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Showing posts from July, 2023

गुरु का आशीर्वाद

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 गुरु का आशीर्वाद Image by Nicky ❤️🌿🐞🌿❤️ from Pixabay स्वामी विवेकानंद जी का प्रवचन चल रहा था। श्रोताओं के बीच एक मंजा हुआ चित्रकार भी बैठा था। उसे व्याख्यान देते स्वामी जी अत्यंत ओजस्वी लगे। इतने ओजस्वी कि वह अपनी डायरी के एक पृष्ठ पर उनका रेखाचित्र बनाने लगा। प्रवचन समाप्त होते ही उसने वह चित्र स्वामी विवेकानंद जी को दिखाया। चित्र देखते ही स्वामी जी हतप्रभ रह गए और पूछ बैठे - यह मंच पर ठीक मेरे सिर के पीछे तुमने जो चेहरा बनाया है, जानते हो यह किसका है? चित्रकार बोला - नहीं तो! पर पूरे व्याख्यान के दौरान मुझे यह चेहरा ठीक आपके पीछे झिलमिलाता दिखाई देता रहा। यह सुनते ही विवेकानंद जी भावुक हो उठे। रुंधे कंठ से बोले - “धन्य है तुम्हारी आँखें। तुमने आज साक्षात् मेरे गुरुदेव श्री रामकृष्ण परमहंस जी के दर्शन किए। यह चेहरा मेरे गुरुदेव का ही है, जो हमेशा दिव्य रूप में हर प्रवचन में मेरे संग रहते हैं। मैं नहीं बोलता, मेरे मुख से ये ही बोलते हैं। मेरी क्या हस्ती, जो कुछ कह-सुना पाऊँ? वैसे भी देखो न! माइक आगे होता है और मुख पीछे। ठीक यही अलौकिक दृश्य इस चित्र में है। मैं...

सीखने की प्रवृत्ति

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 सीखने की प्रवृत्ति Image by Đỗ Tiến Đạt from Pixabay एक बार गाँव के दो व्यक्तियों ने शहर जाकर पैसे कमाने का निर्णय लिया। शहर जाकर कुछ महीने इधर-उधर छोटा-मोटा काम करके दोनों ने कुछ पैसे जमा किये। फिर उन पैसों से अपना-अपना व्यवसाय प्रारंभ किया। दोनों का व्यवसाय चल पड़ा। दो साल में ही दोनों ने अच्छी ख़ासी तरक्की कर ली। व्यवसाय को फलता-फूलता देख पहले व्यक्ति ने सोचा कि अब तो मेरा काम चल पड़ा है। अब तो मैं तरक्की की सीढ़ियाँ चढ़ता चला जाऊँगा, लेकिन उसकी सोच के विपरीत व्यापारिक उतार-चढ़ाव के कारण उसे उस साल अत्यधिक घाटा हुआ। अब तक आसमान में उड़ रहा वह व्यक्ति यथार्थ के धरातल पर आ गिरा। वह उन कारणों को तलाशने लगा जिनकी वजह से उसका व्यापार बाज़ार की मार नहीं सह पाया। सबसे पहले उसने उस दूसरे व्यक्ति के व्यवसाय की स्थिति का पता लगाया, जिसने उसके साथ ही व्यापार आरंभ किया था। वह यह जानकर हैरान रह गया कि इस उतार-चढ़ाव और मंदी के दौर में भी उसका व्यवसाय मुनाफ़े में है। उसने तुरंत उसके पास जाकर इसका कारण जानने का निर्णय लिया। अगले ही दिन वह दूसरे व्यक्ति के पास पहुँचा। दूसरे व्यक्ति ने उ...

कार्यम् वा साधयेयं देहम् वा पातयेयम्

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 कार्यम् वा साधयेयं देहम् वा पातयेयम् Image by NoName_13 from Pixabay हमारा लक्ष्य अर्जुन की तरह होना चाहिये। जब तक लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होती, हमें प्रयास नहीं छोड़ना चाहिये। आज महाभारत के युद्ध में अर्जुन की कथा की ओर आपका ध्यान आकृष्ट करूँगा। महाभारत का भयंकर युद्ध चल रहा था। अर्जुन को लड़ने के लिए रणक्षेत्र से दूर सीमा पर भेज दिया गया। अर्जुन की अनुपस्थिति में पाण्डवों को पराजित करने के लिए द्रोणाचार्य ने चक्रव्यूह की रचना की। अर्जुन-पुत्र अभिमन्यु चक्रव्यूह भेदने के लिए उसमें घुस गया। उसने कुशलतापूर्वक चक्रव्यूह के छः चक्र भेद लिए। लेकिन सातवें चक्र में उसे दुर्योधन, जयद्रथ आदि सात महारथियों ने घेर लिया और वे उस पर टूट पड़े। जयद्रथ ने पीछे से निहत्थे अभिमन्यु पर जोरदार प्रहार किया। वह वार इतना तीव्र था कि अभिमन्यु उसे सहन नहीं कर सका और वीरगति को प्राप्त हो गया। अभिमन्यु की मृत्यु का समाचार सुनकर अर्जुन क्रोध से पागल हो उठा। उसने प्रतिज्ञा की कि यदि अगले दिन सूर्यास्त से पहले उसने जयद्रथ का वध नहीं किया तो वह आत्मदाह कर लेगा। जयद्रथ भयभीत होकर दुर्योधन के पास ...

एहसास

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 एहसास Image by InspiredImages from Pixabay रामायण कथा का एक अंश है, जिससे हमें सीख मिलती है “एहसास” की। श्री राम, लक्ष्मण एवम् सीता मैया चित्रकूट पर्वत की ओर जा रहे थे। राह बहुत पथरीली और कंटीली थी कि यकायक श्री राम के चरणों में कांटा चुभ गया। श्री राम रुष्ट या क्रोधित नहीं हुए, बल्कि हाथ जोड़कर धरती माता से अनुरोध करने लगे। वे बोले - “माँ! मेरी एक विनम्र प्रार्थना है आपसे, क्या आप स्वीकार करेंगी?” धरती बोली - “प्रभु! प्रार्थना नहीं, आज्ञा दीजिए।” प्रभु बोले - “माँ! मेरी बस यही विनती है कि जब भरत मेरी खोज में इस पथ से गुज़रे, तो आप नरम हो जाना। कुछ पल के लिए अपने आँचल के ये पत्थर और कांटे छिपा लेना। मुझे कांटा चुभा सो चुभा, पर मेरे भरत के पाँव में आघात मत करना।” श्री राम को यूँ व्यग्र देखकर धरा दंग रह गई। पूछा - “भगवन्! धृष्टता क्षमा हो। पर क्या भरत आपसे अधिक सुकुमार है? जब आप इतनी सहजता से सब सहन कर गए, तो क्या कुमार भरत सहन नहीं कर पाएँगे? फिर उनको लेकर आपके चित्त में ऐसी व्याकुलता क्यों?” श्री राम बोले - “नहीं! नहीं! माते! आप मेरे कहने का अभिप्राय नहीं समझी। भरत ...

आधा सेर आटा

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 आधा सेर आटा (चिंता अगली पीढ़ी की) Image by bess.hamiti@gmail.com from Pixabay एक नगर का सेठ अपार धन सम्पदा का स्वामी था। एक दिन उसे अपनी सम्पत्ति के मूल्य निर्धारण की इच्छा हुई। उसने तत्काल अपने लेखा अधिकारी को बुलाया और आदेश दिया कि मेरी सम्पूर्ण सम्पत्ति का मूल्य निर्धारण कर ब्यौरा दीजिए। पता तो चले मेरे पास कुल कितनी सम्पदा है। सप्ताह भर बाद लेखाधिकारी ब्यौरा लेकर सेठ की सेवा में उपस्थित हुआ। सेठ ने पूछा - “कुल कितनी सम्पदा है?” लेखाधिकारी ने कहा - “सेठ जी! मोटे तौर पर कहूँ तो आपकी सात पीढ़ी बिना कुछ किए-धरे आनन्द से भोग सके, इतनी सम्पदा है आपकी।” लेखाधिकारी के जाने के बाद सेठ चिंता में डूब गए। ‘तो क्या मेरी आठवीं पीढ़ी भूखों मरेगी?’ वे रात-दिन चिंता में रहने लगे। वे तनावग्रस्त रहते, भूख भाग चुकी थी। कुछ ही दिनों में वे कृशकाय हो गए। सेठानी द्वारा बार बार तनाव का कारण पूछने पर भी जवाब नहीं देते। सेठानी से उनकी हालत देखी नहीं जा रही थी। उसने मन की स्थिरता व शान्ति के लिए साधु-संत के पास सत्संग में जाने को प्रेरित किया। सेठ को भी यह विचार पसंद आया कि चलो अच्छा है। स...

कर्म का लेखा

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 कर्म का लेखा Image by Nicky ❤️🌿🐞🌿❤️ from Pixabay एक महिला रोटी बनाते-बनाते “गुरुमंत्र” का जाप कर रही थी। काम करते-करते भी “गुरुमंत्र” का जाप करने की आदत हो गई थी। एक दिन एकाएक धड़ाम से जोरों की आवाज हुई और साथ में दर्दनाक चीख। कलेजा धक से रह गया। जब आंगन में दौड़ कर ऊपर से नीचे झांका तो आठ साल का उनका लाडला बेटा चित पड़ा था, खून से लथपथ। वह दहाड़ मार-मार कर रोने लगी। घर में उसके अलावा कोई नहीं था। रोकर भी किसे बुलाती। फिर बेटे को संभालना भी तो था। दौड़ कर नीचे गई तो देखा, बेटा आधी बेहोशी में माँ-माँ की रट लगाए हुए है। मां की ममता तड़प गई। आँखों के सामने आ कर अपनी मौजूदगी का अहसास करवाया। फिर 10 दिन पहले ही करवाये अपेंडिक्स के ऑपरेशन के बावजूद न जाने कहाँ से इतनी शक्ति आ गयी कि बेटे को गोद मे उठा कर पड़ोस के नर्सिंग होम की ओर दौड़ी। रास्ते भर अपने सद्गुरु को जी भर कर कोसती रही, बड़बड़ाती रही। हे गुरुदेव! क्या बिगाड़ा था मैंने तुम्हारा, जो मेरे ही बच्चे को....। खैर! डॉक्टर मिल गए और समय पर इलाज होने पर बेटा बिल्कुल ठीक हो गया। चोटें गहरी नहीं थी। ऊपरी थी तो कोई खास परेशानी ...

आस्था का प्रमाण

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 आस्था का प्रमाण Image by Michaela, at home in Germany • Thank you very much for a like from Pixabay एक साधु महाराज श्री रामायण कथा सुना रहे थे। लोग आते और आनंद विभोर होकर जाते। साधु महाराज का नियम था कि रोज कथा शुरू करने से पहले “आइए हनुमंत जी बिराजिए” कह कर हनुमान जी का आह्वान करते थे। फिर एक घण्टा प्रवचन करते थे। एक वकील साहब हर रोज कथा सुनने आते। वकील साहब के भक्ति भाव पर एक दिन तर्कशीलता हावी हो गई। उन्हें लगा कि महाराज रोज “आइए हनुमंत जी बिराजिए” कहते हैं, तो क्या हनुमान जी सचमुच आते होंगे? अतः वकील साहब ने महात्मा जी से पूछ ही डाला - महाराज जी! आप रामायण की कथा बहुत अच्छी कहते हैं। हमें बहुत रस आता है। परन्तु आप जो गद्दी प्रतिदिन हनुमान जी को देते हैं, उस पर क्या हनुमान जी सचमुच बिराजते हैं? साधु महाराज ने कहा - हाँ! यह मेरा व्यक्तिगत विश्वास है कि रामकथा हो रही हो तो हनुमान जी अवश्य पधारते हैं। वकील ने कहा - महाराज! ऐसे बात नहीं बनेगी। हनुमान जी यहाँ आते हैं, इसका कोई सबूत दीजिए। आपको साबित करके दिखाना चाहिए कि हनुमान जी आपकी कथा सुनने आते हैं। महाराज जी ने...