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Showing posts from November, 2022

सच्ची पूंजी

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 सच्ची पूंजी Image by Dim Hou from Pixabay एक समय की बात है। एक घने जंगल में ‘तेजा’ नाम का एक कौवा रहता था। उसके तीन घनिष्ठ मित्र थे। उनके नाम थे - सोनू चूहा, बिंदु हिरण और धीमेराम कछुआ। चारों में बहुत प्रेम था। एक दूसरे की वे मदद करते और खाली समय में साथ-साथ खेलकूद कर वक्त गुज़ारते थे। एक बार उस जंगल में एक धूर्त शिकारी आया। उसने नदी के पास बड़ी चतुराई से अपना जाल बिछा दिया और झाड़ियों में छिप कर बैठ गया। दुर्भाग्यवश उस जाल में बिंदु हिरण फस गया। उसने आज़ाद होने का बहुत प्रयत्न किया, परंतु वह आज़ाद नहीं हो पाया। उसे ढूंढते हुए उसके मित्र भी वहां पहुंच गए। छोटे-छोटे जीव उस विशाल लोहे के जाल के समक्ष लाचार थे। तभी अचानक उन्हें शिकारी आता हुआ दिखाई पड़ा। उसे देखते ही वे तीनों जल्दी से छिप गए। शिकारी हिरण को फंसा देखकर ख़ुश हो गया। उसने बिंदु को जाल से निकाला और उसके चारों पैर एक साथ रस्सी से बांध दिए। बिंदु बेचारा पीड़ा सहन न कर पाया और चीखता रह गया। शिकारी उसका मांस पकाने हेतु जंगल की सूखी लकड़ियाँ लेने चला गया। रास्ता साफ होते ही बिंदु के मित्र उसके निकट आ पहुंचे। सोनू चूहे...

खाली पीपे

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 खाली पीपे Image by Bente Jønsson from Pixabay आज की कथा में जानते हैं कि जब हम कहते रहते हैं, हमारे पास भक्ति के लिए समय नहीं है तो परिणाम क्या होता है। एक बहुत बड़ा सौदागर नौका लेकर दूर-दूर देशों में करोड़ों रुपये कमाने जाता था। उसके मित्रों ने उससे कहा कि तुम नौका में घूमते हो। पुराने जमाने की नौका है। समुद्र में तूफ़ान आते हैं, खतरे बहुत होते हैं और नावें डूब जाती हैं। तुम तैरना तो सीख लो। सौदागर ने कहा कि तैरना सीखने के लिए मेरे पास समय कहां है ? लोगों ने कहा, ‘ज्यादा समय की जरूरत नहीं है। गाँव में एक कुशल तैराक है, जो कहता है कि वह तीन दिन में ही तैरना सिखा देगा।’ ‘हाँ! वह जो कहता है तो ठीक ही कहता होगा; लेकिन मेरे पास तीन दिन कहाँ ? तीन दिन में तो मैं हज़ारों का कारोबार कर लेता हूँ। तीन दिन में तो लाखों रूपए यहां से वहाँ हो जाते हैं। कभी फुरसत मिलेगी तो जरूर सीख लूंगा।’ फिर भी लोगों ने कहा कि ख़तरा बहुत बड़ा है, तुम्हारा जीवन निरन्तर नाव पर है और दाँव पर है। किसी भी दिन जान को ख़तरा हो सकता है और तुम तो तैरना भी नहीं जानते। उसने कहा कि और कोई सस्ती तरकीब हो तो बता...

पत्नी का भूत

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 पत्नी का भूत Image by Jill Wellington from Pixabay एक आदमी की पत्नी अचानक बहुत बीमार पड़ गयी। मरने से पहले उसने अपने पति से कहा, “मैं तुम्हें बहुत प्यार करती हूँ। तुम्हें छोड़ कर नहीं जाना चाहती। मैं नहीं चाहती कि मेरे जाने के बाद तुम मुझे भुला दो और किसी दूसरी औरत से शादी करो। वादा करो कि मेरे मरने के बाद तुम किसी और से प्रेम नहीं करोगे, वरना मेरी आत्मा तुम्हें चैन से जीने नहीं देगी”, और इतना कह कर वह चल बसी। उसके जाने के कुछ महीनों तक उस आदमी ने किसी दूसरी औरत की तरफ देखा तक नहीं, पर एक दिन उसकी मुलाक़ात एक ऐसी लड़की से हुई जिसे वह चाहने लगा। बात बढ़ते-बढ़ते शादी तक आ गयी और उनकी शादी हो गयी। शादी के ठीक बाद आदमी को लगा कि कोई उससे कुछ कह रहा है। मुड़ कर देखा तो वह उसकी पहली पत्नी की आत्मा थी। आत्मा बोली, “तुमने अपना वादा तोड़ा है, अब मैं हर रोज़ तुम्हें परेशान करने आऊंगी।” और इतना कह कर वह गायब हो गयी। आदमी घबरा गया, उसे रात भर नींद नहीं आई। अगले दिन भी रात को उसे वही आवाज़ सुनाई दी। “मैं तुम्हे चैन से नहीं जीने दूंगी। मैं जानती हूँ कि आज तुमने अपनी नयी पत्नी से क्या-क्य...

अयोध्या की महिमा

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 अयोध्या की महिमा Image by Patrick Gregerson from Pixabay एक बार लक्ष्मण जी तीर्थ यात्रा पर जाने के लिए श्री राम जी से प्रार्थना करने लगे। श्री राम ने मुस्कुराते हुए कहा - ‘भैया! यदि आपकी तीर्थ यात्रा जाने की इच्छा है तो जाओ परन्तु अयोध्या की व्यवस्था करके जाइए।’ लक्ष्मण जी ने पूछा - ‘आप मुस्कुरा क्यों रहे हैं ? ’ श्री राम जी ने कहा - ‘लक्ष्मण! समय आने पर तुम स्वयं ही समझ जाओगे।’ श्री राम की आज्ञा प्राप्त करके लक्ष्मण जी तीर्थ यात्रा जाने की तैयारी करने लगे। उनके साथ मंत्री, मित्र, सेवक व अयोध्या के निवासी भी जाने की तैयारी में लग गए। गुरु वशिष्ठ जी ने यात्रा का मुहूर्त श्रावण के शुक्ल पक्ष की पंचमी का निकाला। अयोध्या की व्यवस्था व यात्रा की तैयारी करते-करते लक्ष्मण जी को रात्रि के दो बज गए। लक्ष्मण जी ने सोचा - आज प्रातः पांच बजे से यात्रा करनी है, अब क्या विश्राम करूँगा। अब ब्रह्म मुहूर्त होने वाला है। अतः पहले जाकर सरयू जी में स्नान कर लूँ। यह सोचकर वे सरयू के किनारे आए। वहां बहुत प्रकाश हो रहा था। घाट पर हज़ारों राजा-महाराजा स्नान कर रहे थे। लक्ष्मण जी के सामने ...

ज्ञान का वरदान

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 ज्ञान का वरदान Image by Jessica Joh from Pixabay एक आत्म-पिपासु गुरु के चरणों में गया। उसने गुरु के सामने अज्ञानता का, अपने पापों का चिट्ठा खोला और अपनी विगत भूलों का प्रायश्चित और ज्ञान का वरदान मांगा। गुरु ने कहा, “मैं कौन होता हूँ तुम्हें क्षमा करने वाला ? वैसे भी यदि मैं तुम्हें क्षमा भी कर दूं तो उससे क्या होगा ? असली क्षमा तो तुम्हें अपने आप से मांगनी पड़ेगी। स्वयं के दर्पण के सामने चित्त को पूर्णतया टटोलना पड़ेगा, तभी ज्ञान की प्राप्ति होगी।” आत्म-पिपासु ने कहा, “मैंने आपको अपना गुरु माना है। हृदय के आसन पर आप का प्रतिबिंब स्थापित कर लिया है। अब आप ही मेरा मार्गदर्शन करें। मुझे आज्ञा दें कि अब मुझे क्या करना है।” संत ने कहा, “जाओ! ध्यान-सामायिक में स्थित होकर अपने एक-एक पाप का स्मरण करो और उन्हें चित्त से बाहर निकालो। तुम्हारा चित्त शुद्ध अवस्था को प्राप्त हो जाएगा।” वह 6 माह तक आहार-पानी का त्याग करके आत्म-मल को ध्यान-नीर से धोता रहा। एक दिन वह सिद्धि को उपलब्ध हो गया। एक देवता स्वर्ग से आया और उससे कहा, “आप जो भी वरदान मांगना चाहें, मांग लें। परमात्मा आप...

अभ्यास का फल

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 अभ्यास का फल पिक्साबे से नारुमिल्क द्वारा छवि राहुल पोस्टमैन का इंतजार कर रहा था। वह मन में सोच रहा था कि मेरी कहानी की स्वीकृति आज निश्चित ही होगी। थोड़ी देर में डाकिया दिखाई दिया। राहुल बसंत की तरह खिल गया, लेकिन जब डाकिए ने पत्र दिया तो राहुल निराश हो गया क्योंकि पहले की तरह अब भी उनकी लिखी कहानी वापस आ गई थी। राहुल एक लेखक बनना चाहता था। उसके मन में बहुत से विचार समुद्र की लहरों की तरह उठते रहते थे और वह उन्हें कागज पर चित्रित कर सभी के हृदय तक पहुँचाना चाहता था। पर इस बार भी उनकी आशाओं पर पानी फिर गया था। राहुल को दुःख हुआ क्योंकि पत्रिका के संपादक ने कहानी को वापस भेज दिया था। राहुल के मन में कई तरह की बातें उठने लगीं कि काश! वह संपादक होता है तो सभी की कहानी छापता। किसी को निराश नहीं होने देता। कुछ दिनों तक राहुल किताबों के पठन-पाठन में लगा रहा। एक बार राहुल ने कबीरदास जी की दोहावली पढ़ी और उसमें उसने एक दोहा पढ़ा - करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान। रसरी आवत जात ते सिल पर परत निशान।। उसे प्रेरणा मिली कि भले ही कुछ भी हो जाए, मैं अपने लेखन का अभ्यास नहीं ...