हनुमान चालीसा की उत्पत्ति

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हनुमान चालीसा की उत्पत्ति

Image by 신희 이 from Pixabay

यह कहानी नहीं, एक सत्य कथा है।

शायद कुछ ही लोगों को यह पता होगा?

पवनपुत्र हनुमान जी की आराधना तो सभी लोग करते हैं और हनुमान चालीसा का पाठ भी करते हैं, पर इसकी उत्पत्ति कहाँ और कैसे हुई, यह जानकारी बहुत ही कम लोगों को होगी।

बात 1600 ईसवी की है। यह काल अकबर और तुलसीदास जी के समय का काल था।

एक बार तुलसीदास जी मथुरा जा रहे थे। रात होने से पहले उन्होंने अपना पड़ाव आगरा में डाला। लोगों को पता लगा कि तुलसीदास जी आगरा में पधारे हैं। यह सुन कर उनके दर्शनों के लिए लोगों का ताँता लग गया। जब यह बात बादशाह अकबर को पता लगी तो उन्होंने बीरबल से पूछा कि यह तुलसीदास कौन हैं?

तब बीरबल ने बताया कि इन्होंने ही रामचरितमानस की रचना की थी। यह रामभक्त तुलसीदास जी हैं। मैं भी इनके दर्शन करके आया हूँ। अकबर ने भी उनके दर्शन की इच्छा व्यक्त की और कहा - मैं भी उनके दर्शन करना चाहता हूँ।

बादशाह अकबर ने अपने सिपाहियों की एक टुकड़ी को तुलसीदास जी के पास भेजा और तुलसीदास जी को बादशाह का पैगाम सुनाया कि आप लाल किले में हाज़िर हों। यह पैगाम सुन कर तुलसीदास जी ने कहा कि मैं भगवान श्रीराम का भक्त हूँ। मुझे बादशाह और लाल किले से क्या लेना-देना और लाल किले जाने के लिए साफ़ मना कर दिया। जब यह बात बादशाह अकबर तक पहुँची तो बहुत बुरी लगी और बादशाह अकबर गुस्से में लाल हो गया और उसने तुलसीदास जी को जंज़ीरों से जकड़वा कर लाल किला लाने का आदेश दिया।

जब तुलसीदास जी जंजीरों से जकड़े लाल किला पहुंचे तो अकबर ने कहा कि आप कोई करिश्माई व्यक्ति लगते हो। कोई करिश्मा करके दिखाओ। तुलसीदास ने कहा - मैं तो सिर्फ़ भगवान श्रीराम जी का भक्त हूँ। कोई जादूगर नहीं हूँ जो आपको कोई करिश्मा दिखा सकूँ। अकबर यह सुन कर आग बबूला हो गया और आदेश दिया कि इनको जंजीरों से जकड़ कर काल कोठरी में डाल दिया जाये।

दूसरे दिन इसी आगरा के लाल किले पर लाखों बंदरों ने एक साथ हमला बोल दिया। पूरा किला तहस-नहस कर डाला। लाल किले में त्राहि-त्राहि मच गई। तब अकबर ने बीरबल को बुला कर पूछा कि बीरबल यह क्या हो रहा है?

बीरबल ने कहा - हुज़ूर! आप करिश्मा देखना चाहते थे, तो देखिये।

अकबर ने तुरंत तुलसीदास जी को काल कोठरी से निकलवाया और जंजीरें खोल दी गई।

तुलसीदास जी ने बीरबल से कहा - मुझे बिना अपराध के सज़ा मिली है। मैंने काल कोठरी में भगवान श्रीराम और हनुमान जी का स्मरण किया। मैं रोता जा रहा था और मेरे हाथ अपने आप कुछ लिख रहे थे। ये 40 चौपाइयाँ हनुमान जी की प्रेरणा से लिखी गई हैं।

जो भी व्यक्ति कष्ट में या संकट में होगा और इसका पाठ करेगा, उसके कष्ट और सारे संकट दूर होंगे। इसको हनुमान चालीसा के नाम से जाना जायेगा।

अकबर बहुत लज्जित हुए और तुलसीदास जी से माफ़ी मांगी और पूरी इज़्ज़त और पूरी हिफाजत व लाव-लश्कर से मथुरा भिजवाया।

आज हनुमान चालीसा का पाठ सभी लोग कर रहे हैं और हनुमान जी की कृपा उन सभी पर हो रही है और सभी के संकट दूर हो रहे हैं। हनुमान जी को इसलिए “संकट मोचन” भी कहा जाता है।

जय श्री राम!!

जय हनुमान!!

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सरिता जैन

सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका

हिसार

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विनम्र निवेदन

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धन्यवाद।

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