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Showing posts from January, 2025

पॉजिटिविटी

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 पॉजिटिविटी Image by Goran Horvat from Pixabay एक नर्स लंदन में ऑपरेशन से दो घंटे पहले मरीज़ के कमरे में घुसकर कमरे में रखे गुलदस्ते को संवारने और ठीक करने लगी। ऐसे ही जब वह अपनी पूरी लगन के साथ काम में लगी थी, तभी अचानक उसने मरीज़ से पूछा, “सर! आपका ऑपरेशन कौन सा डॉक्टर कर रहा है?” नर्स को देखे बिना मरीज़ ने अनमने से लहजे में कहा, “डॉ. जबसन।” नर्स ने डॉक्टर का नाम सुना और आश्चर्य से अपना काम छोड़ते हुये मरीज़ के पास पहुँची और पूछा, “सर, क्या डॉ. जबसन ने वास्तव में आपके ऑपरेशन को स्वीकार किया है?” मरीज़ ने कहा, “हाँ, मेरा ऑपरेशन वही कर रहे हैं।” नर्स ने कहा, “बड़ी अजीब बात है, विश्वास नहीं होता।” परेशान होते हुए मरीज़ ने पूछा, “लेकिन इसमें ऐसी क्या अजीब बात है?” नर्स ने कहा, “वास्तव में इस डॉक्टर ने अब तक हजारों ऑपरेशन किये हैं। उसके ऑपरेशन में सफलता का अनुपात 100 प्रतिशत है। इनकी तीव्र व्यस्तता की वजह से इन्हें समय निकालना बहुत मुश्किल होता है। मैं हैरान हूँ कि आपका ऑपरेशन करने के लिए उन्हें फुर्सत कैसे मिली?” मरीज़ ने नर्स से कहा, “ये मेरी अच्छी किस्मत है कि डॉ. जबसन को फ...

भगवान की कृपा

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 भगवान की कृपा Image by Pexels from Pixabay भगवान निरन्तर हम पर कृपा करते रहते हैं लेकिन हम कभी-कभी उनकी कृपा को महसूस नहीं कर पाते। एक सुन्दर कथा के माध्यम से समझिए। एक बार की बात है। बहुत तेज बारिश हो रही थी। दो मटके (घड़े) बाहर रखे हुए थे। बारिश में दोनों भीग रहे थे। थोड़ी देर के बाद जब बारिश बंद हुई तो एक मटका भर गया और दूसरा खाली रह गया। जो मटका खाली रह गया, वह वर्षा से कहता है - अरी वर्षा! तू पक्षपात (भेदभाव) करती है। तूने इसे भर दिया है लेकिन मुझे नहीं भरा। तब बारिश कहती है - मटके! तू ऐसा क्यों बोल रहा है? मैंने तुम दोनों मटकों पर बराबर बारिश की है। लेकिन तू अपना मुँह तो देख। तेरा मुँह नीचे की ओर है। तुझमें तो जल की एक बूंद को भी संभाल कर रखने की क्षमता नहीं है, चाहे मैं कितना ही जल तुझ पर बरसाती रहूँ। दोस्तों! वह मटका उल्टा रखा हुआ था। गलती हमारी खुद की होती है लेकिन हम दोष दूसरों पर डालते रहते हैं। ठीक इसी तरह भगवान भी हम पर कृपा करते हैं लेकिन गलती हमारी ही होती है। हमारी ही झोली छोटी पड़ जाये, तो भगवान को दोषी क्यों ठहराएं? जिस तरह से सूर्य देव सब पर बराबर ...

माँ का सम्मान - एक सीख

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 माँ का सम्मान - एक सीख Image by Couleur from Pixabay एक वृद्ध माँ रात को 11:30 बजे रसोई में बर्तन साफ कर रही है। घर में दो बहुएँ हैं, जो बर्तनों की आवाज से परेशान होकर अपने पतियों को सास को उलाहना देने को कहती हैं। वे कहती हैं कि आपकी माँ को मना करो, इतनी रात को बर्तन धोने के लिये। इससे हमारी नींद खराब होती है। साथ ही सुबह 4 बजे उठकर फिर खटर-पटर शुरू कर देती हैं। सुबह 5 बजे पूजा-आरती करके हमें सोने नहीं देती। न रात को, न ही सुबह। जाओ....सोच क्या रहे हो? जाकर माँ को मना करो। बड़ा बेटा खड़ा होता है और रसोई की तरफ जाता है। रास्ते मे छोटे भाई के कमरे में से भी वे ही बातें सुनाई पड़ती हैं, जो उसके कमरे में हो रही थी। वह छोटे भाई के कमरे को खटखटा देता है। छोटा भाई बाहर आता है। दोनों भाई रसोई में जाते हैं और माँ को बर्तन साफ करने में मदद करने लगते हैं। माँ मना करती है, पर वे नहीं मानते। बर्तन साफ हो जाने के बाद दोनों भाई माँ को बड़े प्यार से उसके कमरे में ले जाते हैं, तो देखते हैं कि पिताजी भी जगे हुए हैं। दोनों भाई माँ को बिस्तर पर बैठा कर कहते हैं - माँ! सुबह जल्दी उठा देन...

अंतरात्मा की आवाज

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 अंतरात्मा की आवाज Image by Kati from Pixabay किसी गांव के किनारे एक मंदिर था। मंदिर में एक साधु रहता था। गांव में एक चोर भी रहता था। चोर खाते-पीते घर का बेटा था। नसीब से वह चोर बन गया, तो जिंदगी भी चोर की ही घसीटनी पड़ रही थी। किसी ने उसके साथ शादी नहीं की। चोर अपने ही गांव में हाथ मारता था। लोग उसे कबाड़ी चोर कहते थे, क्योंकि वह छोटी-मोटी चोरी ही करता था। उसके चोरी करने से लोगों को दुःख अधिक होता था, हानि कम। चोर को लाभ कुछ नहीं था, पर परेशानी दुनिया भर की थी। एक दिन चोर ने सोचा कि मंदिर के चढ़ावे से साधु की थैली भरी पड़ी है। वह संपत्ति भी उसकी मुफ्त की ही है, खून पसीने की तो है नहीं। अब उसने साधु की कुटिया पर आना-जाना शुरू कर दिया। बगुला भगत की श्रद्धा भक्ति से साधु महाराज तो गद्गद् हो उठे। चोर मुंह में राम, बगल में छुरी लेकर दिन-भर साधु महाराज की सेवा करता। वैसे साधु भी जानता था कि यह चोर खड़ग सिंह तो है नहीं, एक कबाड़ी चोर है। दिन में इसने हाथ नहीं डालना है, रात में मुझे इसको घास नहीं डालनी है, इसलिए मेरी थैली का बाल बांका होने से रहा। थैली के आकार को देखकर कबाड़ी चो...

गर्द

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 गर्द “बेटा! गाड़ी साफ कर दूं?” रंजीत ने जैसे ही फ्यूल भरवाने के लिए अपनी कार को पेट्रोल पंप पर रोका, एक बुजुर्ग भागकर उसकी गाड़ी के करीब आया। “नहीं अंकल। अभी थोड़ी जल्दी में हूँ।” यह कहते हुए रंजीत ने उस बुजुर्ग को टालना चाहा लेकिन वह बुजुर्ग उससे विनती करने लगा। “बेटा दस मिनट भी नहीं लगेंगे। थोड़ा ठहर जाओ। मैंने आज सुबह से अभी तक कुछ नहीं खाया है। दस-बीस रुपए दे देना, बस।” बुजुर्ग की हालत देख रंजीत को उस पर दया आ गई, “अंकल! मैं आपको रुपए दे देता हूँँ, आप कुछ खा लीजिएगा।” यह कहते हुए रंजीत ने अपनी जेब से बटुआ निकाल लिया लेकिन बुजुर्ग ने यह कहते हुए रुपए लेने से इंकार कर दिया कि “बेटा! मैं भीख नहीं ले सकता।” “अंकल! यह भीख नहीं है। मैं आपकी इज्जत करता हूँँ। आप मेरे पिता समान हैं। लेकिन आपने सुबह से कुछ नहीं खाया है, इसलिए मैं आपको यह कुछ रुपए देना चाहता हूँँ।” “नहीं बेटा! आप जाइए। मैं इंतजार करूँगा। आप नहीं तो कोई और सही। किसी न किसी को तो मेरी मेहनत की जरूरत होगी।” यह कहते हुए वह बुजुर्ग वापस मुड़ गया। उस बुजुर्ग का आत्मसम्मान और स्वाभिमान देख रंजीत हैरान हुआ। वह बुजुर्ग उ...

परोपकार की भावना

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 परोपकार की भावना Image by uwe367 from Pixabay बहुत समय पहले की बात है। एक विख्यात ऋषि अपने गुरुकुल में बालकों को शिक्षा प्रदान किया करते थे। उनके गुरुकुल में बड़े-बड़े राजा-महाराजाओं के पुत्रों से लेकर साधारण परिवार के लड़के भी पढ़ा करते थे। वर्षों से शिक्षा प्राप्त कर रहे शिष्यों की शिक्षा आज पूर्ण हो रही थी और सभी बड़े उत्साह के साथ अपने-अपने घरों को लौटने की तैयारी कर रहे थे कि तभी ऋषिवर की तेज आवाज सभी के कानों में पड़ी - “आप सभी मैदान में एकत्रित हो जाएं।” आदेश सुनते ही शिष्यों ने ऐसा ही किया। ऋषिवर बोले, “प्रिय शिष्यों! आज इस गुरुकुल में आपका अंतिम दिन है। मैं चाहता हूँ कि यहाँ से प्रस्थान करने से पहले आप सभी एक दौड़ में हिस्सा लें। यह एक बाधा दौड़ होगी और इसमें आपको कहीं कूदना, तो कहीं पानी में दौड़ना होगा और इसके आखिरी हिस्से में आपको एक अँधेरी सुरंग से भी गुज़रना पड़ेगा।” ”तो क्या आप सब तैयार हैं?” “हाँ, हम तैयार हैं”, शिष्य एक स्वर में बोले। दौड़ शुरू हुई। सभी तेजी से भागने लगे। वे तमाम बाधाओं को पार करते हुए अंत में सुरंग के पास पहुंचे। वहाँ बहुत अँधेरा था और उसमें...