लालच बुरी बला

👼👼💧💧👼💧💧👼👼

लालच बुरी बला

Image by Veronika Andrews from Pixabay

किसी गांव में हरिदत्त नाम का एक ब्राह्मण रहता था। वह जीविका चलाने के लिए खेती करता था, परंतु इसमें उसे कभी लाभ नहीं होता था। एक दिन दोपहर में धूप से पीड़ित होकर वह अपने खेत के पास स्थित एक वृक्ष की छाया में विश्राम कर रहा था। सहसा उसने देखा कि एक भयानक सर्प उसके पास ही बांबी से निकलकर फन फैलाये बैठा है।

‘हे नागदेवता! मुझे अब तक मालूम नहीं था कि आप यहां रहते हैं। इसलिए मैंने कभी आपकी पूजा नहीं की। अब आप मेरी रक्षा करें।’ ऐसा कहकर एक कटोरे में दूध लाकर नाग देवता के लिए रख कर वह घर चला गया।

प्रातःकाल खेत में आने पर उसने देखा कि कटोरे में एक सोने का सिक्का रखा हुआ है। अब हरिदत्त प्रतिदिन नागदेवता को दूध पिलाता और बदले में उसे सोने का सिक्का प्राप्त होता। यह क्रम बहुत समय तक चलता रहा। हरिदत्त की सामाजिक और आर्थिक स्थिति बदल गयी थी। अब वह धनी हो गया था।

एक दिन उसे किसी कार्यवश दूसरे गांव जाना था। अतः उसने दैनिक कार्य अपने पुत्र को सौंप दिया। पुत्र हरिदत्त के विपरीत लालची और क्रूर स्वभाव का था। वह दूध लेकर गया और सर्प की बांबी के पास रख कर लौट आया। दूसरे दिन जब कटोरा लेने गया तो उसने देखा कि वहां एक सोने का सिक्का रखा हुआ है। उसे देखकर उसके मन में लालच आ गया। उसने सोचा कि इस बांबी में बहुत सोना होगा और यह सांप उसका रक्षक है। यदि मैं इस सांप को मारकर बांबी खोद दूँ, तो मुझे सारा सोना मिल जाएगा।

यह निश्चित कर उसने सांप पर प्रहार किया। परंतु भाग्यवश सांप बच गया एवं क्रोधित हो अपने विषैले दांतों से उसे काट लिया। इस प्रकार ब्राह्मण पुत्र लोभवश मृत्यु को प्राप्त हुआ।

इसीलिए कहा जाता है कि लालच बुरी बला है।

धीरे धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय।

माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होय।।

--

सरिता जैन

सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका

हिसार

🙏🙏🙏


विनम्र निवेदन

यदि आपको यह लेख प्रेरणादायक और प्रसन्नता देने वाला लगा हो तो कृपया comment के द्वारा अपने विचारों से अवगत करवाएं और दूसरे लोग भी प्रेरणा ले सकें इसलिए अधिक-से-अधिक share करें।

धन्यवाद।

Comments

Popular posts from this blog

अगली यात्रा - प्रेरक प्रसंग

Y for Yourself

आज की मंथरा

आज का जीवन -मंत्र

बुजुर्गों की सेवा की जीते जी

स्त्री के अपमान का दंड

आपस की फूट, जगत की लूट

वाणी हमारे व्यक्तित्व का दर्पण है

मीठी वाणी - सुखी जीवन का आधार

वाणी बने न बाण