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Showing posts from November, 2023

कर्माबाई का खिचड़ी भोग

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 कर्माबाई का खिचड़ी भोग Image by 신희 이 from Pixabay भगवान श्री कृष्ण की परम उपासक कर्माबाई जी जगन्नाथ पुरी में रहती थी और भगवान को बचपन से ही पुत्र रूप में भजती थी। ठाकुर जी के बाल रूप से वह रोज ऐसे बातें करती जैसे ठाकुर जी उनके पुत्र हों और उनके घर में ही वास करते हों। एक दिन कर्माबाई की इच्छा हुई कि ठाकुर जी को फल-मेवे की जगह अपने हाथ से कुछ बनाकर खिलाऊँ। उन्होंने जगन्नाथ प्रभु को अपनी इच्छा बतलायी। भगवान तो भक्तों के लिए सर्वदा प्रस्तुत हैं। प्रभु जी बोले - “माँ! जो भी बनाया हो वही खिला दो। बहुत भूख लगी है।” कर्माबाई ने खिचड़ी बनाई थी। ठाकुर जी को खिचड़ी खाने को दे दी। प्रभु बहुत चाव से खिचड़ी खाने लगे और कर्माबाई ये सोचकर भगवान को पंखा झलने लगी कि कहीं गर्म खिचड़ी से मेरे ठाकुर जी का मुँह न जल जाये। संसार को अपने मुख में समाने वाले भगवान को कर्माबाई एक माता की तरह पंखा कर रही हैं और भगवान भक्त की भावना में भाव-विभोर हो रहे हैं। भक्त वत्सल भगवान ने कहा - “माँ! मुझे तो खिचड़ी बहुत अच्छी लगी। मेरे लिए आप रोज खिचड़ी ही पकाया करें। मैं तो यही आकर खाऊँगा।” अब तो कर्माबाई जी ...

मातृ-पितृ पूजन दिवस का इतिहास

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 मातृ-पितृ पूजन दिवस का इतिहास Image by Hans from Pixabay एक बार भगवान शंकर के यहाँ उनके दोनों पुत्रों में होड़ लगी कि संसार में हम दोनों में से कौन बड़ा माना जाता है? इसका निर्णय लेने के लिए दोनों गए शिव-पार्वती के पास। शिव-पार्वती ने कहा - जो संपूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा करके पहले पहुँचेगा, उसी का बड़प्पन माना जाएगा। कार्तिकेय तुरन्त अपने वाहन मयूर पर निकल गये, पृथ्वी की परिक्रमा करने। गणपति जी चुपके-से एकांत में चले गये। थोड़ी देर शांत होकर उन्होंने उपाय खोजा तो झट से उन्हें उपाय मिल गया। जो ध्यान करते हैं, शांत बैठते हैं, उन्हें अंतर्यामी परमात्मा सत्प्रेरणा देते हैं। अतः किसी कठिनाई के समय घबराना नहीं चाहिए बल्कि भगवान का ध्यान करके थोड़ी देर शांत बैठो तो आपको जल्द ही उस समस्या का समाधान मिल जायेगा। फिर गणपति जी आये शिव-पार्वती के पास। माता-पिता का हाथ पकड़ कर दोनों को ऊँचे आसन पर बिठाया। पत्र-पुष्प से उनके श्री चरणों की पूजा की और प्रदक्षिणा करने लगे। एक चक्कर पूरा हुआ तो प्रणाम किया, दूसरा चक्कर लगाकर प्रणाम किया। इस प्रकार उन्होंने माता-पिता की सात प्रदक्षिणा कर ल...

प्रभु की प्राप्ति किसे होती है?

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 प्रभु की प्राप्ति किसे होती है? Image by Ilo from Pixabay एक राजा था। वह बहुत न्यायप्रिय तथा प्रजा-वत्सल एवं धार्मिक स्वभाव का था। वह नित्य अपने इष्ट देव की बड़ी श्रद्धा से पूजा-पाठ करता था और उन्हें याद करता था। एक दिन इष्ट देव ने प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिये तथा कहा - “राजन्! मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूँ। बोलो तुम्हारी क्या इच्छा है?” प्रजा को चाहने वाला राजा बोला - “भगवन्! मेरे पास आपका दिया सब कुछ है। आपकी कृपा से राज्य में सब प्रकार की सुख-शान्ति है। फिर भी मेरी एक ही इच्छा है कि जैसे आपने मुझे दर्शन देकर धन्य किया, वैसे ही मेरी सारी प्रजा को भी कृपा कर दर्शन दीजिये।” “यह तो सम्भव नहीं है” - ऐसा कहते हुए भगवान ने राजा को समझाया, परन्तु प्रजा को चाहने वाला राजा भगवान से जिद करने लगा। आखिर भगवान को अपने साधक के सामने झुकना पड़ा और वे बोले - “ठीक है। कल अपनी सारी प्रजा को उस पहाड़ी के पास ले आना और मैं पहाड़ी के ऊपर से सभी को दर्शन दूँगा।” ये सुन कर राजा अत्यन्त प्रसन्न हुआ और भगवान को धन्यवाद दिया। अगले दिन सारे नगर में ढिंढोरा पिटवा दिया कि कल सभी पहाड़ के नीचे मेरे ...

विश्वास

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 विश्वास Image by Phuc Nguyen from Pixabay जाड़े का दिन था और शाम होने आयी। आसमान में बादल छाये थे। एक नीम के पेड़ पर बहुत से कौए बैठे थे। वे सब बार-बार काँव-काँव कर रहे थे और एक दूसरे से झगड़ भी रहे थे। इसी समय एक मैना आयी और उसी पेड़ की एक डाल पर बैठ गई। मैना को देखते ही कई कौए उसे वहाँ से भगाने के लिए उस पर टूट पड़े। बेचारी मैना ने कहा - बादल बहुत हैं, इसलिए आज अंधेरा जल्दी हो गया है। मैं अपना घोंसला भूल गयी हूँ। आज रात मुझे यहाँ बैठने दो। कौओं ने कहा - नहीं! यह पेड़ हमारा है। तू यहाँ से भाग जा। मैना बोली - पेड़ तो सब ईश्वर के बनाये हुए हैं। इस सर्दी में यदि वर्षा पड़ी और ओले पड़े तो ईश्वर ही हमें बचा सकते हैं। मैं बहुत छोटी हूँ, तुम्हारी बहिन हूँ। तुम लोग मुझ पर दया करो और मुझे भी यहाँ बैठने दो। कौओं ने कहा - हमें तेरी जैसी बहिन नहीं चाहिये। तू बहुत ईश्वर का नाम लेती है तो ईश्वर के भरोसे यहाँ से चली क्यों नहीं जाती? तू नहीं जायेगी तो हम सब तुझे मारेंगे। कौए तो झगड़ालू होते ही हैं। वे शाम को जब पेड़ पर बैठने लगते हैं तो उनसे आपस में झगड़ा किये बिना नहीं रहा जाता। वे एक दूसर...

सच्चा श्राद्ध

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 सच्चा श्राद्ध Image by Peter Kraayvanger from Pixabay एक बार रामानंद जी ने कबीर जी से कहा कि हे कबीर! आज श्राद्ध का दिन है और पितरों के लिये खीर बनानी है। आप जाइये और पितरों की खीर के लिये दूध ले आइये। कबीर जी उस समय 9 वर्ष के ही थे। कबीर जी दूध का बरतन लेकर चल पड़े। चलते-चलते उन्होंने देखा कि आगे रास्ते में एक मरी हुई गाय पड़ी थी। कबीर जी ने आसपास से घास को उखाड़ कर गाय के पास डाल दिया और वहीं पर बैठ गये। दूध का बरतन भी पास ही रख लिया। जब काफी देर हो गयी तो रामानंद ने सोचा कि पितरों को छिकाने का टाइम हो गया है और कबीर अभी तक नहीं आया तो रामानंद जी खुद चल पड़े दूध लेने। वे चले जा रहे थे तो आगे देखा कि कबीर जी एक मरी हुई गाय के पास बरतन रखे बैठे हैं। रामानंद जी बोले - अरे कबीर! तू दूध लेने नहीं गया? कबीर जी बोले - स्वामी जी! ये गाय पहले घास खायेगी, तभी तो दूध देगी। रामानंद बोले - अरे! ये गाय तो मरी हुई है। ये घास कैसे खायेगी? कबीर जी बोले - स्वामी जी! ये गाय तो आज मरी है। जब आज की मरी गाय घास नहीं खा सकती, तो आपके 100 साल पहले मरे हुए पितर खीर कैसे खायेंगे? यह सुनते ही...

आन्तरिक सौंदर्य

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 आन्तरिक सौंदर्य Image by Yves from Pixabay एक राजा को अपने लिए सेवक की आवश्यकता थी। उसके मंत्री ने दो दिनों के बाद एक योग्य व्यक्ति को राजा के सामने पेश किया। राजा ने उसे अपना सेवक बना तो लिया, पर बाद में मंत्री से कहा, ‘‘वैसे तो यह आदमी ठीक है, पर इसका रंग-रूप अच्छा नहीं है।’’ मंत्री को यह बात अजीब लगी, पर वह चुप रहा। एक बार गर्मी के मौसम में राजा ने उस सेवक को पानी लाने के लिए कहा। सेवक सोने के पात्र में पानी लेकर आया। राजा ने जब पानी पिया तो पानी पीने में थोड़ा गर्म लगा। राजा ने कुल्ला करके फेंक दिया। वह बोला, ‘‘इतना गर्म पानी! वह भी गर्मी के इस मौसम में! तुम्हें इतनी भी समझ नहीं।’’ मंत्री यह सब देख रहा था। मंत्री ने उस सेवक को मिट्टी के पात्र में पानी लाने को कहा। राजा ने यह पानी पीकर तृप्ति का अनुभव किया। इस पर मंत्री ने कहा, ‘‘महाराज! बाहरी स्वरूप को नहीं, भीतरी सौन्दर्य को देखें। सोने का पात्र सुंदर, मूल्यवान और अच्छा है, लेकिन शीतलता प्रदान करने का गुण इसमें नहीं है। मिट्टी का पात्र अत्यंत साधारण है, लेकिन इसमें ठंडा बना देने की क्षमता है। कोरे रंग-रूप को न...