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Showing posts from May, 2021

प्रेम के बोल

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 प्रेम के बोल Image by Rudy and Peter Skitterians from Pixabay एक गाँव में एक मज़दूर रहा करता था जिसका नाम हरिराम था। उसके परिवार में कोई नहीं था। दिन भर अकेला मेहनत में लगा रहता था। दिल का बहुत ही दयालु और कर्मों का भी बहुत अच्छा था। मज़दूर था इसलिए उसे भोजन भी मज़दूरी के बाद ही मिलता था। आगे-पीछे कोई नहीं था इसलिए वह इस आजीविका से संतुष्ट था। एक बार उसे एक छोटा-सा बछड़ा मिल गया। उसने ख़ुशी से उसे पाल लिया। उसने सोचा कि आज तक वह अकेला था, अब वह इस बछड़े को अपने बेटे के समान पालेगा। हरिराम का दिन उसके बछड़े से ही शुरू होता और उसी पर ख़त्म होता। वह रात-दिन उसकी सेवा करता और उसी से अपने मन की बात करता। कुछ समय बाद बछड़ा बैल बन गया। उसकी जो सेवा हरिराम ने की थी, उससे वह बहुत ही सुंदर और बलशाली बन गया था। गाँव के सभी लोग हरिराम के बैल की ही बातें किया करते थे। किसानों के गांव में बैलों की भरमार थी पर हरिराम का बैल उन सबसे अलग था। दूर-दूर से लोग उसे देखने आते थे। हर कोई हरिराम के बैल के बारे में बातें करता रहता था। हरिराम भी अपने बैल से एक बेटे की तरह ही प्यार करता था। भले खुद...

जीवन का हिसाब

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 जीवन का हिसाब Image by Erika Varga from Pixabay एक घटना मुझे याद आती है। एक गांव के पास एक बहुत सुंदर पहाड़ था। उस सुंदर पहाड़ पर एक मंदिर था। वह दस मील की ही दूरी पर था और गांव से ही मंदिर दिखाई पड़ता था। दूर-दूर के लोग उस मंदिर के दर्शन करने आते और उस पहाड़ को देखने जाते। उस गांव में एक युवक था। वह भी सोचता था कि कभी मुझे जाकर मंदिर देखकर आना है। लेकिन वह यही सोचता रहा कि मंदिर करीब ही है, अतः कभी भी देख आएगा। एक दिन उसने तय ही कर लिया कि मैं कब तक रुका रहूँगा; आज रात मुझे उठ कर पहाड़ पर चले ही जाना है। सुबह से धूप बढ़ जाती थी। इसलिए वह दो बजे रात को उठा। उसने लालटेन जलाई और गांव के बाहर आया। घनी अंधेरी रात थी। वह बहुत डर गया। उसने सोचा कि छोटी सी लालटेन है। दो-तीन कदम तक इसका प्रकाश पड़ता है और दस मील का फासला है। इतना दस मील का अंधेरा इतनी छोटी सी लालटेन से कैसे कटेगा ? इतना घना और विराट अंधेरा है और इतनी छोटी-सी लालटेन है। इससे क्या होगा ? इससे दस मील पार नहीं किए जा सकते। सूरज की राह देखनी चाहिए। तभी ठीक होगा। वह वहीं गांव के बाहर बैठ गया। ठीक भी था। उसका गणित बि...

मुसीबत का सामना

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 मुसीबत का सामना Image by Pexels from Pixabay एक गाँव में एक बढ़ई रहता था। वह शरीर और दिमाग से बहुत मजबूत था। एक दिन उसे पास के गाँव के एक अमीर आदमी ने फर्नीचर बनवाने के लिए अपने घर पर बुलाया। जब वहाँ का काम खत्म हुआ तो लौटते वक्त शाम हो गई। उसने काम के मिले पैसों की एक पोटली बगल में दबा ली और ठंड से बचने के लिए कंबल ओढ़ लिया। वह चुपचाप सुनसान रास्ते से घर की ओर रवाना हुआ। कुछ दूर जाने के बाद अचानक उसे एक लुटेरे ने रोक लिया। डाकू शरीर से तो बढ़ई से कमज़ोर था पर उसकी कमजोरी को उसकी बंदूक ने ढक रखा था। अब बढ़ई ने उसे सामने देखा तो लुटेरा बोला, ‘जो कुछ भी तुम्हारे पास है, सब मुझे दे दो, नहीं तो मैं तुम्हें गोली मार दूँगा।’ यह सुनकर बढ़ई ने पोटली उस लुटेरे को थमा दी और बोला, ‘ठीक है ये रुपये तुम रख लो मगर मैं घर पहुँच कर अपनी बीवी को क्या कहूँगा। वह तो यही समझेगी कि मैंने पैसे जुए में उड़ा दिए होंगे। तुम एक काम करो, अपने बंदूक की गोली से मेरी टोपी में एक छेद कर दो ताकि मेरी बीवी को लूट का यकीन हो जाए।’ लुटेरे ने बड़ी शान से बंदूक से गोली चलाकर टोपी में छेद कर दिया। अब लुटेरा ज...

अमृत की खोज

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 अमृत की खोज Image by kie-ker from Pixabay ईरान के बादशाह खुसरो के प्रधानमंत्री बुर्जोई राज चिकित्सक भी थे। वह नई औषधियों पर शोध करते और उन पर लिखे ग्रंथ भी पढ़ते रहते थे। एक बार उन्हें पता लगा कि भारत में किसी पर्वत पर संजीवनी नाम की बूटी होती है, जिससे मृत व्यक्ति जीवित हो जाता है और स्वस्थ व्यक्ति यदि उसका सेवन कर ले तो वह हमेशा स्वस्थ और जवान बना रहता है। बुर्जोई यह सुनकर रोमांचित हो उठे। उन्होंने अपने बादशाह से भारत आने की इज़ाज़त ली। वह भारत आए और संजीवनी बूटी की खोज में लग गए। वह अनेक पर्वतों और जंगलों में गए लेकिन कहीं भी उन्हें संजीवनी नजर नहीं आई। एक दिन वह एक पेड़ की छांव में आराम कर रहे थे। तभी एक पंडित जी वहाँ पहुंचे। वह बुर्जोई को देखकर बोले, ‘आप परदेसी मालूम होते हैं।’ बुर्जोई बोले, ‘हां भई! मैं परदेसी ही हूँ। मैंने सुना है कि आपके यहां संजीवनी बूटी के रूप में अमृत मिलता है। मैंने यहां बहुत तलाश किया लेकिन वह बूटी मुझे कहीं नज़र नहीं आई।’ यह सुनकर पंडित जी मुस्कराने लगे और बोले, ‘संजीवनी बूटी तो केवल हनुमान ही तलाश कर पाए थे। आज के समय में संजीवनी बूटी तो...

सपनों का घर

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 सपनों का घर Image by GLady from Pixabay शहर से कुछ दूर एक किसान अपने गाँव में रहता था। वैसे तो वह संपन्न था पर फिर भी वह अपने जीवन से खुश नहीं था। एक दिन उसने निश्चय किया कि वह अपनी सारी ज़मीन-जायदाद बेच कर किसी अच्छी जगह बस जाएगा। अगले ही दिन उसने एक जान-पहचान के रियल एस्टेट एजेंट को बुलाया और बोला, “भाई! मुझे तो बस किसी तरह ये जगह छोड़नी है। बस कोई सही प्रॉपर्टी दिला दो तो बात बन जाए!” “क्यों ? क्या दिक्कत हो गयी यहाँ आपको ? ” एजेंट ने पूछा। “आओ मेरे साथ”, किसान बोला। “देखो, कितनी समस्याएं हैं यहाँ पर। ये उबड़-खाबड़ रास्ते देखो और ये छोटी सी झील देखो। इसके चक्कर में पूरा घूमकर रास्ता पार करना पड़ता है। इन छोटे-छोटे पहाड़ों को देखो। जानवरों को चराना कितना मुश्किल होता है और ये देखो ये बगीचा। आधा समय तो इसकी सफ़ाई और रख-रखाव में ही चला जाता है। क्या करूँगा मैं ऐसी बेकार प्रॉपर्टी का ? ” एजेंट ने घूम-घूमकर इलाके का जायजा लिया और कुछ दिन बाद किसी ग्राहक के साथ आने का वायदा किया। इस घटना के एक-दो दिन बाद किसान सुबह का अखबार पढ़ रहा था कि कहीं किसी अच्छी प्रॉपर्टी का पता चल ...

प्रेम का स्पर्श

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 प्रेम का स्पर्श Image by S. Hermann & F. Richter from Pixabay टालस्टाय एक दिन सुबह एक गांव की सड़क से निकला। एक भिखारी ने हाथ फैलाया। टालस्टाय ने अपनी जेब तलाशी लेकिन जेब खाली थे। वह सुबह घूमने निकला था और पैसे नहीं थे। उसने भिखारी को कहा - मित्र! क्षमा करो। मेरे पास पैसे नहीं हैं। तुम ज़रूर दुख मानोगे। लेकिन मैं मजबूरी में पड़ गया हूँ। इस समय मेरे पास पैसे नहीं हैं। उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा- मित्र! क्षमा करो। पैसे मेरे पास नहीं हैं।  उस भिखारी ने कहा - कोई बात नहीं। तुमने मित्र कहा। मुझे बहुत कुछ मिल गया। You called me brother । तुमने मुझे बंधु कहा और बहुत लोगों ने मुझे अब तक पैसे दिए थे लेकिन तुमने जो दिया है, वह आज तक किसी ने भी नहीं दिया था। मैं बहुत अनुगृहीत हूँ। एक शब्द प्रेम का ‘मित्र’ उस भिखारी के हृदय में क्या निर्मित कर गया ? क्या बन गया ? टालस्टाय सोचने लगा। उस भिखारी का चेहरा बदल गया। वह दूसरा आदमी मालूम पड़ा। यह पहला मौका था कि किसी ने उससे कहा था, ‘मित्र’। भिखारी को कौन मित्र कहता है ? इस प्रेम के एक शब्द ने उसके भीतर एक क्रांति कर दी। वह दूस...

अमर विश्वास

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 अमर विश्वास Image by dewdrop157 from Pixabay मेरी बेटी की शादी थी और मैं कुछ दिनों की छुट्टी ले कर शादी के तमाम इंतजाम को देख रहा था। उस दिन सफ़र से लौट कर मैं घर आया तो पत्नी ने आ कर एक लिफाफा मुझे पकड़ा दिया। लिफाफा अनजाना था लेकिन प्रेषक का नाम देख कर मुझे एक आश्चर्यमिश्रित जिज्ञासा हुई। ‘अमर विश्वास’ एक ऐसा नाम, जिससे मिले मुझे वर्षों बीत गए थे। मैंने लिफाफा खोला तो उस में 1 लाख डालर का चेक और एक चिट्ठी थी। इतनी बड़ी राशि वह भी मेरे नाम पर। मैंने जल्दी से चिट्ठी खोली और एक सांस में ही सारा पत्र पढ़ डाला। पत्र किसी परी कथा की तरह मुझे अचंभित कर गया। लिखा था - आदरणीय सर! मैं एक छोटी सी भेंट आप को दे रहा हूँ। मुझे नहीं लगता कि आप के एहसानों का कर्ज मैं कभी उतार पाऊंगा। ये उपहार मेरी अनदेखी बहन के लिए है। घर पर सभी को मेरा प्रणाम। आप का - अमर। मेरी आंखों में वर्षों पुराने दिन सहसा किसी चलचित्र की तरह तैर गए। एक दिन मैं चंडीगढ़ में टहलते हुए एक किताबों की दुकान पर अपनी मनपसंद पत्रिकाएं उलट-पलट रहा था कि मेरी नज़र बाहर पुस्तकों के एक छोटे से ढेर के पास खड़े एक लड़के पर पड़ी।...