मेरे पति मेरे देवता (भाग - 25)
👼👼💧💧👼💧💧👼👼 मेरे पति मेरे देवता (भाग - 25 ) श्री लाल बहादुर शास्त्री के जीवन की कुछ महत्त्वपूर्ण घटनाएं श्रीमती ललिता शास्त्री की ज़ुबानी प्रस्तुतकर्ता - श्री उमाशंकर (जून, 1967 ) जेल का खाना भी गया हम दोनों उनके पीछे-पीछे प्लेटफार्म तक आई। शास्त्री जी खिड़की से सिर निकाले इधर-उधर देख रहे थे। उन के डिब्बे के पास पहुँचते-पहुँचते गाड़ी चल पड़ी। वे झट से कूद कर नीचे आ गए। पुलिस वाले बड़बड़ाने लगे - ‘यह क्या कर रहे हैं, बाबूजी! हम लोगों की रोज़ी चली जाएगी, आप का क्या बिगड़ेगा ? यह धोखे का काम है। आप लोग.........’ लेकिन शास्त्री जी ने जैसे-तैसे हम लोगों को डिब्बे में चढ़ा लिया। टण्डन जी और उनके एक साथी भी चढ़ आए। टण्डन जी जब शास्त्री जी से बातें करने लगे, तब हमसे बोले - ‘तुम बाद में बात करना, बहू। हम कुछ ज़रूरी बातें करके अगले स्टेशन पर उतर जाएंगे।’ फाफामाऊ (फैजाबाद लाइन पर एक स्टेशन) पर टण्डन जी ने दो टिकट व एक पत्र लाकर दिया। जिस स्टेशन पर जिनको पत्र देना था, उन के सम्बन्ध में उन्होंने शास्त्री जी से बता दिया और यह भी कहा कि हम लोगों के खाने-पीने की और लौटने की वे समुचित व्यवस्था ...