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Showing posts from July, 2022

भगवान् का एक्सचेंज ऑफर

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 भगवान् का एक्सचेंज ऑफर Image by Ralph from Pixabay एक बार एक दुःखी भक्त अपने ईश्वर से शिकायत कर रहा था - “आप मेरा ख्याल नहीं रखते। मैं आपका इतना बड़ा भक्त हूँ। आपकी सेवा करता हूँ। रात-दिन आपका स्मरण करता हूँ। फिर भी मेरी जिंदगी में ही सबसे ज्यादा दुःख क्यों ? परेशानियों का अम्बार लगा हुआ है। एक ख़त्म होती नहीं कि दूसरी मुसीबत तैयार रहती है। दूसरों की तो आप सुनते हो। उन्हें तो हर ख़ुशी देते हो। देखो! आपने सभी को सारे सुख दिए हैं, मगर मेरे हिस्से में केवल दुःख ही दिए।” फिर भगवान् की आवाज उसे अपने अंतर्मन में सुनाई दी - “ऐसा नहीं है बेटा! सबके अपने-अपने दुःख-परेशानियाँ हैं। अपने कर्मों के अनुसार हर एक को उसका फल प्राप्त होता है। यह मात्र तुम्हारी ग़लतफहमी है।” लेकिन नहीं .... भक्त है कि सुनने को राज़ी ही नहीं। आख़िर अपने इस नादान भक्त को समझा-समझा कर थक चुके भगवान् ने एक उपाय निकाला। वे बोले - “चलो ठीक है। मैं तुम्हें एक अवसर और देता हूँ अपनी किस्मत बदलने का। यह देखो! यहाँ पर एक बड़ा-सा पुराना पेड़ है। इस पर सभी ने अपने-अपने दुःख-दर्द और तमाम परेशानियाँ, तकलीफें, दर...

हनुमान चालीसा की उत्पत्ति

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 हनुमान चालीसा की उत्पत्ति Image by 신희 이 from Pixabay यह कहानी नहीं, एक सत्य कथा है। शायद कुछ ही लोगों को यह पता होगा ? पवनपुत्र हनुमान जी की आराधना तो सभी लोग करते हैं और हनुमान चालीसा का पाठ भी करते हैं, पर इसकी उत्पत्ति कहाँ और कैसे हुई, यह जानकारी बहुत ही कम लोगों को होगी। बात 1600 ईसवी की है। यह काल अकबर और तुलसीदास जी के समय का काल था। एक बार तुलसीदास जी मथुरा जा रहे थे। रात होने से पहले उन्होंने अपना पड़ाव आगरा में डाला। लोगों को पता लगा कि तुलसीदास जी आगरा में पधारे हैं। यह सुन कर उनके दर्शनों के लिए लोगों का ताँता लग गया। जब यह बात बादशाह अकबर को पता लगी तो उन्होंने बीरबल से पूछा कि यह तुलसीदास कौन हैं ? तब बीरबल ने बताया कि इन्होंने ही रामचरितमानस की रचना की थी। यह रामभक्त तुलसीदास जी हैं। मैं भी इनके दर्शन करके आया हूँ। अकबर ने भी उनके दर्शन की इच्छा व्यक्त की और कहा - मैं भी उनके दर्शन करना चाहता हूँ। बादशाह अकबर ने अपने सिपाहियों की एक टुकड़ी को तुलसीदास जी के पास भेजा और तुलसीदास जी को बादशाह का पैगाम सुनाया कि आप लाल किले में हाज़िर हों। यह पैगाम सु...

मोहजीत राजा की कथा

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 मोहजीत राजा की कथा Image by Susann Mielke from Pixabay एक बार एक राजकुमार अपने कई सैनिकों के साथ शिकार पर गया। वह बहुत अच्छा शिकारी था। शिकार के पीछे वह इतना दूर निकल गया कि सारे सिपाही पीछे छूट गये। अकेले पड़ने का अहसास होते ही वह रुक गया। उसे प्यास भी लग रही थी। उसे पास में ही एक कुटिया दिखाई दी। वहाँ एक सन्त ध्यान-मग्न होकर बैठे थे। राजकुमार ने संत के पास जाकर पानी माँगा। सन्त ने राजकुमार का परिचय पूछा। राजकुमार ने सन्त से कहा कि वह एक राजा का लड़का है, जिसने मोह को जीत लिया है। सन्त बोला - असंभव! एक राजा और मोह पर विजयी ? यहाँ मैं एक संन्यासी हूँ, तब भी मोह को जीत नहीं पा रहा हूँ और तुम कहते हो कि तुम्हारे पिता जी एक राजा हैं और मोह को जीत चुके हैं। राजकुमार ने कहा - न केवल मेरे पिता जी बल्कि सारी प्रजा ने भी मोह को जीत रखा है। सन्त को इसका विश्वास नहीं हुआ तो राजकुमार ने कहा कि आप चाहें तो इस बात की परीक्षा ले लें। सन्त ने राजकुमार की कमीज़ माँगी और उसे अपने वस्त्र पहनने को दिये। सन्त ने तब एक जानवर के खून में राजकुमार की कमीज़ को डुबोया और वह शहर में चिल्ला...

एकता में ही बल है

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 एकता में ही बल है Image by Joëlle Ortet from Pixabay एक गाँव में चार मित्र रहते थे। चारों में इतनी घनी मित्रता थी कि हर समय साथ रहते, उठते, बैठते और योजनाएँ बनाते। उनमें से एक ब्राह्मण, एक ठाकुर, एक बनिया और एक नाई था। पर कभी भी चारों में जातिगत मतभेद का भाव नहीं था। गज़ब की एकता थी। इसी एकता के चलते वे गाँव के किसानों के खेत से गन्ने, चने आदि चीज़ें उखाड़ कर खाते थे। एक दिन इन चारों ने किसी किसान के खेत से चने के झाड़ उखाड़े और खेत में ही बैठकर हरी-हरी फलियों का स्वाद लेने लगे। खेत का मालिक किसान आया। उसने चारों को दावत उड़ाते हुए देखा, तो उसे बहुत क्रोध आया। उसका मन किया कि लट्ठ उठाकर चारों को पीटे। पर चार के आगे एक ? वह स्वयं पिट जाता। सो उसने एक युक्ति सोची। वह चारों के पास गया। ब्राह्मण के पाँव छुए। ठाकुर साहब की जयकार की, बनिया महाजन से राम जुहार की और फिर नाई से बोला - देख भाई! ब्राह्मण देवता धरती के देव हैं। ठाकुर साहब तो सबके मालिक हैं, अन्नदाता हैं। महाजन सबको उधारी दिया करते हैं। ये तीनों तो श्रेष्ठ हैं, तो भाई! इन तीनों ने चने उखाड़े सो उखाड़े पर तू ? ...

कर्म से बदल जाते हैं भाग्य

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 कर्म से बदल जाते हैं भाग्य Image by 1195798 from Pixabay प्रकृत्य ऋषि का रोज का नियम था कि वह नगर से दूर जंगलों में स्थित शिव मन्दिर में भगवान् शिव की पूजा में लीन रहते थे। कई वर्षों से यह उनका अखण्ड नियम था। उसी जंगल में एक नास्तिक डाकू अस्थिमाल का भी डेरा था। अस्थिमाल का भय आसपास के क्षेत्र में व्याप्त था। अस्थिमाल बड़ा नास्तिक था। वह मन्दिरों में भी चोरी-डाके से नहीं चूकता था। एक दिन अस्थिमाल की नजर प्रकृत्य ऋषि पर पड़ी। उसने सोचा कि यह ऋषि जंगल में छुपे मन्दिर में पूजा करता है। हो न हो, इसने मन्दिर में काफी माल छुपाकर रखा होगा। आज इसे ही लूटते हैं। अस्थिमाल ने प्रकृत्य ऋषि से कहा कि जितना भी धन छुपाकर रखा हो, चुपचाप मेरे हवाले कर दो। ऋषि उसे देखकर तनिक भी विचलित हुए बिना बोले - कैसा धन ? मैं तो यहाँ बिना किसी लोभ के पूजा को चला आता हूँ। डाकू को उनकी बातों पर विश्वास नहीं हुआ। उसने क्रोध में ऋषि प्रकृत्य को ज़ोर से धक्का मारा। ऋषि ठोकर खाकर शिवलिंग के पास जाकर गिरे और उनका सिर फट गया। रक्त की धारा फूट पड़ी। इसी बीच आश्चर्य ये हुआ कि ऋषि प्रकृत्य के गिरने के फल...

ख़ुशबू ऐसे फैली

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 ख़ुशबू ऐसे फैली Image by Anja-#pray for ukraine# #helping hands# stop the war from Pixabay मैं चेन्नई में कार्यरत था और मेरा पैतृक घर भोपाल में था। अचानक घर से पिताजी का फ़ोन आया कि तुरन्त घर चले आओ। कोई अत्यंत आवश्यक कार्य है। मैं आनन फानन में रेलवे स्टेशन पहुंचा और तत्काल रिजर्वेशन की कोशिश की परन्तु गर्मी की छुट्टियाँ होने के कारण एक भी सीट उपलब्ध नहीं थी। सामने प्लेटफार्म पर ग्रैंड ट्रंक एक्सप्रेस खड़ी थी और उसमें भी बैठने की जगह नहीं थी। परन्तु मरता क्या नहीं करता। घर तो कैसे भी जाना था। बिना कुछ सोचे-समझे सामने खड़े स्लीपर क्लास के डिब्बे में घुस गया। मैंने सोचा कि इतनी भीड़ में रेलवे टी.टी. कुछ नहीं कहेगा। डिब्बे के अन्दर भी बुरा हाल था। जैसे-तैसे जगह बनाने हेतु एक बर्थ पर एक सज्जन को लेटे देखा तो उनसे याचना करते हुए बैठने के लिए जगह मांग ली। सज्जन मुस्कुराये और उठकर बैठ गए और बोले - “कोई बात नहीं। आप यहाँ बैठ सकते हैं।” मैं उन्हें धन्यवाद देकर वहीं कोने में बैठ गया। थोड़ी देर बाद ट्रेन ने स्टेशन छोड़ दिया और रफ़्तार पकड़ ली। कुछ मिनटों में जैसे सभी लोग व्य...