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Showing posts from December, 2024

त्याग का रहस्य

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 त्याग का रहस्य Image by Stefan Schweihofer from Pixabay एक बार महर्षि नारद ज्ञान का प्रचार करते हुए किसी सघन वन में जा पहुँचे। वहाँ उन्होंने एक बहुत बड़ा घनी छाया वाला सेमर का वृक्ष देखा और उसकी छाया में विश्राम करने के लिए ठहर गये। नारद जी को उसकी शीतल छाया में आराम करके बड़ा आनन्द हुआ, वे उसके वैभव की भूरि-भूरि प्रशंसा करने लगे। उन्होंने उससे पूछा, “वृक्ष राज! तुम्हारा इतना बड़ा वैभव किस प्रकार सुस्थिर रहता है? पवन तुम्हें गिराती क्यों नहीं?” सेमर के वृक्ष ने हंसते हुए ऋषि के प्रश्न का उत्तर दिया, “भगवन्! बेचारे पवन की कोई सामर्थ्य नहीं कि वह मेरा बाल भी बांका कर सके। वह मुझे किसी प्रकार गिरा नहीं सकता।” नारद जी को लगा कि सेमर का वृक्ष अभिमान के नशे में ऐसे वचन बोल रहा है। उन्हें यह उचित प्रतीत न हुआ और झुंझलाते हुए सुरलोक को चले गये। सुरपुर में जाकर नारद जी ने पवन से कहा, “अमुक वृक्ष अभिमान पूर्वक दर्प वचन बोलता हुआ आपकी निन्दा करता है, सो उसका अभिमान दूर करना चाहिए।” पवन को अपनी निन्दा करने वाले पर बहुत क्रोध आया और वह उस वृक्ष को उखाड़ फेंकने के लिए बड़े प्रबल प्र...

जाकी रही भावना जैसी

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 जाकी रही भावना जैसी Image by Willi Heidelbach from Pixabay गंगा किनारे एक संत का आश्रम था। आश्रम में रहकर तीन शिष्य शिक्षा प्राप्त करते थे। जैसा कि हर गुरु करते हैं, वह संत जी समय-समय पर अपने शिष्यों की परीक्षा लेते रहते थे। एक दिन उन्होंने शिष्यों को बुलाया और मंदिर बनाने का आदेश दिया। तीनों शिष्य गुरु की आज्ञा से मंदिर बनाने लगे। मंदिर पूरा होने में काफी दिन लग गए। जब मंदिर पूरी तरह बनकर तैयार हो गया, तब संत जी ने तीनों को अपने पास बुलाया। उन्होंने पहले शिष्य से पूछा - जब मंदिर बन रहा था, तब तुम्हें कैसा अनुभव हो रहा था? शिष्य ने उत्तर दिया - गुरुदेव! मुझे पूरे दिन काम करना पड़ता था। लगता था कि मुझ में और एक गधे में कोई अंतर ही नहीं रह गया है। मंदिर के निर्माण का कार्य करते-करते मैं तो परेशान हो गया था। संत जी ने दूसरे शिष्य से भी यही प्रश्न पूछा, तो वह बोला - गुरुदेव! मैं भी सारा दिन कार्य करता था। मंदिर के निर्माण कार्य के दौरान मेरे मन में तो यही विचार आ रहा था कि जल्द-से-जल्द मंदिर बन जाए, जिससे ईश्वर प्रसन्न हो जाएं और हमारा कुछ कल्याण हो जाए। संत ने तीसरे श...

शबरी की कथा

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 शबरी की कथा Image by Ralph from Pixabay शबरी एक बदसूरत लड़की थी, पर दिल से वह बहुत अच्छी थी। जब वह 14-15 साल की हुई, तभी उसके माता-पिता को उसके विवाह की चिंता होने लगी। शबरी की नाक के छेद बहुत बड़े-बड़े थे। होंठ भी बहुत मोटे-मोटे थे। रंग भी सांवला/काला था। उसकी शक्ल डरावनी सी थी, इसलिए कोई भी लड़का उसको पसंद नहीं कर रहा था। शबरी के माता-पिता ने शबरी को दिखाए बिना उसकी शादी एक लड़के से तय कर दी। शादी हो गई। जैसे ही लड़के ने शबरी को देखा, वह घबरा गया कि पूरी ज़िन्दगी इस लड़की के साथ कैसे बिताई जाएगी? वह शबरी को चुपचाप किसी जंगल में छोड़ कर भाग गया। शबरी वहीं बैठ कर रोने लगी। भगवान की कृपा से मतंग मुनि वहाँ से निकल रहे थे। मतंग मुनि ने शबरी को देखा और पूछा, “बेटी! तुम यहाँ क्यों बैठी हो? कहाँ जाना है?” शबरी ने अपने पति द्वारा यहाँ छोड़ कर भाग जाने की बात बताई। मुनि ने कहा, “बेटी! यहाँ जंगली जानवर आते रहते हैं। तुम मेरे साथ मेरी कुटिया में रहो।” शबरी मुनि के साथ उनकी कुटिया में चली गई। अब वह कुटिया की सफाई करती, फल-फूल चुन कर लाती। सुबह बहुत जल्दी उठ कर भगवान की सेवा करती। मतंग...

हिमालय की चोटी

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 हिमालय की चोटी Image by Anastasia Kuleshova from Pixabay एक बार एक यात्री होता है जिसका सपना था हिमालय की चोटी तक चढ़ना और एक दिन वह अपने सपने को पूरा करने में लग जाता है। पर कुछ देर बाद उसकी हिम्मत टूटने लगती है। उसे लगता है कि वह अपना सपना पूरा नहीं कर पायेगा। तभी वह एक बूढ़े ज्ञानी आदमी को वहाँ से गुजरते हुए देखता है। वह यात्री उनके पास जाता है और बोलता है - मैं हिमालय की चोटी तक पहुंचना चाहता हूँ, पर मैं अभी से थक गया हूँ। शायद मुझमें वह हिम्मत और ताकत नहीं, जिससे मैं अपना सपना पूरा कर सकूँ। तभी वह बूढ़े ज्ञानी मुस्कुराते हुए कहते हैं - तुम अभी से हार इसलिए मान रहे हो, क्योंकि तुम गलती कर रहे हो। तुम इसलिए थक गए और निराश हो रहे हो, क्योंकि तुम अभी से सिर्फ हिमालय की चोटी पर कब पहुँचोगे, वही सोच रहे हो। वह कितना ज्यादा दूर है अभी भी और तुम्हें न जाने कितनी ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी, इन्हीं चीजों पर तुम्हारा ध्यान है। उन्होंने समझाया कि यदि तुम्हें हिमालय की चोटी तक पहुंचना है, तो अभी अपना ध्यान सिर्फ अपने अगले कदम पर लगाओ। उस एक-एक कदम के बारे में सोचो जो तुम आगे बढ़...

हृदय में भगवान

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 हृदय में भगवान यह घटना जयपुर के एक वरिष्ठ डॉक्टर की आपबीती है, जिसने उनका जीवन बदल दिया। वह हृदय रोग विशेषज्ञ हैं। उनके द्वारा बताई प्रभु कृपा की कहानी के अनुसार - एक दिन मेरे पास एक दंपत्ति अपनी छः साल की बच्ची को लेकर आए। निरीक्षण के बाद पता चला कि उसके हृदय में रक्त संचार बहुत कम हो चुका है। मैंने अपने साथी डॉक्टर से विचार करने के बाद उस दंपत्ति से कहा - “30 प्रतिशत संभावना है बचने की। दिल को खोलकर ओपन हार्ट सर्जरी करनी पड़ेगी, नहीं तो बच्ची के पास सिर्फ तीन महीने का समय है।” माता-पिता भावुक हो कर बोले, “डॉक्टर साहब! इकलौती बिटिया है। ऑपरेशन के अलावा और कोई चारा नहीं है?” मैंने अन्य कोई विकल्प के लिए मना कर दिया। दंपत्ति ने कहा - “आप ऑपरेशन की तैयारी कीजिये।” सर्जरी के पांच दिन पहले बच्ची को भर्ती कर लिया गया। बच्ची मुझ से बहुत घुलमिल चुकी थी। बहुत प्यारी बातें करती थी। उसकी माँ को प्रार्थना में अटूट विश्वास था। वह सुबह-शाम बच्ची को यही कहती - “बेटी! घबराना नहीं। भगवान बच्चों के हृदय में रहते हैं। वह तुम्हें कुछ नहीं होने देंगे।” सर्जरी के दिन मैंने उस बच्ची से कहा...

ऋण मुक्ति

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 ऋण मुक्ति Image by Dim Hou from Pixabay एक धर्मशाला में पति-पत्नी अपने छोटे-से नन्हे-मुन्ने बच्चे के साथ रुके। धर्मशाला कच्ची थी। दीवारों में दरारें पड़ गयी थी। आसपास में खुला जंगल जैसा माहौल था। पति-पत्नी अपने छोटे-से बच्चे को प्रांगण में बिठाकर कुछ काम से बाहर गये। वापस आकर देखते हैं, तो बच्चे के सामने एक बड़ा नाग कुण्डली मारकर फण फैलाये बैठा है। यह भयंकर दृश्य देखकर दोनों हक्के-बक्के रह गये। बेटा मिट्टी की मुट्ठी भर-भर कर नाग के फण पर फेंक रहा है और नाग हर बार झुक-झुककर सहे जा रहा है। माँ चीख उठी, बाप चिल्लाया - “बचाओ....। बचाओ....। हमारे लाड़ले को बचाओ....।” लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गयी। उसमें एक निशानेबाज था। वह ऊँट गाड़ी पर बोझा ढोने का धंधा करता था। वह बोला - “मैं निशाना तो मारूँ और सर्प को ही खत्म करूँगा, लेकिन निशाना चूक जाए और बच्चे को चोट लग जाए तो मैं जिम्मेदार नहीं। आप लोग बोलो तो मैं कोशिश करूँ?” पुत्र के आगे विषधर बैठा है। ऐसे प्रसंग पर कौन-से माँ-बाप इन्कार करेंगे? वे सहमत हो गये और माँ बोली - “भाई! साँप को मारने की कोशिश करो, अगर गलती से बच्चे को चोट लग...