अभ्यास का फल

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अभ्यास का फल

पिक्साबे से नारुमिल्क द्वारा छवि

राहुल पोस्टमैन का इंतजार कर रहा था। वह मन में सोच रहा था कि मेरी कहानी की स्वीकृति आज निश्चित ही होगी। थोड़ी देर में डाकिया दिखाई दिया। राहुल बसंत की तरह खिल गया, लेकिन जब डाकिए ने पत्र दिया तो राहुल निराश हो गया क्योंकि पहले की तरह अब भी उनकी लिखी कहानी वापस आ गई थी।

राहुल एक लेखक बनना चाहता था। उसके मन में बहुत से विचार समुद्र की लहरों की तरह उठते रहते थे और वह उन्हें कागज पर चित्रित कर सभी के हृदय तक पहुँचाना चाहता था। पर इस बार भी उनकी आशाओं पर पानी फिर गया था।

राहुल को दुःख हुआ क्योंकि पत्रिका के संपादक ने कहानी को वापस भेज दिया था। राहुल के मन में कई तरह की बातें उठने लगीं कि काश! वह संपादक होता है तो सभी की कहानी छापता। किसी को निराश नहीं होने देता।

कुछ दिनों तक राहुल किताबों के पठन-पाठन में लगा रहा। एक बार राहुल ने कबीरदास जी की दोहावली पढ़ी और उसमें उसने एक दोहा पढ़ा -

करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान।

रसरी आवत जात ते सिल पर परत निशान।।

उसे प्रेरणा मिली कि भले ही कुछ भी हो जाए, मैं अपने लेखन का अभ्यास नहीं छोड़ूंगा। जब एक कोमल रस्सी पत्थरों की सिल पर अपना निशान छोड़ सकती है, तो एक दिन मेरे विचार संपादक के दिल में अपनी पहचान बनाने में सफल होंगे। वह और अधिक पुस्तकों के अध्ययन में लग गया। वह एक ऐसे गुरु की तलाश में था, जो उसके लेखन में सुधार ला सके।

तभी उसने एकलव्य की कहानी पढ़ी कि जब एकलव्य गुरु द्रोणाचार्य के पास धनुष विद्या सीखने गया था, तो उन्होंने उसके योग्य पात्र न मान कर उसे धनुष विद्या सिखाने से मना कर दिया था। एकलव्य ने अभ्यास नहीं छोड़ा और गुरु द्रोणाचार्य की मूर्ति बना कर स्वयं ही निरंतर अभ्यास करने लगा और एक दिन बहुत कुशल धनुष धारी बन गया।

राहुल को लगा कि वह भी फिर से प्रयास कर सकता है। 'अभ्यास ही सफलता का पैमाना है' - ऐसा मानकर राहुल ने कई कहानियां लिखीं और पत्र-पत्रिकाओं में भेजने लगा। अंत में उसकी मेहनत रंग लाई और उसकी लिखी कहानी एक पत्रिका में छपी। कई विद्वानों ने प्रोत्साहन देने के लिए उस कहानी पर टिप्पणियां लिखी।

राहुल को लगा कि यह सब अभ्यास का ही फल था। जो अभ्यास का बीज मैंने बोया था, आज वह स्वादिष्ट फल के रूप में मेरे सामने है। इस प्रकार राहुल की मेहनत सफल हुई।

सुविचार - गुण ग्राहकता प्राणी मात्र के विकास की कुंजी है।


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सरिता जैन

सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका

हिसार

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