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Showing posts from June, 2023

असली यज्ञ

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 असली यज्ञ Image by NoName_13 from Pixabay महाभारत का एक प्रसंग है, अश्वमेध यज्ञ चल रहा था, बड़े-बड़े ऋषियों और ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दी जा रही थी। कहते हैं कि उस यज्ञ में बड़े-बड़े देवता आये, यहाँ तक कि देवराज इन्द्र तक भी उपस्थित हुये। स्वयं भगवान् श्री कृष्ण तक वहाँ साक्षात् उपस्थित थे। दान देने का उपक्रम चल रहा था। अश्वमेध यज्ञ की पूर्णाहुति की पावन वेला थी। इतने में ही सबने देखा कि एक गिलहरी उस यज्ञ-मण्डप पर पहुँची और अपने शरीर को उलट-पुलट करने लगी। यज्ञ-मण्डप में मौजूद सभी लोग बड़े ताज्जुब से उस गिलहरी को देख रहे थे और भी ज्यादा आश्चर्य तो इस बात का था की उस गिलहरी का आधा शरीर सोने का था और आधा शरीर सामान्य ही था, जैसा कि आम गिलहरियों का होता है। महाराज युधिष्ठिर के लिये यह बात आश्चर्यचकित करने वाली थी। ऐसी गिलहरी पहले कभी नहीं देखी गई। एक बार तो दान-दक्षिणा, मन्त्रोच्चार और देवों के आह्वान का उपक्रम तक ठहर गया। महाराज युधिष्ठिर ने यज्ञ को बीच में ही रोक कर गिलहरी को सम्बोधित करते हुये पूछा - ओ गिलहरी! मेरे मन में दो शंकाये हैं। पहली शंका तो यह है, कि तुम्हारा...

खोटा सिक्का

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 खोटा सिक्का Image by Melk Hagelslag from Pixabay ठाकुर जी का एक बहुत प्यारा भक्त था जिसका नाम अवतार था। वह छोले बेचने का काम करता था। उसकी पत्नी रोज सुबह-सवेरे उठ छोले बनाने में उसकी मदद करती थी। एक बार की बात है। एक फकीर, जिसके पास खोटे सिक्के थे, उसको सारे बाजार में कोई वस्तु नहीं देता तो वह अवतार के पास छोले लेने आता है। अवतार ने खोटा सिक्का देखकर भी उस फकीर को छोले दे दिए। ऐसे ही चार-पांच दिन उस फकीर ने अवतार को खोटे सिक्के देकर छोले ले लिए और उसके खोटे सिक्के चल गए। सारे बाजार में अब यह बात फैल गयी कि अवतार तो खोटे सिक्के भी चला लेता है। पर अवतार लोगों की बात सुनकर कभी जवाब नहीं देते थे। अपने ठाकुर की मौज में खुश रहते थे। एक बार जब अवतार पाठ पढ़ कर उठे तो अपनी पत्नी से बोले - क्या छोले तैयार हो गए? पत्नी बोली - “आज तो घर में हल्दी-मिर्च नहीं थी और मैं बाजार से लेने गयी तो सब दुकानदारों ने कहा कि ये तो खोटे सिक्के हैं और उन्होंने सामान नहीं दिया।” पत्नी के शब्द सुनकर अवतार ठाकुर की याद में बैठ गए और बोले - “जैसी तेरी इच्छा मेरे स्वामी! तुम्हारी लीला कौन जान सका...

दूध का गिलास

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 दूध का गिलास Image by InspiredImages from Pixabay एक बार एक लड़का अपने स्कूल की फीस भरने के लिए घर-घर जा कर सामान बेचा करता था। एक दिन उसका कोई सामान नहीं बिका और उसे भूख भी लग रही थी। उसने तय किया कि अब वह जिस भी दरवाजे पर जायेगा, उससे खाना मांग लेगा। वह एक घर पर पहुंचा। एक लड़की ने दरवाजा खोला, जिसे देखकर वह घबरा गया, और उसने पानी मांग लिया। लड़की ने भांप लिया था कि वह भूखा है, इसलिए वह एक बड़ा गिलास दूध का ले आई। लड़के ने धीरे-धीरे दूध पी लिया। कितने पैसे दूँ? लड़के ने पूछा। पैसे किस बात के? लड़की ने जवाब में कहा। “मेरी माँ ने मुझे सिखाया है कि जब भी किसी पर दया करो तो उसके पैसे नहीं लेने चाहियें।” “तो फिर मैं आपको दिल से धन्यवाद देता हूँ”, लड़के ने कहा। जैसे ही उस लड़के ने वह घर छोड़ा, उसे न केवल शारीरिक तौर पर शक्ति मिल चुकी थी, बल्कि उसका भगवान् और आदमी पर भरोसा और भी बढ़ गया था। उसने अपनी पढ़ाई पूरी की और एक दिन विदेश में एक बड़ा डॉक्टर बन गया। सालों बाद वह लड़की गंभीर रूप से बीमार पड़ गयी। लोकल डॉक्टर ने उसे शहर के बड़े अस्पताल में इलाज के लिए भेज दिया। विशेषज्ञ डॉक्टर हॉ...

सत्संग

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 सत्संग Image by Jill Wellington from Pixabay संत ने चोर को कहा कि तू चोरी कर लेकिन... नागार्जुन स्वामी से एक चोर ने कहा था कि तुम ही एक आदमी हो जो शायद मुझे बचा सको। यूं तो मैं बहुत महात्माओं के पास गया, लेकिन मैं जाहिर चोर हूँ, बहुत प्रसिद्ध चोर हूँ, और मेरी प्रसिद्धि यह है कि मैं आज तक पकड़ा नहीं गया हूँ। मेरी प्रसिद्धि इतनी हो गई है कि जिनके घर चोरी भी नहीं की, वे भी लोगों से कहते हैं कि उसने हमारे घर चोरी की। क्योंकि मैं उसी के घर चोरी करता हूँ जो सच में धनवान है। मैं हर किसी एैरे-गैरे-नत्थू-खैरे के घर चोरी नहीं करता। सम्राटों पर ही मेरी नजर होती है और कोई मुझे पकड़ नहीं पाया है। लेकिन मैं महात्माओं से अपने कल्याण के बारे में पूछता हूँ तो वे कहते हैं - पहले चोरी छोड़ो। उस चोर ने कहा - आप समझ सकते हैं कि यह तो मैं नहीं छोड़ सकता। यह छोड़ सकता तो इन महात्माओं के पास ही क्यों जाता? खुद ही छोड़ देता। कोई ऐसी तरकीब बता सकते हो कि मुझे चोरी छोड़नी न पड़े और छूट जाए। क्योंकि छोड़नी पड़ेगी तो मुझसे नहीं छूट सकेगी, यह मैं कर-कर के देख चुका हूँ। बहुत नियम संयम की कसमें खा ली। सब ...

किसका घर?

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 किसका घर? Image by InspiredImages from Pixabay किसका घर? माता-पिता का या बेटे का? “पापा नया घर बिल्कुल तैयार हो चुका है। सोच रहा हूँ कि वहाँ दीपावली पर शिफ्ट कर लूं”, सिद्धार्थ ने अपने पापा गोविंद प्रसाद जी से कहा। सिद्धार्थ, गोविंद जी और सुधा का इकलौता बेटा है। सुधा वहीं पर बैठी मूकदर्शक बनी चुपचाप सुन रही है। पिछले कुछ दिनों से उसने किसी भी बात पर रिएक्ट करना छोड़ दिया था। नए घर की उमंग में सिद्धार्थ और उसकी पत्नी रिया दोनों बेहद खुश थे। सिद्धार्थ बहुत बड़ा अफसर है। रिया भी अमीर खानदान से ताल्लुक रखती है। गोविन्द जी ने अपने घर को बहुत चाव से बनवाया था। कोठी, बाग, बगीचा सब कुछ था। परन्तु जब सिद्धार्थ ने कहा कि उसने भी एक घर का सपना देखा है, अपने घर का, ये सुनकर गोविंद जी आश्चर्यचकित रह गए थे। “अपना घर, तो ये किसका घर है?” “नहीं, पापा! ये घर आपका है। मैं अपने घर को अपनी मेहनत से बनाना चाहता हूँ।” फिर उसने उनसे कुछ पूछने की जरूरत नहीं समझी थी। सब कुछ रिया और उसकी मर्जी से होने लगा था। बीच-बीच में सिद्धार्थ उनसे सलाह ले लिया करता था। जबरन उन्हें दो तीन बार साइट पर भी ...

घर की बुनियाद

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 घर की बुनियाद Image by Johann Reinbacher from Pixabay कुछ ऐसी ही बहुएँ घर की बुनियाद होती हैं। पिछले साल गर्मियों की छुट्टियों में 15 दिन के लिए मायके जाने के लिए पड़ोस में रहने वाला रवि अपनी पत्नी अमिता और दोनों बच्चों को रेलवे स्टेशन छोड़ने गया, तो मैडम जी ने सख्त हिदायत दी - माँजी-बाबूजी का ठीक से ध्यान रखना और समय-समय पर उन्हें दवाई और खाना खाने को कहियेगा। हाँ! हाँ! ठीक है। जाओ, तुम आराम से। 15 दिन क्या, एक महीने बाद आना। माँ-बाबूजी और मैं, तीनों मज़े से रहेंगे और रही उनके ख्याल की बात तो मैं भी आखिर बेटा हूँ उनका - रवि ने बड़ी अकड़ में कहा। अमिता मुस्कुराते हुए ट्रेन में बैठ गई। कुछ देर में ही ट्रेन चल दी। उन्हें छोड़कर घर लौटते वक्त सुबह के 08.10 ही हुए थे तो रवि ने सोचा बाहर से ही कचौरी-समोसा ले चलूं ताकि माँ को नाश्ता न बनाना पड़े। घर पहुंचा तो माँ ने कहा - तुझे नहीं पता क्या? हमने तला-भुना खाना पिछले आठ महीनों से बंद कर दिया है। वैसे तुझे पता भी कैसे होगा? तू कौन-सा घर में रहता है। आखिरकार दोनों ने फिर दूध ब्रेड का ही नाश्ता कर लिया। नाश्ते के बाद रवि ने दवाई क...