क्षमा
👼👼💧💧👼💧💧👼👼 क्षमा Image by Erika Varga from Pixabay एक सेठ जी ने अपने छोटे भाई को तीन लाख रुपये व्यापार के लिये दिये। उसका व्यापार बहुत अच्छा जम गया, लेकिन उसने रुपये बड़े भाई को वापस नहीं लौटाये। आख़िर दोनों में झगड़ा हो गया। झगड़ा भी इस सीमा तक बढ़ गया कि दोनों का एक-दूसरे के यहाँ आना-जाना बिल्कुल बंद हो गया। घृणा व द्वेष का आंतरिक संबंध अत्यंत गहरा हो गया। सेठ जी हर समय, हर संबंधी के सामने अपने छोटे भाई की निंदा-निरादर व आलोचना करने लगे। सेठ जी अच्छे साधक भी थे, लेकिन इस द्वेष भावना के कारण उनकी साधना लड़खड़ाने लगी। भजन-पूजन के समय भी उन्हें छोटे भाई द्वारा दिए गए धोखे का ही चिंतन होने लगा। मानसिक व्यथा का प्रभाव तन पर भी पड़ने लगा। बेचैनी बढ़ गयी। समाधान नहीं मिल रहा था। आखिर वे एक संत के पास गये और अपनी व्यथा सुनायी। संत श्री ने कहा - बेटा! तू चिंता मत कर। ईश्वर कृपा से सब ठीक हो जायेगा। तुम कुछ फल व मिठाइयां लेकर अपने छोटे भाई के यहाँ जाना और मिलते ही उससे केवल इतना कहना कि अनुज! सारी भूल मुझसे हुई है, मुझे क्षमा कर दो। सेठ जी ने कहा - महाराज! मैंने ही उसकी मदद की है और क्षमा भी...