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Showing posts from April, 2024

गिफ्ट

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 गिफ्ट Image by Couleur from Pixabay एक बहुत ही बड़े उद्योगपति का पुत्र कॉलेज में अंतिम वर्ष की परीक्षा की तैयारी में लगा हुआ था। उसके पिता ने उसकी परीक्षा के विषय में पूछा तो वह जवाब में बोला कि हो सकता है कॉलेज में अव्वल आऊँ। अगर मैं अव्वल आया तो मुझे वह महंगी वाली कार ला दोगे न जो मुझे बहुत पसंद है? पिता खुश होकर कहते हैं - क्यों नहीं, अवश्य ला दूंगा। ये तो उनके लिए आसान था। उनके पास पैसों की कोई कमी नहीं थी। जब पुत्र ने सुना तो वह दोगुने उत्साह से पढ़ाई में लग गया। रोज कॉलेज आते-जाते वह शोरूम में रखी कार को निहारता और मन ही मन कल्पना करता कि वह अपनी मनपसंद कार चला रहा है। दिन बीतते गए और परीक्षा खत्म हुई। परिणाम आया। वह कॉलेज में अव्वल आया था। उसने कॉलेज से ही पिता को फोन लगाकर बताया कि वे उसका इनाम, कार तैयार रखें। मैं घर आ रहा हूँ। घर आते-आते वह ख्यालों में गाड़ी को घर के आँगन में खड़ा देख रहा था। जैसे ही घर पंहुचा, उसे वहाँ कोई कार नही दिखी। वह बुझे मन से पिता के कमरे में दाखिल हुआ। उसे देखते ही पिता ने गले लगाकर बधाई दी और उसके हाथ में कागज में लिपटी एक वस्तु ...

मूर्ख पुत्र

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 मूर्ख पुत्र Image by Niklas Ernst from Pixabay एक वृद्ध व्यक्ति अपने जीवन के अन्तिम पड़ाव पर था। उसके पांच पुत्र थे। पांचो की प्रकृति अलग-अलग थी। वह बूढ़ा अचानक बीमार पड़ गया। बड़े पुत्र ने अपने पिता को चरपाई पर लेटे देखा, तो उनके पास आकर उनका हाल पूछा। पिता बोले - बेटा! बुढ़ापा तो स्वयं ही आदमी को अशक्त कर देता है। लगता है कि अब मैं अधिक दिन तक जीवित नहीं रह सकूंगा। बड़ा बेटा अपने भाईयों के पास गया और उन्हें बताया कि पिताजी को डॉक्टर साहब को बुला कर एक बार दिखा देना चाहिए। शायद उनकी पीड़ा कुछ कम हो जाए। दूसरे पुत्र ने कहा - डॉक्टर की तो फीस ही बहुत ज़्यादा होती है। उसकी अपेक्षा आयुर्वेदिक उपचार अधिक लाभकारी होता है। मेरे पास हिंगाष्टक चूरण रखा है। उसे लेने से पिताजी स्वस्थ हो जाएंगे। तीसरे पुत्र ने कहा - अरे! ये देसी दवाइयाँ तो लोग पहले लेते थे। इससे ठीक होने में तो बहुत समय लगता है। आजकल किसके पास इतना समय है? होम्योपैथिक दवा से तत्काल लाभ मिलता है। वही दे देते हैं। चौथे पुत्र ने कहा - उनके लिए तो बायोकैमिक उचित रहेगा। इस प्रकार परस्पर झगड़ा होने लगा। अपने-अपने चिंतन पर ...

परोपकारी सन्त के विचार

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 परोपकारी सन्त के विचार Image by Sabrina Wisian from Pixabay भारत संतों का देश है। यहाँ एक से बढ़कर एक संत हुए हैं। एक ऐसे ही संत हुए जो बड़े ही सदाचारी और लोकसेवी थे। उनके जीवन का मुख्य लक्ष्य परोपकार था। एक बार उनके आश्रम के निकट से देवताओं की टोली जा रही थी। संत आसन जमाये साधना में लीन थे। आँखें खोली तो देखा कि सामने देवगण खड़े हैं। संत ने उनका अभिवादन कर उन सबको आसन दिया। उनकी खूब सेवा की। देवगणों ने उनके इस व्यवहार और उनके परोपकार के कार्य से प्रसन्न होकर उनसे वरदान मांगने को कहा। संत ने आदरपूर्वक कहा - “हे देवगण! मेरी कोई इच्छा नहीं है। आप लोगों की दया से मेरे पास सब कुछ है।” देवगण बोले - “आपको वरदान तो माँगना ही पड़ेगा, क्योंकि हमारे वचन किसी भी तरह से खाली नहीं जा सकते।” संत बोले - “हे देवगण! आप तो सब कुछ जानते हैं। आप जो वरदान देंगे, वह मुझे सहर्ष स्वीकार होगा।” देवगण बोले - “जाओ! तुम दूसरों की और भलाई करो। तुम्हारे हाथों दूसरों का सदा कल्याण हो।” संत ने कहा - “महाराज! यह तो बहुत कठिन कार्य है?” देवगण बोले - “कठिन! इसमें क्या कठिन है?” संत ने कहा - “मैंने आज त...

माता-पिता का सम्मान

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 माता-पिता का सम्मान Image by Anja from Pixabay एक वृद्धा माँ रात को 11:30 बजे रसोई में बर्तन साफ कर रही है। घर में दो बहुएँ हैं, जो बर्तनों की आवाज़ से परेशान होकर अपने पतियों को सास को उलाहना देने को कहती हैं। वे कहती हैं कि आपकी माँ को मना करो इतनी रात को बर्तन धोने के लिये। बर्तनों की आवाज़ से हमारी नींद ख़राब होती है। साथ ही सुबह 4 बजे उठकर फिर खटर-पटर शुरू कर देती हैं। सुबह 5 बजते ही पूजा शुरू हो जाती है और रात को आरती। न ख़ुद सोती हैं और न हमें सोने देती हैं। न रात को चैन है और न ही सुबह। जाओ, अब सोच क्या रहे हो? जाकर माँ को मना करो। बड़ा बेटा खड़ा होता है और रसोई की तरफ जाता है। रास्ते में छोटे भाई के कमरे में से भी वही बातें सुनाई पड़ती हैं, जो उसके कमरे में हो रही थी। वह छोटे भाई के कमरे को खटखटा देता है। छोटा भाई बाहर आता है। दोनो भाई रसोई में जाते हैं और माँ को बर्तन साफ़ करने में मदद करने लगते हैं। माँ मना करती है पर वे नहीं मानते। बर्तन साफ़ हो जाने के बाद दोनों भाई माँ को बड़े प्यार से उसके कमरे में ले जाते हैं, तो देखते हैं कि पिताजी भी जागे हुए हैं। दोनों भा...

घर की नींव बहुएँ

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 घर की नींव बहुएँ Image by Steve Bidmead from Pixabay दीपा और नीता दोनों जेठानी-देवरानी थी। दीपा नौकरी करती थी और नीता घर संभालती थी। भरा-पूरा परिवार था, सास-ससुर, दोनों के दो बच्चे कुल दस लोगों का परिवार। कई सालों बाद दोनों की बुआ सास कुछ दिन अपने भाई के पास रहने आई। सुबह उठते ही बुआ जी ने देखा कि दीपा जल्दी-जल्दी अपने काम निपटा रही थी। नीता ने सब का नाश्ता, टिफिन बनाया, जिसे दीपा ने सब को परोसा, टिफिन पैक किया और चली गई ऑफिस। नीता ने फिर दोपहर का खाना बनाया और बैठ गयी थोड़ी देर सास और बुआ सास के पास। बुआ जी से रहा नहीं गया। वे बोली, “छोटी बहु! तेरी जेठानी तो अच्छा हुकुम चलाती है तुझ पर! सुबह से देख रही हूँ कि रसोई घर में तू लगी है और वह महारानी दिखावा करने के लिए सबको ऐसे नाश्ता परोस रही थी जैसे उसी ने बनाया हो।” नीता और सास ने एक-दूसरे को देखा। नीता बोली, “नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है, बुआ जी।” बुआ जी बोली, “तू भोली है, पर मैं सब समझती हूँ।” नीता से अब रहा नहीं गया और बोली, “बुआ जी आपको दीपा दीदी का बाकी सबको नाश्ता परोसना दिखाई दिया, पर शायद ये नहीं दिखा कि उन्होंन...

रिश्तों की स्टेपनी

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 रिश्तों की स्टेपनी Image by Manfred Richter from Pixabay पहले बी.एम.डब्ल्यू कार में स्टेपनी नहीं होती थी। आज तो मैं आपसे रिश्तों की स्टेपनी की बात करने जा रहा हूँ। कल ही मुझे पता चला कि मेरी एक परिचित, जो दिल्ली में अकेली रहती हैं, उनकी तबियत ख़राब है। मैं उनसे मिलने उनके घर गया। वह कमरे में अकेली बिस्तर पर पड़ी थी। घर में एक नौकरानी थी, जो आराम से ड्राइंग रूम में टी.वी. देख रही थी। मैंने दरवाज़े की घंटी बजाई तो नौकरानी ने दरवाज़़ा खोला और बड़े अनमने ढंग से उसने मेरा स्वागत किया। ऐसा लगा जैसे मैंने नौकरानी के आराम में खलल डाल दिया हो। मैं परिचित के कमरे में गया तो वह लेटी थी, काफी कमज़ोर और टूटी हुई सी नज़र आ रही थी। मुझे देख कर उन्होंने उठ कर बैठने की कोशिश की। मैंने सहारा देकर उन्हें बिस्तर पर बिठाया। मेरी परिचित चुपचाप मेरी ओर देखती रही, फिर मैंने पूछा कि क्या हुआ? परिचित मेरे इतना पूछने पर बिलख पड़ी। कहने लगी, “बेटा, अब ज़िंदगी में अकेलापन बहुत सताता है। कोई मुझसे मिलने भी नहीं आता।” इतना कह कर वह रोने लगी। कहने लगी, “बेटा, मौत भी नहीं आती। अकेले पड़े-पड़े थक गई हूँ। पू...