सुमिरन का स्वाद
👼👼💧💧👼💧💧👼👼 सुमिरन का स्वाद Image by Monika from Pixabay मेरी बच्ची बहुत छोटी थी, अब तक दाँत भी नहीं निकले थे। बच्चों के हाथ में कुछ खिलौना आदि जो आया, वह मुँह में डालते हैं वैसे ही उसे भी हम जो चीज देते थे वह मुँह में डाल देती थी। हम भी मजा लेते थे। कभी-कभी कुछ देकर छीन लेते थे। कभी चुपचाप रहती और कभी रो देती थी। एक बार मेरी बुआ ने उसके हाथ में एक आम दे दिया। अब दाँत तो थे नहीं और हम भी अपनी बातों में मस्त थे। कुछ समय बाद हमारा ध्यान उस आम पर गया। जैसे ही हमने वह आम उसके हाथों से लिया, वह जोरों से रोने लगी। अब हमने उसे कुछ खिलौने देने चाहे, तो उसका इशारा आम की ओर ही था। जब हमने उस आम पर गौर किया तो आम पर थोड़ा सा छिद्र हो गया था, जिसमें से वह रस पी रही थी। तब हम समझ गये कि वह उसी आम के लिये ही क्यों रो रही थी। उसे उस आम का रस इतना मीठा लगा कि कोई भी खिलौना उसे पसंद नहीं आ रहा था। अब थोड़ा गौर करने वाली बात यह है कि हम भी बिना दाँतों वाले बच्चे की तरह ही हैं। “भगवत्नाम” रुपी आम हमें भी मिल चुका है, पर हम खिलौनों (रिश्तेदार, समाज, व्यापार आदि) को ही पकड़े बैठे हैं। जब हम नाम का र...