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Showing posts from October, 2024

ताकत की बुनियाद

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 ताकत की बुनियाद Image by Ralph from Pixabay बहुत पहले आप ने एक चिड़िया की कहानी सुनी होगी, जिसका एक दाना पेड़ के कंदरे में कहीं फंस गया था। चिड़िया ने पेड़ से बहुत अनुरोध किया उस दाने को दे देने के लिए, लेकिन पेड़ उस छोटी-सी चिड़िया की बात भला कहां सुनने वाला था! पेड़ दाना देवे ना, मैं अपना दाना लेऊँगी, पर छोड़ूँ ना। हार कर चिड़िया बढ़ई के पास गई और उसने उससे अनुरोध किया कि तुम उस पेड़ को काट दो, क्योंकि वह उसका दाना नहीं दे रहा। भला एक दाने के लिए बढ़ई पेड़ कहां काटने वाला था। पेड़ दाना देवे ना, बढ़ई पेड़ काटे ना, मैं अपना दाना लेऊँगी, पर छोड़ूँ ना। फिर चिड़िया राजा के पास गई और उसने राजा से कहा कि तुम बढ़ई को सजा दो क्योंकि बढ़ई पेड़ नहीं काट रहा और पेड़ दाना नहीं दे रहा। राजा ने उस नन्ही चिड़िया को डांट कर भगा दिया कि कहां एक दाने के लिए वह उस तक पहुंच गई है? पेड़ दाना देवे ना, बढ़ई पेड़ काटे ना, राजा बढ़ई दंडे ना, मैं अपना दाना लेऊँगी, पर छोड़ूँ ना। चिड़िया हार नहीं मानने वाली थी। वह महावत के पास गई कि अगली बार राजा जब हाथी की पीठ पर बैठेगा, तो तुम उसे गिरा देना, क्योंकि राजा बढ़ई को सजा न...

कठिनाईयां

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 कठिनाईयां Image by Petra from Pixabay एक धनी राजा ने सड़क के बीचों-बीच एक बहुत बड़ा पत्थर रखवा दिया और चुपचाप नज़दीक के एक पेड़ के पीछे जाकर छुप गया। दरअसल वह देखना चाहता था कि कौन व्यक्ति बीच सड़क पर पड़े उस भारी-भरकम पत्थर को हटाने का प्रयास करता है। कुछ देर इंतजार करने के बाद वहाँ से राजा के दरबारी गुज़रते हैं, लेकिन वे सब उस पत्थर को देखने के बावजूद नजरअंदाज कर देते हैं। इसके बाद वहाँ से करीब बीस से तीस लोग और गुज़रे लेकिन किसी ने भी पत्थर को सड़क से हटाने का प्रयास नहीं किया। करीब डेढ़ घंटे बाद वहाँ से एक गरीब किसान गुज़रा। किसान के हाथों में सब्जियां और उसके कई औज़ार थे। किसान रुका और अपने हाथ का सामान नीचे रखकर उसने पत्थर को हटाने के लिए पूरा दम लगाया। आखिर वह सड़क से पत्थर हटाने में सफल हो गया। पत्थर हटाने के बाद उसकी नज़र उस पत्थर के नीचे पड़े एक थैले पर गई। उसमें कई सोने के सिक्के और जेवरात थे। उस थैले में एक खत भी था, जो राजा ने लिखा था कि यह तुम्हारी ईमानदारी, निष्ठा, मेहनत और अच्छे स्वभाव का इनाम है। जीवन में भी इसी तरह की कई रुकावटें आती हैं। उनसे बचने की बजाय उनका...

सबसे अमीर आदमी

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 सबसे अमीर आदमी Image by Mariya from Pixabay जॉन डी. रॉकफेलर दुनिया के सबसे अमीर आदमी और पहले अरबपति थे। 25 साल की उम्र में वे अमेरिका में सबसे बड़ी तेल रिफाइनरियों में से एक के मालिक बने और 31 साल की उम्र में वे दुनिया के सबसे बड़े तेल रिफाइनर बन गए। 38 साल की उम्र तक उन्होंने यू.एस. में 90 प्रतिशत रिफाइंड तेल की कमान संभाली और 50 की उम्र तक वह देश के सबसे अमीर व्यक्ति हो गए थे। जब उनकी मृत्यु हुई, तो वह दुनिया के सबसे अमीर आदमी थे। एक युवा के रूप में वे अपने प्रत्येक निर्णय, दृष्टिकोण और रिश्ते को अपनी व्यक्तिगत शक्ति और धन को बढ़ाने में लगाते थे, लेकिन 53 साल की उम्र में वे बीमार हो गए। उनका पूरा शरीर दर्द से भर गया और उनके सारे बाल झड़ गए। नियति देखिए, उस पीड़ादायक अवस्था में, दुनिया का एकमात्र अरबपति जो सब कुछ खरीद सकता था, अब केवल सूप और हल्के से हल्के स्नैक्स ही पचा सकता था। उनके एक सहयोगी ने लिखा कि वह न तो सो सकते थे, न मुस्कुरा सकते थे और उस समय जीवन में उनके लिए कुछ भी मायने नहीं रखता था। उनके व्यक्तिगत और अत्यधिक कुशल चिकित्सकों ने भविष्यवाणी की कि वह एक वर्...

दुःख कम करने का उपाय

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 दुःख कम करने का उपाय Image by Kati from Pixabay एक साधिका ने उदास स्वर में पूछा - हे नाथ! हे मेरे गुरुदेव! जब भी मैं दुःखी, परेशान या किसी से नाराज़ होती हूँ तो अपनी बेटी से या अपनी बहन से बात करती हूँ, पर उनके पास तो मेरी समस्या का कोई भी हल नहीं होता। आप ही बताइए, मैं क्या करूँ, अपने हृदय की पीड़ा किस से कहूँ? अपने दिल का हाल किसे बताऊँ? गुरु भगवान जी ने मुस्कुराते हुए कहा - अपने हृदय की पीड़ा, अपने दिल का हाल, केवल और केवल भगवान जी को बताओ। यही दुःख कम करने का उपाय है। जितने ज्यादा लोगों को बताएंगे, उतना ज्यादा यूनिवर्स में यह बात फैलेगी और यही रिटर्न हो कर, वापिस दस गुणी हो कर हमें मिलेगी। हम दुःख के प्रचारक न बनें, दुःख को पचाना सीखें। हर एक के मन में अपना दुःख भरने से हमारा दुःख बढ़ता ही जायेगा। जैसे आँधी-तूफान आने पर हम दरवाज़े बंद कर के अंदर बैठ जाते हैं और समय बीतने पर तूफान भी गुज़र जाता है, ऐसे ही परेशानी आने पर मन के किवाड़ बन्द करके अपनी हृदय गुफा में बैठ जाएं। जिस परेशानी का हमारे पास एक भी हल नहीं, भगवान जी के पास उस परेशानी के हजारों हल हैं। ये समस्याएं त...

हृदय परिवर्तन

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 हृदय परिवर्तन Image by Susann Mielke from Pixabay 31 दिसंबर की रात मोहन अपनी पत्नी अपर्णा संग एक मित्र के यहाँ हुई नववर्ष की पार्टी से लौट रहा था। बाहर बहुत ठंड थी। दोनों पति-पत्नी कार से वापिस घर की ओर जा रहे थे। तभी सड़क किनारे पेड़ के नीचे पतली, पुरानी, फटी, चिथड़ी चादर में लिपटे एक बूढ़े भिखारी को देख मोहन का दिल द्रवित हो गया। उसने गाड़ी रोकी। पत्नी अपर्णा ने मोहन को हैरानी से देखते हुए कहा - क्या हुआ? गाड़ी क्यों रोकी आपने? ‘वह बूढ़ा ठंड से कांप रहा है, अपर्णा। इसलिए गाड़ी रोकी।’ ‘तो....?’ मोहन बोला - ‘अरे यार! गाड़ी में जो कंबल पड़ा है न, उसे दे देते हैं।’ ‘क्या? वह कंबल....। मोहन जी! इतना मंहगा कंबल आप इस को देंगे। अरे! वह उसे ओढ़ेगा नहीं अपितु उसे बेच देगा। ये ऐसे ही होते हैं।’ मोहन मुस्कुरा कर गाड़ी से उतरा और कंबल डिग्गी से निकालकर उस बुजुर्ग को दे दिया। अपर्णा ने गुस्से में मुंह बना लिया। अगले दिन नववर्ष के पहले दिन यानि 1 जनवरी को भी बड़ी गजब की ठंड थी। आज भी मोहन और अपर्णा एक फंक्शन से लौट रहे थे, तो अपर्णा ने कहा - ‘चलिए, मोहन जी! एक बार देखें, कल रात वाले बूढ़े ...

दुःख का साथी

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👼👼💧💧👼💧💧👼👼 दुःख का साथी Image by Rainhard Wiesinger from Pixabay एक शिकारी ने जहर से सना तीर चलाया। निशाना चूका और तीर एक वृक्ष में जा लगा। वृक्ष सूखने लगा। रहने वाले पक्षी एक-एक कर वृक्ष छोड़ गए। केवल एक तोता रुका रहा। फल न मिलने से तोता अधमरा होने लगा। बात देवराज इंद्र तक पहुंची। मरते वृक्ष के लिए अपने प्राण दे रहे तोते को देखने के लिए इंद्र आए। इंद्र ने तोते को समझाया - भाई! इस पेड़ पर न पत्ते हैं, न फूल, न फल। जंगल में बड़े-बड़े कोटर, पत्ते, फूल, फल से लदे और भी वृक्ष हैं। वहाँ क्यों नहीं चले जाते? तोते ने जवाब दिया - देवराज! मैं यहीं पर जन्मा, पला-बढ़ा और मीठे फल खाए। इसने मुझे दुश्मनों से बचाया। इसके साथ मैंने सुख भोगे हैं। आज बुरा वक्त आया तो मैं अपने सुख के लिए इसे कैसे त्याग दूं? इंद्र प्रसन्न हुए और बोले - मैं तुमसे प्रसन्न हूँ। कोई वर मांग लो। तोता बोला - मेरे इस पेड़ को हरा-भरा कर दीजिए। देवराज ने पेड़ को अमृत से सींच दिया। पेड़ पहले की तरह हरा-भरा हो गया। तोता जीवन भर वहाँ रहा और मरने के बाद देवलोक चला गया। युधिष्ठिर को यह कथा सुना कर भीष्म बोले - अपने आश्रयदाता के दुःख...