त्याग का रहस्य
👼👼💧💧👼💧💧👼👼 त्याग का रहस्य Image by Stefan Schweihofer from Pixabay एक बार महर्षि नारद ज्ञान का प्रचार करते हुए किसी सघन वन में जा पहुँचे। वहाँ उन्होंने एक बहुत बड़ा घनी छाया वाला सेमर का वृक्ष देखा और उसकी छाया में विश्राम करने के लिए ठहर गये। नारद जी को उसकी शीतल छाया में आराम करके बड़ा आनन्द हुआ, वे उसके वैभव की भूरि-भूरि प्रशंसा करने लगे। उन्होंने उससे पूछा, “वृक्ष राज! तुम्हारा इतना बड़ा वैभव किस प्रकार सुस्थिर रहता है? पवन तुम्हें गिराती क्यों नहीं?” सेमर के वृक्ष ने हंसते हुए ऋषि के प्रश्न का उत्तर दिया, “भगवन्! बेचारे पवन की कोई सामर्थ्य नहीं कि वह मेरा बाल भी बांका कर सके। वह मुझे किसी प्रकार गिरा नहीं सकता।” नारद जी को लगा कि सेमर का वृक्ष अभिमान के नशे में ऐसे वचन बोल रहा है। उन्हें यह उचित प्रतीत न हुआ और झुंझलाते हुए सुरलोक को चले गये। सुरपुर में जाकर नारद जी ने पवन से कहा, “अमुक वृक्ष अभिमान पूर्वक दर्प वचन बोलता हुआ आपकी निन्दा करता है, सो उसका अभिमान दूर करना चाहिए।” पवन को अपनी निन्दा करने वाले पर बहुत क्रोध आया और वह उस वृक्ष को उखाड़ फेंकने के लिए बड़े प्रबल प्र...