गुरु का आशीर्वाद

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गुरु का आशीर्वाद

Image by Nicky ❤️🌿🐞🌿❤️ from Pixabay

स्वामी विवेकानंद जी का प्रवचन चल रहा था। श्रोताओं के बीच एक मंजा हुआ चित्रकार भी बैठा था। उसे व्याख्यान देते स्वामी जी अत्यंत ओजस्वी लगे। इतने ओजस्वी कि वह अपनी डायरी के एक पृष्ठ पर उनका रेखाचित्र बनाने लगा।

प्रवचन समाप्त होते ही उसने वह चित्र स्वामी विवेकानंद जी को दिखाया।

चित्र देखते ही स्वामी जी हतप्रभ रह गए और पूछ बैठे - यह मंच पर ठीक मेरे सिर के पीछे तुमने जो चेहरा बनाया है, जानते हो यह किसका है?

चित्रकार बोला - नहीं तो! पर पूरे व्याख्यान के दौरान मुझे यह चेहरा ठीक आपके पीछे झिलमिलाता दिखाई देता रहा।

यह सुनते ही विवेकानंद जी भावुक हो उठे। रुंधे कंठ से बोले - “धन्य है तुम्हारी आँखें। तुमने आज साक्षात् मेरे गुरुदेव श्री रामकृष्ण परमहंस जी के दर्शन किए। यह चेहरा मेरे गुरुदेव का ही है, जो हमेशा दिव्य रूप में हर प्रवचन में मेरे संग रहते हैं।

मैं नहीं बोलता, मेरे मुख से ये ही बोलते हैं। मेरी क्या हस्ती, जो कुछ कह-सुना पाऊँ? वैसे भी देखो न! माइक आगे होता है और मुख पीछे। ठीक यही अलौकिक दृश्य इस चित्र में है। मैं आगे हूँ और वास्तविक वक्ता - मेरे गुरुदेव पीछे दिखाई दे रहे हैं। मैं तो उनकी वाणी को प्रसारित करने वाले माइक के समान हूँ।”

वास्तव में गुरु व शिष्यों में युगों-युगों से यही रहस्यमयी लीला होती चली आ रही है। अपने गुरु व भगवान पर पूर्ण विश्वास रखें।

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 सरिता जैन

सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका

हिसार

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