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Showing posts from December, 2022

क्षमा

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 क्षमा Image by Erika Varga from Pixabay एक सेठ जी ने अपने छोटे भाई को तीन लाख रुपये व्यापार के लिये दिये। उसका व्यापार बहुत अच्छा जम गया, लेकिन उसने रुपये बड़े भाई को वापस नहीं लौटाये। आख़िर दोनों में झगड़ा हो गया। झगड़ा भी इस सीमा तक बढ़ गया कि दोनों का एक-दूसरे के यहाँ आना-जाना बिल्कुल बंद हो गया। घृणा व द्वेष का आंतरिक संबंध अत्यंत गहरा हो गया। सेठ जी हर समय, हर संबंधी के सामने अपने छोटे भाई की निंदा-निरादर व आलोचना करने लगे। सेठ जी अच्छे साधक भी थे, लेकिन इस द्वेष भावना के कारण उनकी साधना लड़खड़ाने लगी। भजन-पूजन के समय भी उन्हें छोटे भाई द्वारा दिए गए धोखे का ही चिंतन होने लगा। मानसिक व्यथा का प्रभाव तन पर भी पड़ने लगा। बेचैनी बढ़ गयी। समाधान नहीं मिल रहा था। आखिर वे एक संत के पास गये और अपनी व्यथा सुनायी। संत श्री ने कहा - बेटा! तू चिंता मत कर। ईश्वर कृपा से सब ठीक हो जायेगा। तुम कुछ फल व मिठाइयां लेकर अपने छोटे भाई के यहाँ जाना और मिलते ही उससे केवल इतना कहना कि अनुज! सारी भूल मुझसे हुई है, मुझे क्षमा कर दो। सेठ जी ने कहा - महाराज! मैंने ही उसकी मदद की है और क्षमा भी...

प्रभु की दुकान

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 प्रभु की दुकान Image by Dennis Mbaria from Pixabay एक दिन मैं सड़क पर जा रहा था। रास्ते में एक जगह बोर्ड लगा था ‘ईश्वरीय किरयाने की दुकान’। मेरी जिज्ञासा बढ़ गई। क्यों न इस दुकान पर जाकर देखें कि इसमें बिकता क्या है ? जैसे ही यह ख्याल आया, दरवाज़ा अपने आप खुल गया। मैंने खुद को दुकान के अंदर पाया। ज़रा-सी जिज्ञासा रखते हैं तो द्वार अपने आप खुल जाते हैं। खोलने नहीं पड़ते। मैंने दुकान के अंदर देखा - जगह-जगह देवदूत खड़े थे। एक देवदूत ने मुझे टोकरी देते हुए कहा - मेरे बच्चे! ध्यान से खरीदारी करो। वहाँ वह सब कुछ था जो एक इंसान को ख़ुशहाल ज़िदगी जीने के लिए आवश्यक था। देवदूत ने कहा - एक बार में टोकरी भर कर न ले जा सको, तो दोबारा आ जाना। फिर दोबारा टोकरी भर लेना। अब मैंने सारी चीजें देखनी आरम्भ की। सबसे पहले ‘धीरज’ खरीदा, फिर ‘प्रेम’ भी ले लिया। फिर ‘समझ’ ले ली। फिर एक-दो डिब्बे ‘विवेक’ के भी ले लिए। आगे जाकर ‘विश्वास’ के दो-तीन डिब्बे उठा लिए और मेरी टोकरी भरती गई। आगे गया तो ‘पवित्रता’ मिली। सोचा कि इसको कैसे छोड़ सकता हूँ ? फिर ‘शक्ति’ का साइनबोर्ड आया। शक्ति भी ले ली। ‘हिम्मत’...

पति-पत्नी का रिश्ता

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 पति-पत्नी का रिश्ता Image by Karsten Paulick from Pixabay शादी के दिन एक अटैची की तरफ इशारा करती नवविवाहित दुल्हन ने अपने पति से वादा लिया था कि वह उस अटैची को कभी नहीं खोलेंगे। उसके पति ने भी उससे वादा किया कि वह बिना उसकी परमिशन के उस अटैची को कभी नहीं खोलेगा। शादी के पचासवें साल में, जब पत्नी बिस्तर पर ज़िंदगी की आख़िरी साँसें ले रही थी, तो पति ने अपनी पत्नी को उस अटैची की याद दिला दी। पत्नी बोली - अब इस अटैची का राज़ खोलने का वक़्त आ गया है। अब आप इस अटैची को खोल सकते हो। पति ने जब अटैची को खोला तो उसमें से दो गुड़िया और एक लाख रुपए बाहर निकले। पति ने पूछा तो पत्नी बोली - “मेरी माँ ने मुझे सफल शादी का राज़ दिया था। उन्होंने सलाह दी थी कि गुस्सा पीना बहुत अच्छा है। माँ ने मुझे ये तरीका बताया कि जब भी उसे अपने पति की किसी ग़लत बात पर ग़ुस्सा आये तो पति पर गुस्सा होने के बजाय एक गुड़िया सिल लिया करना। इसलिए जब भी तुम्हारे बारे में किसी ग़लत बात पर ग़ुस्सा आता तो मैं एक गुड़िया बना लिया करती थी।” पति दो गुड़ियों को देखकर बहुत खुश हुआ कि उसने अपनी पत्नी को कितना खुश रखा हुआ है...

मेरा कर्म ही मेरा भाग्य

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 मेरा कर्म ही मेरा भाग्य Image by AdamsPics from Pixabay महात्मा बुद्ध के एक परमभक्त की मृत्यु होने पर भक्त के पुत्र ने सोचा कि अंत्येष्टि के बाद होने वाला मंत्र जाप किसी आम पंडित से न करवाकर महात्मा बुद्ध से ही करवाया जाए ताकि पिता का स्वर्ग जाना सुनिश्चित हो जाए। पुत्र ने महात्मा बुद्ध से इसके लिए निवेदन किया। महात्मा बुद्ध सुनकर मुस्कुराए और बोले - आप एक पत्तल के एक दोने में पत्थर के टुकड़े और एक में मखाने भर कर ले आओ। वह प्रसन्न होकर दोनों वस्तुएं ले आया। बुद्ध बोले - अब नदी किनारे जा कर इस मंत्र का उच्चारण करने के बाद इन दोनों को बहा दो। परिणाम आकर मुझे बताना। व्यक्ति ने वैसा ही किया। फिर आकर महात्मा जी को बताया कि पत्थर वाला दोना तो नदी में तुरंत डूब गया परंतु मखाने वाला तैरता-तैरता आगे निकल गया। महात्मा बुद्ध ने उसे सुझाव दिया कि अपने मंत्रवादी पंडित को भी वहां ले जाकर उनसे मंत्र पढ़वा लो। अगर पत्थर वाला दोना ऊपर आ जाए और मखाने वाला डूब जाए तो आकर मुझे बता देना। कुछ समय बाद उस व्यक्ति ने बताया कि मैंने आपके कहे अनुसार किया पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। मखाने वाला दोना ...

यह सफ़र बहुत छोटा है

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 यह सफ़र बहुत छोटा है Image by Michael Kauer from Pixabay एक बार एक युवा बहन बस में यात्रा कर रही थी। तभी एक बस स्टॉप से एक तुनक-मिजाज महिला चढ़ी। उसके दोनों हाथ सामान से लदे थे। वह बहुत अशिष्टता से उस बहन के साथ वाली सीट पर आकर बैठी। कुछ इस तरह कि उसने अपने सामान का बहुत सा बोझ उस बहन के हाथ और पांव पर डाल दिया। पर वह बहन इस व्यवहार पर कुछ नहीं बोली। कोई प्रतिक्रिया नहीं की, किन्तु पीछे की सीट पर बैठे एक व्यक्ति को उस महिला के असभ्य व्यवहार पर बहुत गुस्सा आया। उसने बहन को उकसाया - ‘आप कुछ कहती क्यों नहीं इनको ? यह भी कोई बैठने का तरीक़ा है ? अपना बोझ सहयात्री पर धर दो।’ शालीन युवती बहन ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया - ‘भाई साहब! मैं अभी अगले स्टैंड पर उतर जाऊंगी। इस छोटे से सफ़र में मैं इनसे क्यों कहा-सुनी करूं ? अभी चंद पलों में मैं अपने रास्ते और ये अपने रास्ते चली जाएंगी। फ़िर थोड़ी-सी दूरी और छोटी-सी बात के लिए मैं इनसे क्यों लडाई-झगड़ा करूं ? सफ़र ख़त्म हो जाएगा, पर लडाई-झगड़ा हमेशा याद रहेगा। उसका असर मेरे काम-काज पर पड़ेगा और मैं अपना आज का काम भी सही ढंग से नहीं कर...

सोच बदलो, जिंदगी बदल जायेगी

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 सोच बदलो, जिंदगी बदल जायेगी Image by Goran Horvat from Pixabay एक गाँव में सूखा पड़ने की वजह से गाँव के सभी लोग बहुत परेशान थे। उनकी फसलें ख़राब हो रही थी। बच्चे भूखे-प्यासे मर रहे थे और उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि इस समस्या का समाधान कैसे निकाला जाये ? उसी गाँव में एक विद्वान महात्मा रहते थे। गाँव वालों ने उनके पास जाकर इस समस्या का समाधान माँगने का निर्णय लिया। सब लोग महात्मा के पास गये और उन्हें अपनी सारी परेशानी विस्तार से बतायी। महात्मा ने कहा कि आप सब मुझे एक हफ्ते का समय दीजिये। मैं आपको कुछ समाधान ढूंढ कर बताता हूँ। गाँव वालों ने कहा ठीक है और महात्मा के पास से चले गये। एक हफ्ते का समय बीत गया लेकिन साधु महात्मा कोई भी हल ढूँढ न सके और उन्होंने गाँव वालों से कहा कि अब तो आप सबकी मदद केवल ऊपर बैठा वह भगवान ही कर सकता है। अब सब भगवान की पूजा करने लगे, भगवान को खुश करने के लिये। भगवान ने उन सबकी सुन ली और उन्होंने गाँव में अपना एक दूत भेजा। गाँव में पहुँचकर दूत ने सभी गाँव वालों से कहा कि आज रात को अगर तुम सब एक-एक लोटा दूध गाँव के पास वाले उस कुँए में बिना दे...

निर्णय में देरी का कारण - विकल्प

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 निर्णय में देरी का कारण - विकल्प Image by Manfred Antranias Zimmer from Pixabay एक धनी व्यक्ति का बटुआ बाजार में गिर गया। उसे घर पहुंच कर इस बात का पता चला। बटुए में ज़रूरी कागज़ों के अलावा कई हजार रुपये भी थे। फौरन ही वह मंदिर गया और प्रार्थना करने लगा कि हे भगवान्, यदि मेरा बटुआ मिल गया तो मैं बटुआ मिलने पर प्रसाद चढ़ाऊंगा, ग़रीबों को भोजन कराऊंगा आदि। संयोग से वह बटुआ एक बेरोज़़गार युवक को मिला। बटुए पर उसके मालिक का नाम लिखा था, इसलिए उस युवक ने सेठ के घर पहुंच कर बटुआ उन्हें दे दिया। सेठ ने तुरंत बटुआ खोलकर देखा। उसमें सभी कागज़ात और रुपये यथावत् थे। सेठ ने प्रसन्न होकर युवक की ईमानदारी की प्रशंसा की और उसे बतौर इनाम कुछ रुपये देने चाहे, जिन्हें लेने से युवक ने मना कर दिया। इस पर सेठ ने कहा - अच्छा! कल फिर आना। युवक दूसरे दिन आया तो सेठ ने उसकी खूब ख़ातिरदारी की। युवक चला गया। युवक के जाने के बाद सेठ अपनी इस चतुराई पर बहुत प्रसन्न था कि वह तो उस युवक को सौ रुपये देना चाहता था, पर युवक बिना कुछ लिए सिर्फ खा-पी कर ही चला गया। उधर युवक के मन में इन सबका कोई प्रभाव नहीं...