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Showing posts from November, 2021

मैं न होता तो क्या होता?

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 मैं न होता तो क्या होता? सुंदरकांड में एक प्रसंग अवश्य पढ़ें! “अशोक वाटिका” में जिस समय रावण क्रोध में भरकर, तलवार लेकर सीता माँ को मारने के लिए दौड़ पड़ा, तब हनुमान जी को लगा कि इसकी तलवार छीन कर इसका सिर काट लेना चाहिये। किन्तु अगले ही क्षण उन्होंने देखा कि “मंदोदरी” ने रावण का हाथ पकड़ लिया। यह देखकर वे गद्गद् हो गये। वे सोचने लगे - यदि मैं आगे बढ़ता तो मुझे भ्रम हो जाता कि यदि मै न होता तो सीता जी को कौन बचाता ? बहुधा हमको भी ऐसा ही भ्रम हो जाता है। मैं न होता तो क्या होता ? परन्तु ये क्या हुआ ? सीता जी को बचाने का कार्य प्रभु ने रावण की पत्नी को ही सौंप दिया! तब हनुमान जी समझ गये कि प्रभु जिससे जो कार्य लेना चाहते हैं, वह उसी से लेते हैं। आगे चलकर जब “त्रिजटा” ने कहा कि “लंका में बंदर आया हुआ है और वह लंका जलायेगा” तो हनुमान जी बहुत चिंता में पड़ गये कि प्रभु ने तो लंका जलाने के लिए कहा ही नहीं है और त्रिजटा कह रही है कि उन्होंने स्वप्न में देखा है, एक वानर ने लंका जलाई है। अब उन्हें क्या करना चाहिए ? जो प्रभु इच्छा! जब रावण के सैनिक तलवार लेकर हनुमान जी को म...

समस्या और समाधान

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 समस्या और समाधान Photo by Jess Bailey Designs from Pexels बहुत समय पहले की बात है। किसी गाँव में एक किसान रहता था। उस किसान की एक बहुत ही सुन्दर बेटी थी। दुर्भाग्यवश गाँव के जमींदार से उसने बहुत सारा धन उधार लिया हुआ था। जमींदार बूढ़ा और कुरूप था। किसान की सुंदर बेटी को देखकर उसने सोचा - क्यूँ न कर्जे के बदले किसान के सामने उसकी बेटी से विवाह का प्रस्ताव रखा जाये। जमींदार किसान के पास गया और उसने कहा - तुम अपनी बेटी का विवाह मेरे साथ कर दो। बदले में मैं तुम्हारा सारा कर्ज माफ़ कर दूंगा। जमींदार की बात सुन कर किसान और किसान की बेटी के होश उड़ गए। तब जमींदार ने कहा - चलो गाँव की पंचायत के पास चलते हैं और जो निर्णय वे लेंगे उसे हम दोनों को ही मानना होगा। वे सब मिल कर पंचायत के पास गए और उन्हें सब कह सुनाया। उनकी बात सुन कर पंचायत ने थोडा सोच विचार किया और कहा - ये मामला बहुत उलझा हुआ है। अतः हम इसका फैसला किस्मत पर छोड़ते हैं। जमींदार सामने पड़े सफ़ेद और काले रोड़ों के ढेर से एक काला और एक सफ़ेद रोड़ा उठाकर एक थैले में रख देगा। फिर लड़की बिना देखे उस थैले से एक रोड़ा...

परोपकारी सन्त के विचार

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 परोपकारी सन्त के विचार भारत संतों का देश है। यहाँ एक से बढ़कर एक संत हुए हैं। एक ऐसे ही संत हुए जो बहुत ही सदाचारी और लोकसेवी थे। उनके जीवन का मुख्य लक्ष्य परोपकार था। एक बार उनके आश्रम के निकट से देवताओं की टोली जा रही थी। संत आसन जमाये साधना में लीन थे। आखें खोली तो देखा सामने देवतागण खड़े हैं। संत ने उनका अभिवादन कर उन सबको आसन दिया। उनकी खूब सेवा की। देवतागण ने उनके इस व्यवहार और उनके परोपकार के कार्य से प्रसन्न होकर उनसे वरदान मांगने को कहा। संत ने आदरपूर्वक कहा - “हे देवगण! मेरी कोई इच्छा नहीं है। आप लोगों की दया से मेरे पास सब कुछ है।” देवतागण बोले - “आपको वरदान तो माँगना ही पड़ेगा क्योंकि हमारे वचन किसी भी तरह से खाली नहीं जा सकते।” संत बोले - “हे देवगण! आप तो सब कुछ जानते हैं। आप जो वरदान देंगें वह मुझे सहर्ष स्वीकार होगा।” देवगण बोले - “जाओ! तुम दूसरों की और भलाई करो। तुम्हारे हाथों दूसरों का सदा कल्याण हो।” संत ने कहा - “महाराज! यह तो बहुत कठिन कार्य है ? ” देवगण बोले - “कठिन! इसमें क्या कठिन है ? ” संत ने कहा - “मैंने आज तक किसी को भी दूसरा समझा ही नहीं ह...

कर्मों का फल

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 कर्मों का फल Photo by saifullah hafeel from Pexels कर्मों का फल हर किसी को भोगना ही पड़ता है - रामकथा से। वाल्मीकि रामायण में वर्णित है कि एक बार भगवान श्री राम के दरबार में न्याय पाने के लिए एक कुत्ता पहुँच गया था। जब लक्ष्मण जी ने कुत्ते से पूछा कि क्या बात है तो कुत्ते ने कहा कि मुझे भगवान श्री राम से न्याय चाहिए। भगवान श्री राम उपस्थित हुए और कुत्ते से पूछा कि बताओ कैसे आना हुआ ? कुत्ते ने कहा कि प्रभु मैं खेत के मेड़ के बगल में लेटा था। तभी एक ब्राह्मण ने, जो उस रास्ते से जा रहे थे, मुझ पर अनावश्यक डंडे से प्रहार कर के चोटिल किया है। मुझे न्याय चाहिए कि बिना किसी अपराध के भी ब्राह्मण ने मुझे क्यों पीटा ? इसलिए आप उस ब्राह्मण को दंड दीजिये। इस पर भगवान श्री राम ने उन ब्राह्मण को भी बुला लिया और सवाल किया कि आपने इस कुत्ते को किस कारण से पीटा है ? ब्राह्मण ने कहा कि प्रभु मैं नदी से स्नान करके आ रहा था तो सोचा कि ये कुत्ता कहीं मेरे कपड़े छू कर मुझे अपवित्र न कर दे, इसलिए इसे दूर भगाने के लिए मैंने एक डंडे का प्रहार किया। भगवान ने कुत्ते से पूछा कि तुम बताओ इन...

मास्साब का स्कूटर

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 मास्साब का स्कूटर Photo by Nubia Navarro (nubikini) from Pexels प्रवीण भारती जी पेशे से प्राइमरी अध्यापक थे। कस्बे से विद्यालय की दूरी 7 किलोमीटर थी। एकदम वीराने में था उनका विद्यालय। कस्बे से वहाँ तक पहुंचने का साधन यदा-कदा ही मिलता था, तो अक्सर लिफ्ट मांग कर ही काम चलाना पड़ता था और न मिले तो प्रभु के दिये दो पैर भला किस दिन काम आएंगे। “कैसे उजड्ड वीराने में विद्यालय खोल धरा है सरकार ने, इससे भला तो चुंगी पर परचून की दुकान खोल लो।" लिफ्ट मांगते, साधन तलाशते प्रवीण जी रोज यही सोचा करते। धीरे-धीरे कुछ जमा पूंजी इकट्ठा कर, उन्होंने एक स्कूटर ले लिया। चेतक का नया चमचमाता स्कूटर। स्कूटर लेने के साथ ही उन्होंने एक प्रण लिया कि वो कभी किसी को लिफ्ट को मना न करेंगे। आखिर वो जानते थे जब कोई लिफ्ट को मना करे तो कितनी शर्मिंदगी महसूस होती है। अब प्रवीण जी रोज अपने चमचमाते स्कूटर से विद्यालय जाते, और रोज कोई न कोई उनके साथ जाता। लौटते में भी कोई न कोई मिल ही जाता। एक रोज लौटते वक्त एक व्यक्ति परेशान सा लिफ्ट के लिये हाथ फैलाये था। अपनी आदत के अनुसार प्रवीण जी ने स्कूट...

चुनौतियाँ

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 चुनौतियाँ Photo by Visually Us from Pexels चुनौतियों मे छिपा होता है बड़ा अवसर! एक कहानी के माध्यम से मैं आपको समझाना चाहता हूँ कि आख़िर किस तरह चुनौती को पार करने या स्वीकार करने पर सफ़लता आपको ही मिलती है और उसी मे आपकी जीत छिपी होती है। एक बार एक गांव का श्रेष्ठ पुरूष था। जिसने सोचा कि गांव वालों की परीक्षा ली जाये। उस पुरुष को आजकल के नौजवानों की चिन्ता सताए रहती थी क्योंकि आज के युवा कोई भी चुनौती स्वीकार किए बिना आसानी से सब कुछ हासिल करना चाहते हैं। उस श्रेष्ठ पुरूष ने एक बार गांव के बाहर रास्ते पर एक बड़ा-सा पत्थर रखवा दिया। अब सभी गांव के लोग उसको हटाए बिना ही रास्ता तय कर रहे थे। जो भी उस रास्ते से गुज़रता, वह रास्ता बदलकर या फिर उस पर चढ़कर ही रास्ता पार कर लेता। कोई भी उस पत्थर को चुनौती समझ कर उसे हटाने की कोशिश नहीं करता। जो भी धनाढ्य लोग उस श्रेष्ठ पुरूष से मिलने के लिए बाहर गांव से आते, वे भी उसे हटाने की कोशिश नहीं करते बल्कि उस श्रेष्ठ पुरूष को ही दोषी मानते कि उन्होंने इसे हटाने की कोशिश नहीं की और हमें बहुत परेशानी से वह रास्ता तय करना पड़ा। ऐस...

मेघनाद का वध

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 मेघनाद का वध Photo by John from Pexels जानिये रामायण का एक अनजान सत्य। केवल लक्ष्मण ही मेघनाद का वध कर सकते थे। क्या कारण था ? पढ़िये पूरी कथा। हनुमान जी की रामभक्ति की गाथा संसार भर में गाई जाती है। लक्ष्मण जी की भक्ति भी अद्भुत थी। लक्ष्मण जी की कथा के बिना श्री राम कथा पूर्ण नहीं है। अगस्त्य मुनि अयोध्या आए और लंका युद्ध का प्रसंग छिड़ गया। भगवान श्री राम ने बताया कि उन्होंने कैसे रावण और कुंभकर्ण जैसे प्रचंड वीरों का वध किया और लक्ष्मण ने भी इंद्रजीत और अतिकाय जैसे शक्तिशाली असुरों को मारा। अगस्त्य मुनि बोले - श्री राम, बेशक रावण और कुंभकर्ण प्रचंड वीर थे। लेकिन सबसे बड़ा वीर तो मेघनाद ही था। उसने अंतरिक्ष में स्थित होकर इंद्र से युद्ध किया था और बांधकर लंका ले आया था। ब्रह्मा ने इंद्रजीत से दान के रूप में इंद्र को मांगा तब इंद्र मुक्त हुए थे। लक्ष्मण ने उसका वध किया। इसलिए वे सबसे बड़े योद्धा हुए। श्री राम को आश्चर्य हुआ लेकिन भाई की वीरता की प्रशंसा से वह खुश थे। फिर भी उनके मन में जिज्ञासा पैदा हुई कि आखिर अगस्त्य मुनि ऐसा क्यों कह रहे हैं कि इंद्रजीत का व...