सफलता

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सफलता

Image by Nile from Pixabay

एक बार की बात है। एक निःसंतान राजा था। वह बूढ़ा हो चुका था और उसे राज्य के लिए एक योग्य उत्तराधिकारी की चिंता सताने लगी थी। योग्य उत्तराधिकारी की खोज के लिए राजा ने पूरे राज्य में ढिंढोरा पिटवाया कि अमुक दिन शाम को जो मुझसे मिलने आएगा, उसे मैं अपने राज्य का एक हिस्सा दूंगा। राजा के इस निर्णय से राज्य के प्रधानमंत्री ने रोष जताते हुए राजा से कहा - “महाराज! आपसे मिलने तो बहुत से लोग आएंगे और यदि सभी को उनका भाग देंगे तो राज्य के टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे। ऐसा अव्यावहारिक काम न करें।” राजा ने प्रधानमंत्री को आश्वस्त करते हुए कहा - “प्रधानमंत्री जी! आप चिंता न करें। देखते रहें क्या होता है?

निश्चित दिन जब सबको मिलना था, राजमहल के बगीचे में राजा ने एक विशाल मेले का आयोजन किया। मेले में नाच-गाने और शराब की महफिल जमी थी। खाने के लिए अनेक स्वादिष्ट पदार्थ थे। मेले में कई खेल भी हो रहे थे।

राजा से मिलने आने वाले कितने ही लोग तो नाच-गाने में ही अटक गए, कितने ही सुरा-सुंदरी में। कितने ही आश्चर्यजनक खेलों में मशगूल हो गए तथा कितने ही खाने-पीने, घूमने-फिरने के आनंद में डूब गए। इस तरह समय बीतने लगा।

पर इन सभी के बीच एक व्यक्ति ऐसा भी था, जिसने किसी चीज़ की तरफ़ देखा भी नहीं। क्योंकि उसके मन में निश्चित ध्येय था कि उसे राजा से मिलना ही है। इसलिए वह बगीचा पार करके राजमहल के दरवाज़े पर पहुंच गया। पर वहां खुली तलवार लेकर दो चौकीदार खड़े थे। उन्होंने उसे रोका। उनके रोकने को अनदेखा करके और चौकीदारों को धक्का मारकर वह दौड़कर राजमहल में चला गया, क्योंकि वह निश्चित समय पर राजा से मिलना चाहता था।

जैसे ही वह अंदर पहुँचा, राजा उसे सामने ही मिल गए और उन्होंने कहा - ‘मेरे राज्य में कोई व्यक्ति तो ऐसा मिला, जो किसी प्रलोभन में फंसे बिना अपने ध्येय तक पहुंच सका। तुम्हें मैं आधा नहीं पूरा राजपाट दूंगा। तुम ही मेरे उत्तराधिकारी बनोगे।’

वास्तव में सफल वही होता है जो लक्ष्य का निर्धारण करता है। उस पर अडिग रहता है। रास्ते में आने वाली कठिनाइयों का डटकर सामना करता है और छोटी-छोटी कठिनाईयों को नजरअंदाज कर देता है। संसार के राग-रंग भी उसके मन को आकर्षित नहीं कर सकते।

यह एक लौकिक उदाहरण है। परमात्मा के समान वही बन सकता है जो किसी की ओर आकर्षित न हो और अपने लक्ष्य की तरफ सदैव अग्रसर रहे।

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सरिता जैन

सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका

हिसार

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