एक अदृश्य स्टिकर
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एक अदृश्य स्टिकर
मेरे आगे वाली कार कछुए की तरह चल रही थी और मेरे बार-बार हॉर्न देने पर भी रास्ता नहीं दे रही थी।
मैं अपना आपा खो कर चिल्लाने ही वाला था कि मैंने कार के पीछे लगा एक छोटा सा स्टिकर देखा, जिस पर लिखा था - “शारीरिक विकलांग; कृपया धैर्य रखें।” और यह पढ़ते ही जैसे सब-कुछ बदल गया।
मैं तुरंत ही शांत हो गया और अपनी कार को धीमा कर लिया। यहाँ तक कि मैं उस कार और उसके ड्राईवर का विशेष ख्याल रखते हुए चलने लगा कि कहीं उसे कोई तक़लीफ न हो। मैं ऑफिस कुछ मिनट देर से ज़रूर पहुँचा, मगर मन में एक संतोष था।
इस घटना ने दिमाग को हिला दिया। क्या मुझे हर बार शांत करने और धैर्य रखने के लिए किसी स्टिकर की ही ज़रुरत पड़ेगी? हमें लोगों के साथ धैर्यपूर्वक व्यवहार करने के लिए हर बार किसी स्टिकर की ज़रुरत क्यों पड़ती है?
क्या हम लोगों से धैर्यपूर्वक अच्छा व्यवहार सिर्फ तब ही करेंगे, जब वे अपने माथे पर कुछ ऐसे स्टिकर्स चिपकाए घूम रहे होंगे कि -
“मेरी नौकरी छूट गई है”,
“मैं कैंसर से संघर्ष कर रहा हूँ”,
“मेरी शादी टूट गई है”,
“मैं भावनात्मक रूप से टूट गया हूँ”,
“मुझे प्यार में धोखा मिला है”,
“मेरे प्यारे दोस्त की अचानक ही मौत हो गई”,
“लगता है इस दुनिया को मेरी ज़रुरत ही नहीं”,
“मुझे व्यापार में बहुत घाटा हो गया है” ....आदि।
दोस्तों! हर इंसान अपनी ज़िंदगी में कोई न कोई ऐसी जंग लड़ रहा है, जिसके बारे में हम कुछ नहीं जानते। बस! हम यही कर सकते हैं कि सभी लोगों से धैर्य और प्रेम से बात करें।
आइए! हम इन अदृश्य स्टिकर्स को सम्मान दें और स्वयं सम्मान का पात्र बनें।
दूसरों की मदद करने से दिल में खुशी हो, वही सेवा है; बाकी सब दिखावा है।
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सरिता जैन
सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका
हिसार
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