सपनों का घर

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सपनों का घर

Image by GLady from Pixabay

शहर से कुछ दूर एक किसान अपने गाँव में रहता था। वैसे तो वह संपन्न था पर फिर भी वह अपने जीवन से खुश नहीं था। एक दिन उसने निश्चय किया कि वह अपनी सारी ज़मीन-जायदाद बेच कर किसी अच्छी जगह बस जाएगा।

अगले ही दिन उसने एक जान-पहचान के रियल एस्टेट एजेंट को बुलाया और बोला, “भाई! मुझे तो बस किसी तरह ये जगह छोड़नी है। बस कोई सही प्रॉपर्टी दिला दो तो बात बन जाए!”

“क्यों? क्या दिक्कत हो गयी यहाँ आपको?” एजेंट ने पूछा।

“आओ मेरे साथ”, किसान बोला। “देखो, कितनी समस्याएं हैं यहाँ पर। ये उबड़-खाबड़ रास्ते देखो और ये छोटी सी झील देखो। इसके चक्कर में पूरा घूमकर रास्ता पार करना पड़ता है। इन छोटे-छोटे पहाड़ों को देखो। जानवरों को चराना कितना मुश्किल होता है और ये देखो ये बगीचा। आधा समय तो इसकी सफ़ाई और रख-रखाव में ही चला जाता है। क्या करूँगा मैं ऐसी बेकार प्रॉपर्टी का?

एजेंट ने घूम-घूमकर इलाके का जायजा लिया और कुछ दिन बाद किसी ग्राहक के साथ आने का वायदा किया।

इस घटना के एक-दो दिन बाद किसान सुबह का अखबार पढ़ रहा था कि कहीं किसी अच्छी प्रॉपर्टी का पता चल जाए जहाँ वह सब बेच कर जा सके।

तभी उसकी नज़र एक आकर्षक ऐड पर पड़ी। “लें सपनो का घर। एक शांत सुन्दर जगह। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर। सुन्दर झील और पहाड़ियों के बीच। शहर की भीड़-भाड़ से उचित दूरी पर बसाएं एक स्वस्थ, सुन्दर घर। संपर्क करें - .............”।

किसान को ये ब्यौरा बहुत पसंद आया। वह बार-बार उस ऐड को पढ़ने लगा। पर थोड़ा ध्यान देने पर उसे लगा कि ये तो उसी की प्रॉपर्टी का ऐड है। इस बात की पुष्टि करने के लिए उसने दिए हुए नंबर पर फ़ोन लगाया और सचमुच ये उसी की प्रॉपर्टी का ऐड था।

तब किसान को एहसास हुआ कि वह वाकई में अपनी मनचाही जगह पर रहता है और ये उसकी गलती थी कि उसने अपनी ही चीजों को हमेशा गलत ढंग से देखा। अब किसान वहीं रहना चाहता था; उसने तुरंत अपने एजेंट को कॉल किया और इस ऐड को हटाने को कहा।

मित्रों! इस किसान की तरह ही कई बार हमें भी अपने जीवन से बहुत शिकायतें होती हैं। लगता है कि हमारा जीवन ही सबसे बेकार है। हमारी नौकरी में ही सबसे ज्यादा प्रेशर है। हमारी पर्सनैलिटी ही सबसे भद्दी है......।

पर क्या आपने कभी दूसरों की नज़र से अपनी जीवन को देखने की कोशिश की है?

क्या वाकई आपके जीवन में इतनी समस्याएं हैं या आपने ख़ुद ज़रूरत से ज्यादा उसे ऐसा बना रखा है?

कहीं किसान की तरह आप भी अपने जीवन के सौंदर्य को अनदेखा तो नहीं कर रहे हैं?

कहीं आपको भी आपकी खुशियां गिनाने के लिए किसी वर्तमान विज्ञापन की ज़रूरत तो नहीं?

सोचो!!!

--

सरिता जैन

सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका

हिसार

🙏🙏🙏


विनम्र निवेदन

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धन्यवाद।

Comments

  1. Yaa,We cant move a single step forward by counting all problems mam

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