भक्ति का रंग
👼👼💧💧👼💧💧👼👼 भक्ति का रंग Image by Goran Horvat from Pixabay एक भक्त थे। उन्होंने भगवान का नाम जपते हुए जीवन बिता दिया, पर भगवान से कभी कुछ नहीं मांगा। एक दिन वे भक्त बांके बिहारी मंदिर गए, पर वहाँ उन्हें भगवान नहीं दिखे। वे आसपास के अन्य भक्तों से पूछने लगे कि आज भगवान कहाँ चले गए? सब उनकी ओर हैरानी से देखते हुए कहने लगे - भगवान तो ये रहे, सामने ही तो हैं। तुझे नहीं दिखते? तू अंधा है क्या? उन भक्त ने सोचा कि सब को दिख रहे हैं, मुझे क्यों नहीं दिख रहे? मुझे ये सब दिख रहे हैं, पर भगवान ही क्यों नहीं दिख रहे? ऐसा विचार कर उनका अंतःकरण ग्लानि से भर गया। वे सोचने लगे - लगता है कि मेरा पाप कर्म ही सामने आ गया है, इसीलिए मुझे भगवान नहीं दिखते। ऐसे शरीर का क्या लाभ। मैं इस शरीर का अन्त कर दूंगा, जिससे भगवान ही न दिखते हों। ऐसा सोच कर वे यमुना में डूबने चले। इधर अंतर्यामी भगवान एक ब्राह्मण का वेष बना कर एक कोढ़ी के पास पहुँचे और कहा कि एक उच्च श्रेणी के भक्त यमुना की तरफ जा रहे हैं। उनके आशीर्वाद में बहुत बल है। यदि वे तुझे आशीर्वाद दे दें, तो तेरा कोढ़ तुरंत ठीक हो जाए। यह सुन कर कोढ़ी ...