दुःख कम करने का उपाय
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दुःख कम करने का उपाय
एक साधिका ने उदास स्वर में पूछा - हे नाथ! हे मेरे गुरुदेव! जब भी मैं दुःखी, परेशान या किसी से नाराज़ होती हूँ तो अपनी बेटी से या अपनी बहन से बात करती हूँ, पर उनके पास तो मेरी समस्या का कोई भी हल नहीं होता। आप ही बताइए, मैं क्या करूँ, अपने हृदय की पीड़ा किस से कहूँ? अपने दिल का हाल किसे बताऊँ?
गुरु भगवान जी ने मुस्कुराते हुए कहा - अपने हृदय की पीड़ा, अपने दिल का हाल, केवल और केवल भगवान जी को बताओ। यही दुःख कम करने का उपाय है।
जितने ज्यादा लोगों को बताएंगे, उतना ज्यादा यूनिवर्स में यह बात फैलेगी और यही रिटर्न हो कर, वापिस दस गुणी हो कर हमें मिलेगी।
हम दुःख के प्रचारक न बनें, दुःख को पचाना सीखें। हर एक के मन में अपना दुःख भरने से हमारा दुःख बढ़ता ही जायेगा।
जैसे आँधी-तूफान आने पर हम दरवाज़े बंद कर के अंदर बैठ जाते हैं और समय बीतने पर तूफान भी गुज़र जाता है, ऐसे ही परेशानी आने पर मन के किवाड़ बन्द करके अपनी हृदय गुफा में बैठ जाएं। जिस परेशानी का हमारे पास एक भी हल नहीं, भगवान जी के पास उस परेशानी के हजारों हल हैं। ये समस्याएं तो हमारा ही कर्ज़ा उतारने और कर्म काटने आती हैं।
माला करें, बार-बार भगवान से पुकार करें, गुरु वाणी सुनें, भगवान के साथ एकाग्रचित्त हो कर बैठें और देखें कुछ ही देर में दुःख हवा हो जाएंगे।
हमारे पास भगवान का साथ, फिर चिंता की क्या बात?
शरण में रख दिया जब माथ, फिर चिंता की क्या बात?
भगवान हैं न हमारे साथ और वे सुनते भी ध्यान से हैं, तो फिर क्यों इधर-उधर बात करके बाकी लोगों को भी परेशान करना? दुनिया तो रो-रो कर पूछती है और हंस-हंस कर अन्य लोगों को बताती है।
सुखी होने का मंत्र केवल गुरु और भगवान जी ही सिखाते हैं। गुरु और भगवान जी के अनंत-अनंत शुक्राने हैं।
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सरिता जैन
सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका
हिसार
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