीचे में राजा ने एक विशाल मेले का आयोजन किया। मेले में नाच-गाने और शराब की महफिल जमी थी। खाने के लिए अनेक स्वादिष्ट पदार्थ थे। मेले में कई खेल भी हो रहे थे। राजा से मिलने आने वाले कितने ही लोग तो नाच-गाने में ही अटक गए, कितने ही सुरा-सुंदरी में। कितने ही आश्चर्यजनक खेलों में मशगूल हो गए तथा कितने ही खाने-पीने, ...

भगवान से क्या माँगें

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 भगवान से क्या माँगें Image by Roland Steinmann from Pixabay पूजा करते समय अधिकतर लोग भगवान से सुख-सुविधाओं से जुड़ी वस्तुएँ पाने की कामना करते हैं। पूजा के बदले भगवान से कुछ न कुछ मांगा जाता है। इस तरह की भक्ति करने के बाद जब मनोकामनाएं पूरी नहीं होती हैं तो मन अशांत हो जाता है। मन की शांति चाहिए तो भक्ति निस्वार्थ भाव से ही करनी चाहिए। हम यह बात एक लोक कथा से समझ सकते हैं। एक प्रचलित लोक कथा के अनुसार पुराने समय में एक राजा ने अपने राज्य में घोषणा कर दी कि अगले दिन जो भी व्यक्ति मेरे महल की जिस चीज पर भी हाथ रख देगा, वह उसकी हो जाएगी। राजा की घोषणा सुनकर प्रजा ख़ुश थी। सभी लोग राजा की अलग-अलग कीमती चीजों को पाना चाहते थे। अगले दिन जैसे ही सुबह हुई, राजा के महल में प्रजा की भीड़ लग गई। कुछ लोग सोने-चांदी के बर्तन लेने की कोशिश कर रहे थे, तो कुछ लोग हीरे-मोती के आभूषण लेने लगे। राजा दूर अपने सिंहासन पर बैठकर यह नज़ारा देख रहे थे। उनकी प्रजा महल की चीज़ों को पाने के लिए दौड़-भाग कर रही थी। तभी एक व्यक्ति राजा की ओर बढ़ा। वह राजा के पास पहुँचा और उसने राजा पर हाथ रख दिया। अ...

लालच बुरी बला

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 लालच बुरी बला Image by Gabriele Lässer from Pixabay एक गाँव में तोराली नाम की लड़की रहती थी। गोरा रंग, माथे पर लाल बिंदिया व हाथों में चाँदी की चूड़ियाँ खनकाती तोराली सबको प्रिय थी। बिहुतली रंगमंच पर उसका नृत्य देखकर लोग दाँतों तले उँगली दबा लेते। एक दिन उसके पिता के पास अनंत आया। वह उसी गाँव में रहता था। उसने तोराली के पिता से कहा, ‘मैं आपकी लड़की से विवाह करना चाहता हूँ।’ अनंत के पास धन-दौलत की कमी न थी। तोराली के पिता ने तुरंत हामी भर दी। सुबाग धान (मंगल धान) कूटा जाने लगा। तोराली अनंत की पत्नी बन गई। कुछ समय तो सुखपूर्वक बीता किंतु धीरे-धीरे अनंत को व्यवसाय में घाटा होने लगा। देखते ही देखते अनंत के घर में ग़रीबी छा गई। तोराली को भी रोजी-रोटी की तलाश में घर से बाहर निकलना पड़ता था। इस बीच उसने पाँच बेटों को जन्म दिया। एक दिन पेड़ के नीचे दबने से अनंत की आँखें जाती रही। तोराली को पाँचों बेटों से बहुत उम्मीद थी। वह दिन-रात मेहनत-मज़दूरी करती। गाँव वालों के धान कूटती ताकि सबका पेट भर सके। तोराली भगवान से प्रार्थना करती कि उसके बेटे योग्य बनें किंतु पाँचों बेटे बहुत अधिक ...

स्वप्न कक्ष

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 स्वप्न कक्ष Image by Annette Meyer from Pixabay एक शहर में एक परिश्रमी, ईमानदार और सदाचारी लड़का रहता था। माता-पिता, भाई-बहन, मित्र, रिश्तेदार सब उसे बहुत प्यार करते थे। सबकी सहायता को तत्पर रहने के कारण पड़ोसी से लेकर सहकर्मी तक सभी उसका सम्मान करते थे। सब कुछ अच्छा था, किंतु जीवन में वह जिस सफ़लता प्राप्ति का सपना देखा करता था, वह उससे कोसों दूर था। वह दिन-रात जी-जान लगाकर मेहनत करता। किंतु असफ़लता ही उसके हाथ लगती। उसका पूरा जीवन ऐसे ही निकल गया और अंत में जीवनचक्र से निकलकर वह कालचक्र में समा गया। चूंकि उसने जीवन में सुकर्म किये थे, इसलिए उसे स्वर्ग की प्राप्ति हुई। देवदूत उसे लेकर स्वर्ग पहुँचे। स्वर्गलोक का अलौकिक सौंदर्य देख वह मंत्रमुग्ध हो गया और देवदूत से बोला, “यह कौन सा स्थान है ? ” “यह स्वर्गलोक है। तुम्हारे अच्छे कर्म के कारण तुम्हें स्वर्ग में स्थान प्राप्त हुआ है। अब से तुम यहीं रहोगे”, देवदूत ने उत्तर दिया। यह सुनकर लड़का ख़ुश हो गया। देवदूत ने उसे वह घर दिखाया, जहाँ उसके रहने की व्यवस्था की गई थी। वह एक आलीशान घर था। इतना आलीशान घर उसने अपने जीवन में क...

समस्या का समाधान

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 समस्या का समाधान Image by Couleur from Pixabay एक दस वर्षीय लड़का रोज़ अपने पिता के साथ पास की पहाड़ी पर सैर को जाता था। एक दिन लड़के ने कहा, “पिताजी! चलिए आज हम दौड़ लगाते हैं। जो पहले चोटी पर लगी उस झंडी को छू लेगा, वह रेस जीत जाएगा।” पिताजी तैयार हो गए। दूरी काफ़ी थी। दोनों ने धीरे-धीरे दौड़ना शुरू किया। कुछ देर दौड़ने के बाद पिताजी अचानक ही रुक गए। “क्या हुआ, पापा! आप अचानक रुक क्यों गए। आपने अभी से हार मान ली क्या ? ”, लड़का मुस्कुराते हुए बोला। “नहीं-नहीं! मेरे जूते में कुछ कंकड़ पड़ गए हैं। बस! उन्हीं को निकालने के लिए रुका हूँ”, पिताजी बोले। लड़का बोला, “अरे! कंकड़ तो मेरे भी जूतों में पड़े हैं। पर अगर मैं रुक गया तो रेस हार जाऊँगा।” और यह कहता हुआ वह तेज़ी से आगे भागा। पिताजी भी कंकड़ निकाल कर आगे बढ़े। लड़का बहुत आगे निकल चुका था। पर अब उसे पाँव में दर्द का एहसास हो रहा था और उसकी गति भी घटती जा रही थी। धीरे-धीरे पिताजी भी उसके करीब आने लगे थे। लड़के के पैरों में तकलीफ़ देख पिताजी पीछे से चिल्लाये, “क्यों नहीं तुम भी अपने कंकड़ निकाल लेते हो ? ” “मेरे पास इसके लिए टाइम नहीं ...

लालच बुरी बला

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 लालच बुरी बला Image by Veronika Andrews from Pixabay किसी गांव में हरिदत्त नाम का एक ब्राह्मण रहता था। वह जीविका चलाने के लिए खेती करता था, परंतु इसमें उसे कभी लाभ नहीं होता था। एक दिन दोपहर में धूप से पीड़ित होकर वह अपने खेत के पास स्थित एक वृक्ष की छाया में विश्राम कर रहा था। सहसा उसने देखा कि एक भयानक सर्प उसके पास ही बांबी से निकलकर फन फैलाये बैठा है। ‘हे नागदेवता! मुझे अब तक मालूम नहीं था कि आप यहां रहते हैं। इसलिए मैंने कभी आपकी पूजा नहीं की। अब आप मेरी रक्षा करें।’ ऐसा कहकर एक कटोरे में दूध लाकर नाग देवता के लिए रख कर वह घर चला गया। प्रातःकाल खेत में आने पर उसने देखा कि कटोरे में एक सोने का सिक्का रखा हुआ है। अब हरिदत्त प्रतिदिन नागदेवता को दूध पिलाता और बदले में उसे सोने का सिक्का प्राप्त होता। यह क्रम बहुत समय तक चलता रहा। हरिदत्त की सामाजिक और आर्थिक स्थिति बदल गयी थी। अब वह धनी हो गया था। एक दिन उसे किसी कार्यवश दूसरे गांव जाना था। अतः उसने दैनिक कार्य अपने पुत्र को सौंप दिया। पुत्र हरिदत्त के विपरीत लालची और क्रूर स्वभाव का था। वह दूध लेकर गया और सर्प क...