मेरे पति मेरे देवता (भाग - 23)
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मेरे पति मेरे देवता (भाग - 23)
श्री लाल बहादुर शास्त्री के जीवन की कुछ महत्त्वपूर्ण घटनाएं
श्रीमती ललिता शास्त्री की ज़ुबानी
प्रस्तुतकर्ता - श्री उमाशंकर (जून, 1967)
जेल में आमों की भेंट
मलाका जेल में शास्त्री जी का कार्ड आया कि वे फैजाबाद जेल में भेजे जा रहे हैं। कार्ड में जाने का दिन और तारीख़ भी लिखी हुई थी। इसी में उन्होंने मटर की पूड़ियों के लिए भी लिखा था। मटर भरी हुई पूड़ियाँ शास्त्री जी को बहुत पसंद थी। बदली के दिन जेल अधिकारियों की ओर से घरवालों के लिए मिलवाई की छूट होती ही थी। सामान वगैरह देने और घर का भोजन खिलाने की भी छूट हुआ करती थी।
फैजाबाद जाने के समाचार से जो दुःख हुआ, वहीं उसी समय मलाका जेल जाने और वहाँ से स्टेशन तक आने के लिए इक्के-भाड़े का प्रबंध कहाँ से हो पाएगा, यह चिन्ता भी हो रही थी। पूड़ियों के लिए अलग मन कचोट रहा था। न अम्माजी के पास पैसा था, न हमारे पास। और कोई चारा न देख कर गौतम जी की पत्नी से कहा। उन बेचारी के पास भी रुपए नहीं थे। जो 2 रुपए थे, वे उन्होंने दे दिए थे। किराए-भाड़े का इन्तजाम तो हुआ, लेकिन पूड़ियों का फिर भी रह गया।
क्रमशः
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सरिता जैन
सेवानिवृत्त हिन्दी प्राध्यापिका
हिसार
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