Posts

Showing posts from January, 2021

आत्ममूल्यांकन

Image
👼👼💧💧👼💧💧👼👼 आत्ममूल्यांकन Image by S. Hermann & F. Richter from Pixabay एक बार एक व्यक्ति कुछ पैसे निकलवाने के लिए बैंक में गया। जैसे ही कैशियर ने पेमेंट दी कस्टमर ने चुपचाप उसे अपने बैग में रखा और चल दिया। उसने एक लाख चालीस हज़ार रुपए निकलवाए थे। उसे पता था कि कैशियर ने ग़लती से एक लाख चालीस हज़ार रुपए देने के बजाय एक लाख साठ हज़ार रुपए उसे दे दिए हैं लेकिन उसने ये आभास कराते हुए कि उसने पैसे गिने ही नहीं और कैशियर की ईमानदारी पर उसे पूरा भरोसा है, चुपचाप पैसे रख लिए। इसमें उसका कोई दोष था या नहीं लेकिन पैसे बैग में रखते ही 20,000 अतिरिक्त रुपयों को लेकर उसके मन में उधेड़-बुन शुरू हो गई। एक बार उसके मन में आया कि फ़ालतू पैसे वापस लौटा दे लेकिन दूसरे ही पल उसने सोचा कि जब मैं ग़लती से किसी को अधिक पेमेंट कर देता हूँ तो मुझे कौन लौटाने आता है??? बार-बार मन में आया कि पैसे लौटा दे लेकिन हर बार दिमाग कोई न कोई बहाना या कोई न कोई वजह दे देता पैसे न लौटाने की। लेकिन इंसान के अन्दर सिर्फ दिमाग ही तो नहीं होता, दिल और अंतरात्मा भी तो होती है। रह-रह कर उसके अंदर से आवाज़ आ रही ...

जीवन में सुख चाहिए

Image
👼👼💧💧👼💧💧👼👼 जीवन में सुख चाहिए Image by Martin Winkler from Pixabay एक व्यक्ति था। उसके पास नौकरी, घर-परिवार, रुपया-पैसा, रिश्तेदार और बच्चे सभी कुछ था। कहने का सार यह है उस व्यक्ति के पास किसी चीज़ की कोई कमी नही थी। अब जीवन है तो कुछ परेशानियां भी थी उसके जीवन में, जिससे वह हर-पल जूझता ही रहता था। वह किसी भी तरह अपनी परेशानियों से मुक्ति चाहता था ताकि जीवन में सुख-शांति से रह सके। एक बार किसी ने उसे बताया कि नगर सीमा पर कोई बहुत बड़े संत ठहरे हुए है, जिनके पास हर समस्या और प्रश्न का हल है। इतना सुनते ही वह व्यक्ति भागा-भागा संत की कुटिया में पहुँचा। वहाँ भीड़ अधिक होने के कारण उसकी बारी आते-आते रात हो गई। उसने संत से पूछा - बाबा! मेरे जीवन की परेशानियां कैसे ख़त्म होंगी ? मैं भी सुख-शांति से जीवन जीना चाहता हूँ।  संत ने कहा, ”इसका उत्तर मैं कल सुबह दूंगा। तब तक तुम एक काम करो। मेरे साथ जो ऊँटों का रखवाला आया था, वह बीमार हो गया। तुम आज की रात ऊँटों की देखभाल का जिम्मा ले लो। जब यह सभी ऊँट सो जाएं, तब तुम भी सो लेना। सुबह वह व्यक्ति संत के पास पहुँचा और कहने लगा - मैं त...

एक नास्तिक की भक्ति

Image
👼👼💧💧👼💧💧👼👼 एक नास्तिक की भक्ति Image by Mircea Ploscar from Pixabay हरिराम एक मैडिकल स्टोर का मालिक था। सारी दवाइयों की उसे अच्छी जानकारी थी। दस साल का अनुभव होने के कारण उसे अच्छी तरह पता था कि कौन सी दवाई कहाँ रखी है। वह इस व्यवसाय को बड़ी सावधानी और बहुत ही निष्ठा से करता था। दिन भर उसकी दुकान में भीड़ लगी रहती थी, वह ग्राहकों को वांछित दवाइयाँ सावधानी और समझदारी से देता था। परन्तु उसे भगवान पर कोई भरोसा नहीं था। वह एक नास्तिक था। उसका मानना था कि प्राणी मात्र की सेवा करना ही सबसे बड़ी पूजा है। इसलिए वह ज़रूरतमंद लोगों को दवा नि:शुल्क भी दे दिया करता था। समय मिलने पर वह मनोरंजन हेतु अपने दोस्तों के संग दुकान में लूडो खेलता था। एक दिन अचानक बारिश होने लगी। बारिश की वजह से दुकान में भी कोई नहीं था। बस फिर क्या, दोस्तों को बुला लिया और सब दोस्त मिलकर लूडो खेलने लगे। तभी एक छोटा लड़का उसकी दुकान में दवाई लेने के लिए पर्चा लेकर आया। उसका पूरा शरीर भीगा हुआ था। हरिराम लूडो खेलने में इतना मशगूल था कि बारिश में आए हुए उस लड़के पर उसकी नजर नहीं पड़ी। ठंड़ से ठिठुरते हुए उस बच्चे...

स्वाभिमान, वात्सल्य और प्रेम

Image
👼👼💧💧👼💧💧👼👼 स्वाभिमान, वात्सल्य और प्रेम Image by Ulrike Leone from Pixabay शाम हो चली थी। लगभग साढ़े छह बजे थे। वही Hotel , वही किनारे वाली Table और वही चाय, सिगरेट। वह सिगरेट के एक कश के साथ-साथ चाय की चुस्की ले रहा था। इतने में ही सामने वाली Table पर एक आदमी अपनी नौ-दस साल की लड़की को लेकर बैठ गया। उस आदमी का Shirt फटा हुआ था, ऊपर के दो बटन गायब थे, Pent भी मैली-सी थी। रास्ते पर खुदाई का काम करने वाला मजदूर जैसा लग रहा था। लड़की का Frock धुला हुआ था और उसने बालों में वेणी भी लगाई हुई थी। उसके चेहरा अत्यंत आनंदित था और वह बड़े कौतूहल से पूरे Hotel को इधर-उधर से देख रही थी। उनके Table के ऊपर ही चल रहे पँखे को भी वह बार-बार देख रही थी, जो उनको ठंडी हवा दे रहा था। बैठने के लिये गद्दी वाली कुर्सी पर बैठकर वह और भी प्रसन्न दिख रही थी। उसी समय Waiter ने दो स्वच्छ गिलासों में ठंडा पानी उनके सामने रखा। उस आदमी ने अपनी लड़की के लिए एक डोसा लाने का Order दिया। यह Order सुनकर लड़की के चेहरे की प्रसन्नता और बढ़ गई। ‘और तुमको ? ’ Waiter ने पूछा। ‘नहीं, मुझे कुछ नहीं चाहिये’, ...

धन की धारा

Image
👼👼💧💧👼💧💧👼👼 धन की धारा Image by S. Hermann & F. Richter from Pixabay धन आ रहा है, धन जा रहा है। बह रही धन की, यह शाश्वत धारा है। धन का अभिमान आदमी को पतन की ओर ले जाता है। यदि उसी धन का सदुपयोग किया जाए तो वह हमें उत्थान की चरम सीमा तक पहुँचा सकता है। एक व्यक्ति किसी Restaurant में दाखिल हुआ और बोला कि मुझे एक शानदार कमरा बुक कराना है क्योंकि कल मेरे खास मेहमान आने वाले हैं। Restaurant के मालिक ने कहा कि महोदय! आज तो सभी कमरे भरे हुए हैं। हाँ! कल एक कमरा खाली होने वाला है। यदि आप Advance में Booking कराना चाहते हैं तो वह कमरा आप के लिए खाली रखा जा सकता है। व्यक्ति ने 500 रुपए Advance के रूप में देकर कहा कि ठीक है, यह रखो Advance । मैं कल आऊँगा और यदि मुझे कमरा पसंद आ गया तो लूँगा वरना मेरा Advance मुझे वापिस करना होगा। मालिक ने उसकी शर्त मंजूर कर ली और उसके 500 रुपए जमा कर लिए। बैठे-बैठे मालिक को ध्यान में आया कि कल तक तो मेरे पास दूसरे कमरे की भी Payment आ जाएगी। आज मैं इन 500 रुपए से उस घी वाले का उधार चुका देता हूँ जिससे मैंने कल घी मंगवाया था। उसने तुरन्त अप...